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कोविड 2.0: नाइट कर्फ्यू और वीकेंड लॉकडाउन, हिचकोले खा रही इकोनॉमी को लग सकता है झटका

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नई दिल्ली, अप्रैल 17। पिछले साल कोरोना वायरस महामारी की शुरुआत के साथ लगाए लॉकडाउन ने अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ दी थी। साल भर की जद्दोजहद के बाद जब किसी तरह अर्थव्यवस्था उबर रही थी लेकिन कोविड-19 की दूसरी लहर और उसके चलते राज्य सरकारों द्वारा लगाए गए कर्फ्यू या लॉकडाउन ने फिर से इस पर चोट शुरू कर दी है। कई राज्यों ने कोरोना वायरस को रोकने के लिए वीकेंड कर्फ्यू, आंशिक तालाबंदी लागू की है जिसके चलते लोग डरे हुए हैं। इसका सीधा असर व्यावसायिक गतिविधियों पर पड़ा है और इसमें 40 प्रतिशत का नुकसान हुआ है।

बाजार पर दिख रहा कोविड का असर

बाजार पर दिख रहा कोविड का असर

कोविड-19 संक्रमण की बढ़ती संख्या का असर अब बाजार पर दिखने लगा है। छोटे स्टोर में बिजनेस 50 प्रतिशत तक गिर गया है। वहीं प्रतिबंध के चलते मॉल, शोरूम और ब्रांडेड दुकानें तो लगभग खाली ही चल रही हैं। अगर डेटा पर नजर डाली जाए तो मार्च 2020 की तुलना में मार्च 2021 में खुदरा उद्योग 23 प्रतिशत की गिरावट देखी गई है। देश की राजधानी दिल्ली के खान मार्केट जैसे छोटे बाजारों में पिछले सप्ताह में 50 फीसदी गिरावट देखी गई है।

राज्य सरकारों के वीकेंड लॉकडाउन के फैसले से छोटे दुकानदारों की चिंता बढ़ी हुई है। जिन राज्यों ने वीकेंड लॉकडाउन लगाया है उनमें दिल्ली भी है। एक दुकानदार ने बताया कि पहले से ही बाजार में ग्राहक कम हैं ऐसे में वे कैसे संक्रमण की संख्या बढ़ाने में सहायक हैं। सरकार को हॉटस्पॉट की पहचान करनी चाहिए और एक्शन लेना चाहिए।

उनका ये भी कहना है कि पिछले लॉकडाउन के बाद अब जाकर कुछ अच्छे संकेत आने शुरू हुए थे लेकिन लॉकडाउन एक बार फिर से बाजार की कमर तोड़ देगा।

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ऑटो सेक्टर पर पड़ा असर

ऑटो सेक्टर पर पड़ा असर

पिछले साल लॉकडाउन के बाद साल भर में देश भर में जो आर्थिक वृद्धि हासिल की थी कोविड की दूसरी लहर ने उसे फिर से गिराना शुरू कर दिया है। महाराष्ट्र सरकार के 15 दिन के कर्फ्यू की घोषणा के बाद इंडस्ट्री में उलझन है।

मेडिकल विशेषज्ञ भले ये सोच रहे हैं कि प्रतिबंध वायरस के संक्रमण को कम करने में सहायक होगा लेकिन व्यापार से जुड़े लोग लॉकडाउन और कर्फ्यू को लेकर चिंतित हैं।

लॉकडॉउन का सबसे ज्यादा असर जिन कुछ बिजनेस पर पड़ा था , ऑटो सेक्टर उनमें से एक था। हालांकि पिछले कुछ महीने में इसने कुछ रिकवरी देखी थी लेकिन अब फिर से प्रभावित होने लगी है।

देश में कारों और दोपहिया वाहनों और कॉमर्शियल वाहनों के कुल उत्पादन में महाराष्ट्र का 20-25 प्रतिशत हिस्सा है। लेकिन कर्फ्यू ने कच्चे माल की कमी और बाद में लॉकडाउन के कारण आपूर्ति शृंखला को बाधित किया है।

मार्च 2021 में ऑटो सेक्टर में जो तस्वीर सामने आई है वह चिंताजनक है। ऑटो सेक्टर के जानकारों की मानें तो कुछ सप्ताह के प्रतिबंध से देश भर में ऑटो फैक्ट्रियों में उत्पादन ठप हो सकता है।

होटल उद्योग पर फिर पड़ी मार

होटल उद्योग पर फिर पड़ी मार

कोरोना वायरस के चलते प्रतिबंधों के चलते एक बार फिर होटल इंडस्ट्री बुरी तरह प्रभावित हो रही है। देश की राजधानी दिल्ली में पिछले साल मार्च से जून तक लॉकडाउन के दौरान इस रेस्टोरेंट को बंद कर दिया गया था। उसके बाद इन्हें धीरे-धीरे खोलने की अनुमति मिली थी।

कोरोना वायरस की दूसरी लहर के चलते अब एक बार फिर रेस्टोरेंट के लिए गाइडलाइन जारी की गई है जिसके तहत अब दिल्ली में सभी रेस्टोरेंट और बार सीटिंग कैपिसिटी का 50 प्रतिशत ही ग्राहक रख सकते हैं।

देश में जीडीपी में 10 प्रतिशत और 9 करोड़ रोजगार मुहैया कराने वाले हॉस्पिटैलिटी सेक्टर के हाल बेहाल हैं। इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना वायरस महामारी के चलते 30 प्रतिशत होटल और रेस्टोरेंट पूरी तरह बंद हो चुके हैं। 20 प्रतिशत ही ऐसे हैं जो पूरी क्षमता से काम कर रहे हैं और बाकी के 50 प्रतिशत अभी भी घाटे में चल रहे हैं।

कोविड से पहले वाले समय से तुलना करें तो होटल उद्योग से होने वाली कमाई घटकर आधी रह गई है।

कोविड के चलते नौकरियां घटीं

कोविड के चलते नौकरियां घटीं

कोरोना वायरस की दूसरी लहर के चलते सबसे ज्यादा असर रोजगार पर पड़ रहा है। अगर रिटेल सेक्टर में नौकरियों को लेकर मार्च 2020 से मार्च 2021 की तुलना करें तो इस बार 23 प्रतिश कम रोजगार है।

शिक्षा के क्षेत्र में भी नौकरियों में भारी गिरावट देखी गई है। शैक्षणिक क्षेत्र में मार्च 2021 की तुलना में मार्च 2021 में रोजगार में 37 प्रतिशत की भारी कमी देखी गई है। वहीं मुंबई में लॉकडाउन और कर्फ्यू से डरे प्रवासी वापस अपने घरों की तरफ लौटने लगे हैं।

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English summary
coronavirus second wave impact on economy
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