पुलवामा में शहीद सीआरपीएफ जवान की पत्नी को युद्ध का विरोध पर सोशल मीडिया में किया गया ट्रोल
नई दिल्ली: पाकिस्तान ने 14 फरवरी को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिल में आत्मघाती आतंकी हमला किया था। इसमें 40 जवान शहीद हो गए है। भारत सरकार ने इसका बदला लेने के लिए पाकिस्तान में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी ठिकानों पर एयर स्ट्राइक की । इसके बाद भारत और पाक के बीच युद्ध की आशंकाए तेजी से उठने लगी। पुलवामा आतंकी हमले में शहीद जवाव बबलू सांतरा की पत्नी मीता सांतरा को युद्ध का विरोध करने पर सोशल मीडिया में जमकर ट्रोल किया गया।
शहीद की विधवा को किया ट्रोल
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक पश्चिम बंगाल के हावड़ा में पुलवामा आतंकी हमले में शहीद हुए बबलू संतारा की पत्नी का मानना है कि युद्ध से हर किसी समस्या का समाधान नहीं किया जा सकता है। इसके बाद उन्हें कई वेबसाइट और सोशल मीडिया में ट्रोल किया गया। उन्होंने लोगों ने गाली देते हुए कायर और खुदगर्ज कहा गया। मिता अंग्रजी की टीचर हैं। उनके युद्ध विरोधी रुख का कई बुद्धिजिवियों, विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले छात्रों और कई गृहणियों ने समर्थन भी किया है।
'मैं अपने रुख पर कायम'
मीता सांतरा ने टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए कहा कि मैं अभी सोशल मीडिया देखने की हालत में नहीं हूं। लेकिन मैं जो कहा था मैं उस पर अभी भी कायम हूं। लोगों के अपने विचार होते हैं। यहां किसी को अपनी बात रखने की स्वतंत्रता(फ्रीडम ऑफ स्पीच) का अधिकार है। मैं उनसे अलग नहीं हूं। वो युद्ध के खिलाफ क्यों है इस पर मीता ने कहा कि युद्ध के मैदान में हर मौत आखिरकार सैनिकों के परिवारों को तबाह कर देती है। एक शिक्षक और इतिहास के एक छात्र के रूप में, मुझे पता है कि युद्ध कोई स्थायी समाधान है। इसमें एक पत्नी अपने पति को खो देती है, एक माँ अपने बेटे को खो देती है और एक बेटी अपने पिता को खो देती है। उसने आगे लिखा कि मैंने इन नुकसानों के बारे में पढ़ा और अनुभव किया है। इसका नुकसान सिर्फ एक व्यक्ति को नहीं बल्कि पूरे देश को उठाना पड़ता है। एक लड़ाई हमारी अर्थव्यवस्था और सामाजिक विकास को बुरी तरह प्रभावित करती है। कुछ लोगों ने मेरे बयान को गलत तरीके से लिया और मेरे युद्ध विरोधी बयान को कायरता कहा है। मैं हमारे वायुसेना,आर्मी और नेवी के बहादुर जवानों का समर्थन करती हूं, जो उन्होंने मंगलवार को किया वो काबिलेतारीफ है।
' सीआरपीएफ के काफिले की सुरक्षा में हुई चूक'
मीता सांतारा ने अपनी बात दोहराते हुए कहा कि 14 फरवरी को सीआरपीएफ के काफिले की पूरी तरह सुरक्षा के इंतजाम नहीं किए गए थे। खुफिया एजेंसियों ने हमले की चेतावनी दी थी। लेकिन इसके बावजूद एहतियाती कदम नहीं उठाए गए थे। अगर काफिले में जैमर होते तो हमले को रोका जा सकता था। मेरे ख्याल से इसमें बहुत असफलताएं और इंटरकम्यूनिकेशन की कमी थी। गौरतलब है कि 14 फरवरी को सीआरपीएफ का काफिला जब पुलवामा से गुजर रहा था तो एक आतंकी ने विस्फोटों से भरी कार को काफिले की एक बस से टक्कर मार दी।इसमें 40 जवान शहीद हो गए। इस हमले के बाद पूरे देश में आक्रोश था और लोग बदले की मांग कर रहे थे।