रक्षामंत्री का पलटवार- यूपीए सरकार बताए HAL के साथ राफेल डील क्यों नहीं हुई?
नई दिल्ली। राफेल डील के मुद्दे पर कांग्रेस और केंद्र की बीजेपी सरकार लगातार एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एके एंटनी द्वारा मंगलवार को लगाए गए आरोपों पर रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने पलटवार करते हुए कहा कि, डील यूपीए सरकार के दौरान नहीं हुई थी। इसके अलावा यूपीए के कार्यकाल के दौरान हिन्दुस्तान एरोनॉटिकल लिमिटेड(HAL) और डसॉल्ट के बीच प्रॉडक्शन को लेकर सहमति भी नहीं बन सकी थी। ऐसे में एचएएल और राफेल एक साथ काम नहीं कर सकते थे। इन सबकी जिम्मेदारी कांग्रेस पार्टी को लेनी चाहिए।
रक्षा मंत्री ने कहा, 'क्या यह साफ तौर पर नहीं बताता है कि एचएएल का साथ किसने नहीं दिया। यह सब किसकी सरकार के दौरान हुआ।' उन्होंने कहा कि एचएएल के साथ डील क्यों नहीं हो सकी, इसका जवाब यूपीए को देना चाहिए। वहीं निर्मला सीतारमण ने इस बात को भी साफ किया कि, इस नई डील में बेस प्राइज पहले से नौ प्रतिशत कम हैं। हमने उतने एयरक्रॉफ्ट ही ऑर्डर किए जितना कि हम चाहते थे। 126 एयरक्रॉफ्ट खरीदने के लिए समय चाहिए था।
कंपनी की ओर से अपनी सफाई में कहा गया था कि डसॉल्ट ने रिलायंस डिफेंस को 'ऑफसेट' या एक्सपोर्ट काम के लिए चुना है। विदेशी वेंडर के लिए भारतीय पार्टनर चुनने में रक्षा मंत्रालय की कोई भूमिका नहीं है। वहीं रूस के साथ एस-400 मिसाइलों के लिए चल रही बातचीत पर जानकारी देते हुए रक्षामंत्री ने कहा कि, एस -400 पर रूस के साथ बातचीत लगभग अंतिम चरण तक पहुंच गई है। हमें यह देखना होगा कि, इस पर हस्ताक्षर रुसी राष्ट्रपति की यात्रा से पहले होते हैं। लेकिन बातचीत लगभग पूरी हो चुकी है।
वहीं पंजाब सरकार में मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू पर निशाना साधते हुए निर्मला सीतारमण ने कहा कि, नवजोत सिंह सिद्धू द्वारा पाकिस्तानी सेना प्रमुख से गले मिलने की घटना ने हमारे जवानों पर असर डाला, काश उन्होंने इससे परहेज किया होता। आर्मी स्ट्रक्चर में बदलाव की खबरों का खंडन करते हुए निर्मला सीतारमन ने कहा कि मेरे पास ऐसा कोई प्रपोजल नहीं है।