नई लड़ाकू वर्दी को तैयार करने के सारे अधिकार अब भारतीय सेना के पास, IPR प्रक्रिया पूरी
हाल ही में भारतीय सेना ने अपने जवानों के लिए नई वर्दी तैयार करवाई थी, जिसको नए युद्ध परिवेश के मद्देनजर बनाया गया है। रक्षा मंत्रालय के मुताबिक भारतीय सेना के स्वामित्व को स्थापित करने के लिए नए केमोफ्लेज पैटर्न और कॉम्बैट यूनिफॉर्म (वर्दी ) के डिजाइन के पेटेंट की प्रक्रिया 'डिजाइन और ट्रेडमार्क महानियंत्रक' कोलकाता ने पूरी कर ली है। नई वर्दी में एक फंक्शनल डिजाइन है, जिसमें हल्के और मजबूत कपड़े का इस्तेमाल हुआ है।
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मंत्रालय के मुताबिक नई वर्दी को ऐसा बनाया गया है कि ये जल्दी सूख जाएगी, जिससे कम वक्त में जवानों को तैयार होने का मौका मिलेगा। इसके अलावा महिलाओं की वर्दी को लिंग-विशिष्ट संशोधनों (जेंडर-वर्दी मॉडिफिकेशंस) के आधार पर तैयार किया गया है। मंत्रालय ने साफ किया कि नए डिजाइन और केमोप्लेज के सभी 'बौद्धिक संपदा अधिकार' (आईपीआर) भारतीय सेना के पास हैं। सेना ने अभी इसके निर्माण की जिम्मेदारी किसी अन्य को नहीं दी है। ऐसे में अगर कोई इसका निर्माण करता है, तो वो गैरकानूनी होगा। उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
वहीं कैंटीन स्टोर्स डिपार्टमेंट (सीएसडी) के माध्यम से भारतीय सेना ने 50 हजार सेट खरीदे हैं। जिसको दिल्ली, लेह, बीडी बारी, श्रीनगर, उधमपुर, अंडमान और निकोबार, जबलपुर, मासीमपुर, नारंगी, दीमापुर, बागडोगरा, लखनऊ, अंबाला, मुंबई आदि जगहों में तैनात जवानों को दिया गया है। इसके अलावा 11.70 लाख सेट की थोक खरीद की प्रक्रिया चल रही। उम्मीद है कि अगले साल अगस्त तक इसे पूरा कर लिया जाएगा।
2008
से
इस्तेमाल
हो
रही
थी
पुरानी
वर्दी
आपको
बता
दें
अभी
तक
भारतीय
सेना
के
जवान
जिस
वर्दी
में
दिखाई
देते
हैं,
उसका
इस्तेमाल
साल
2008
से
किया
जा
रहा
था।
इस
वजह
से
सेना
ने
नए
हालात
को
देखते
हुए
उसे
अपग्रेड
किया
है।
सेना
के
मुताबिक
नए
छलावरण
पैटर्न
में
पहले
के
ही
रंगों
का
इस्तेमाल
किया
गया
लेकिन
अब
ये
पैटर्न
डिजिटल
है।
इसे
मैदानी,
पहाड़ी,
रेगिस्तानी,
जंगली
आदि
इलाकों
को
देखते
हुए
तैयार
किया
गया।