20 बिलियन डॉलर वाला रफाल छुड़ाएगा चीन और पाक के छक्के
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इंडियन एयरफोर्स की ओर से मोदी सरकार के सामने इस जेट के संबंध में अपनी प्राथमिकताएं जाहिर कर दी हैं।
रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक एमएमआरसीए प्रोजेक्ट से जुड़े सभी व्यावसायिक समझौते आखिरी दौर में है।
इंडियन एयरफोर्स अपनी हवाई ताकत को बढ़ाने के लिए इस डील को काफी अहम मानती हैं। एयरफोर्स का मानना है कि पाकिस्तान की ओर से बढ़ते खतरे के साथ ही चीन की सीमा पर भी तनाव बढ़ रहा है ऐसे में यह डील काफी अहम है।
माना जा रहा है कि अगले तीन माह के भीतर रक्षा मंत्रालय इस डील को एयरफोर्स के लिए फाइनल कर देगी।
जनवरी 2012 में जब से भारत ने एमएमआरसीए प्रोजेक्ट के तहत फ्रांस की कंपनी डसॉल्ट के साथ इस डील को साइन किया था तब से लेकर आज तक इस दिशा में काफी धीमी गति से काम चल रहा है।
सूत्रों की मानें तो उप समितियों, ऑफ सेट्स और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर से जुड़े कामों को पूरा कर लिया गया है। एयर चीफ मार्शल अरुप राहा ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी।
इससे पहले वह वित्त मंत्री अरुण जेटली जो कि रक्षा मंत्रालय का जिम्मा भी संभाल रहे हैं, से मुलाकात की थी।
एमएमआरसीए प्रोजेक्ट के तहत भारत को 18 जेट्स हासिल होंगे जबकि हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड की ओर से 108 फाइटर जेट्स का निर्माण अगले छह वर्षो के अंदर भारत में ही किया जाएगा। ।
फिलहाल इसकी फाइनल कॉस्ट को लेकर माथापच्ची जारी है। इसे तब तक मंजूरी नहीं दी जा सकती जब तक कि सरकार की ओर से इसे अंतिम मंजूरी नहीं मिल जाती।
अगर एमएमआरसीए प्रोजेक्ट को अगले तीन माह के अंदर मंजूरी मिल जाती है तो इंडियन एयरफोर्स को वर्ष 2016 तक 18 जेट्स के साथ ही नई ताकत हासिल हो सकेगी। इंडियन एयरफोर्स के पास इस समय 34 फाइटर स्क्वाड्रन्स हैं और अभी इसे 44 स्क्वाड्रन की जरूरत है।
एचएएल की ओर से वर्ष 2018 में इन जेट्स का प्रोडक्टश भारत में ही शुरू हो सकेगा। शुरुआत में एचएएल छह जेट्स हर वर्ष एयरफोर्स को देगी। इसके बाद यह संख्या हर वर्ष 20 कर दी जाएगी।