'2024 में मोदी को हरा देंगे', अध्यादेश के खिलाफ केजरीवाल को मिला KCR का साथ
हैदराबाद में तेलंगाना सीएम केसीआर से दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल और पंजाब के सीएम भगवंत मान ने मुलाकात की। राज्यसभा में अध्यादेश के खिलाफ सपोर्ट करने के लिए साथ मांगा।
केंद्र सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश का आम आदमी पार्टी (आप) लगातार विरोध करने में लगी है। इसी कड़ी में दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल और पंजाब के सीएम भगवंत मान ने राज्यसभा में समर्थन के लिए शनिवार को हैदराबाद में तेलंगाना सीएम केसीआर संग मुलाकात की। इस दौरान केजरीवाल केंद्र सरकार पर जमकर बरसे। उन्होंने कहा कि आज देश में एक ऐसी पार्टी है, जो चाहती है कि पूरे देश पर उनका राज हो। ऐसे में मुख्यमंत्री चुनने की क्या जरूरत है, प्रधानमंत्री और 31 गवर्नर ही देश को चला लें।
आगे केजरीवाल ने यह भी कहा कि बीजेपी के पास राज्य सभा में बहुमत नहीं है, 238 में से केवल उनके 93 एमपी ही हैं। अगर सभी पार्टियां लोकतंत्र बचाने के लिए एक साथ आ जाए तो ये बिल राज्यसभा में गिर जाएगा। अगर ये बिल गिर गया तो देश को यकीन हो जाएगा कि मोदी को 2024 में हराया जा सकता है। ये 2024 का सेमीफाइनल है।
SC के फैसले को अध्यादेश से पलटा!
केजरीवाल ने यह भी कहा कि केसीआर और उनकी पार्टी बीआरएस दिल्ली की जनता को न्याय दिलाने के लिए उनके साथ है। ये सिर्फ दिल्ली की बात नहीं है, ये जनतंत्र को बचाने की लड़ाई है। शीला दीक्षित सरकार के पास ब्यूरोक्रेसी पर कंट्रोल था। लेकिन, 2015 में हमारी सरकार आने के 3 महीने बाद ही हमसे पावर छीन ली गई। मैं, मुख्यमंत्री होने के नाते चीफ सेक्रेटरी, हेल्थ सेक्रेटरी, डिप्टी सेक्रेटरी की ट्रांसफर और पोस्टिंग कुछ नहीं कर सकता। 8 साल की लड़ाई के बाद सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया, लोगों को न्याय मिला। अगर देश के प्रधानमंत्री सुप्रीम कोर्ट के फैसले को भी अध्यादेश से पलट दें तो इस देश के लोग न्याय के लिए कहां जाएंगे। ये दिल्ली के लोगों का अपमान है कि तुम जो मर्जी सरकार चुनो, हम नहीं चलने देंगे।
क्या है अध्यादेश विवाद?
दरअसल, केंद्र सरकार एक अध्यादेश लेकर आई है, जिसके तहत अफसरों की ट्रांसफर और पोस्टिंग का अधिकार उपराज्यपाल को मिल जाएगा। आम आदमी पार्टी इस अध्यादेश का लगातार विरोध कर रही है। उनका आरोप है कि केंद्र सरकार दिल्ली सरकार से पावर 'छिनने' की कोशिश कर रही है। असल में 'अध्यादेश' कम समय के लिए बनाया गया कानून होता है। इसके लिए सरकार को उस वक्त संसद की अनुमति नहीं लेनी पड़ती है।