लेह में एक महीने तक रहेंगे दलाई लामा, लेकिन लद्दाख जाने से पहले चीन पर कह दी बड़ी बात
जम्मू, 14 जुलाई: तिब्बती आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा कल एक महीने के प्रवास पर लद्दाख पहुंच रहे हैं। उनका यह दौरा करीब चार साल बाद हो रहा है, जबकि वह पहले अक्सर वहां जाते रहते थे। इतने वर्षों के भीतर भारत और चीन के बीच नए तरह के तनाव पैदा हुए हैं। ड्रैगन भारत के साथ एलएसी से जुड़े विवादों को लेकर बातचीत का भी रास्ता अपनाए रखता है और अपनी चालबाजियों से भी बाज आने को तैयार नहीं है। ऐसे समय में दलाई लामा का इतने दिनों के लिए लेह में रहना बेहद खास है। लेकिन, लेह जाने से पहले उन्होंने जम्मू में चीन को लेकर जो बयान दिया है, उसपर शी जिनपिंग की सरकार कैसी प्रतिक्रिया देती है यह देखने वाली बात होगी।
एक महीने तक लेह में ठहरेंगे दलाई लामा
तिब्बती आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा शुक्रवार को लद्दाख पहुंचने वाले हैं। वे गुरुवार सुबह ही धर्मशाला से पहले जम्मू के लिए निकले और फिर वहां से लद्दाख जाने वाले हैं। लेह में उनके एक महीने के प्रवास के लिए जोरदार तैयारियां की गई हैं। उनके स्वागत को यादगार बनाने के लिए हर चौक-चौराहे को सजाया गया है। लद्दाख में उनके करीब महीने भर तक रुकने का कार्यक्रम है, अगर उतने ठंडे मरुस्थल में उनका स्वास्थ्य इसकी इजाजत देता है तो। दो बार के सांसद और लद्दाख ऑटोनोमस हिल डेवलपमेंट काउंसिल के चेयरमैन थुपस्तान चेवांग ने धर्माशाला जाकर उन्हें लद्दाख आने का निमंत्रण दिया है। उन्होंने न्यूज18 को लेह से बताया है कि 'परम पूज्य अगस्त के दूसरे हफ्ते तक लेह में रहेंगे। उनके प्रवास को आरामदायक बनाने के लिए हर छोटी-छोटी चीजों का ख्याल रखा गया है।'
लेह में दलाई लामा की स्वागत की जोरदार तैयारी
चेवांग ने यह भी कहा है कि पहले हफ्ते वह किसी से नहीं मिलेंगे और सिर्फ लद्दाख के मौसम और इस क्षेत्र की ऊंचाई में अपने आपको ढालने की कोशिश करेंगे। पहले दलाई लामा बौद्ध-बहुल लद्दाख अक्सर आते रहते थे। लेकिन, पिछले चार वर्षों में उन्हें इससे दूर रहना पड़ा है, जिसका मुख्य कारण कोरोना महामारी है। इसके चलते लद्दाख में भी आवाजाही में रुकावटें थीं। शुक्रवार को जब वे लेह एयरपोर्ट पर उतरेंगे तो वहां से उनके निवास चोगलाम्सर तक जिसे फोटक का नाम दिया गया है, सड़कों की दोनों ओर 10 किलोमीटर तक उनके अनुयायी उनकी आगवानी के लिए खड़े रहेंगे।
'मैंने लोगों को इतना खुश कभी नहीं देखा'
बौद्ध धर्म गुरु की इस यात्रा को अप्रत्याशित बताते हुए एक स्थानीय कारोबारी एजाज अहमद ने कहा कि 'मैंने लोगों को इतना खुश कभी नहीं देखा। शहर में हर तरफ उनके सम्मान में संगीत बज रहा है। ऐसा लगता है कि उनका स्वागत करने के लिए कोई बड़ा कार्निवल आयोजित किया गया है।' उनकी यात्रा के लिए लद्दाख प्रशासन ने भी सुरक्षा के व्यापक इंताजम किए हैं। पूर्व कैबिनेट मंत्री और लद्दाख बौद्ध संघ के उपाध्यक्ष का चेरिंग लाकरूक ने कहा, 'परम पूज्य को सांस संबंधी कुछ दिक्कतें हैं और इस बार हमने उनके फोटक निवास में लिफ्ट का भी इंतजाम किया है। वे सहज महसूस करेंगे। '
एलएसी पर तकरार के बीच हो रहा है दौरा
लाकरूक के मुताबिक तिब्बत के आध्यात्मिक नेता जेवातल मैदान में सिर्फ तीन दिनों के लिए अपने अनुयायियों को दीक्षा देंगे, जिसमें हजारों लोग शामिल होंगे। उन्होंने कहा, 'यदि उनकी सेहत इजाजत देती है, तो वे लेह में शे और थिकसे जैसे मशहूर मठों का दौरा कर सकते हैं और जांस्कर की यात्रा भी कर सकते हैं, लेकिन यह सब बाद में ही निश्चित हो पाएगा।' बौद्ध नेता का गुरुवार को जम्मू में भी अपने अनुयायियों से मिलने का कार्यक्रम था। लेकिन, वह ऐसे समय में लद्दाख जा रहे हैं, जब 2020 के मध्य मई से वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन की चालबाजी भरे रवैयों की वजह से भारत के साथ उसके विवाद शुरू हुए थे। यह मामला अभी तक नहीं सुलझा है और कुछ इलाकों को लेकर अभी भी दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने हैं और कई दौर की बातचीत में भी स्थायी समाधान नहीं निकल पाया है।
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मुझे स्वतंत्रता नहीं चाहिए-दलाई लामा
लेकिन, लगता नहीं कि दलाई लामा लेह में किसी तरह के राजनीतिक मसलों को लेकर अपने विचार रखने वाले हैं। क्योंकि, जम्मू में उन्होंने चीन को लेकर बहुत ही संतुलित बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि चीन के लोग उनके खिलाफ नहीं हैं, क्योंकि 'उन्हें मालूम हो गया है कि मैं अलगाववादी नहीं हूं।' उन्होंने कहा कि 'मैं सिर्फ स्वायत्तता और पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के अंदर तिब्बती संस्कृति का संरक्षण चाहता हूं। मुझे स्वतंत्रता नहीं चाहिए और चीन के लोग अब मेरा समर्थन कर रहे हैं।'