चीन से टकराव के बीच दलाई लामा बोले, 'हिंदी-चीनी भाई-भाई' से बनेगी बात
दलाईलामा ने कहा कि हिन्दी-चीनी भाई -भाई की भावना ही इन दो बड़े देशों के बीच विवाद को हल करने का जरिया है।
नई दिल्ली। हिंदी-चीनी भाई-भाई की भावना ही भारत और चीन के बीच के विवाद को खत्म कर सकती है, दोनों देशों को इस दिशा में आगे बढ़ना चाहिए। दोनों देशों को पड़ोस में रहना है। ये बातें तिब्बतियों के आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा ने बुधवार को दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान कही।
दलाईलामा ने कहा कि हिन्दी-चीनी भाई -भाई की भावना ही इन दो बड़े देशों के बीच विवाद को हल करने का जरिया है। उन्होंने कहा कि डोकलाम विवाद कोई गंभीर मुद्दा नहीं है। दोनों देशों को एक दूसरे के पड़ोस में ही रहना है, अगर इस मुद्दे को गलत तरीके से परोसने पर बात बिगड़ सकती है। अभी दोनों पड़ोसी एक-दूसरे के खिलाफ सख्त बयानबाजी कर रहे हैं, लेकिन हिन्दी-चीनी भाई भाई की भावना ही आगे बढ़ने का रास्ता है।
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दलाई लामा ने कहा कि 1962 में चीनी सेना बोमडिला जा पहुंची थी, लेकिन वापस लौट गई। भारत और चीन को इसी दिशा में आगे बढ़ना होगा तभी जाकर सारे विवाद का हल निकलेगा।
आपको बता दें कि डोकलाम मुद्दे पर भारत और चीन की सेना पिछले दो महीने से आमने सामने है। सिक्किम सेक्टर में भूटान ट्राइजंक्शन के पास चीन एक सड़क बनाना चाहता है और भारत इसका विरोध कर रहा है। चीन ने भारत से कहा है कि वह इलाके से अपने सैनिकों को तुरंत वापस बुलाए, लेकिन भारत ने इससे इनकार कर दिया है। जिसके बाद से विवाद बढ़ता ही जा रहा है।
गौरतलब है कि दलाई लामा 1959 के विद्रोह के दौरान तिब्बत से निकल भागे थे और तब से भारत में ही रह रहे हैं। इनका जन्म तिब्बत में हुआ था, जिस पर चीन अपना दावा करता है। चीन सरकार दलाई को अपना दुश्मन मानती है।