11 दिन बाद दूसरों को संक्रमण नहीं फैलाते कोराना मरीज, नई रिसर्च में खुलासा
नई दिल्ली- कोरोना वायरस के मरीजों पर हुआ एक नया रिसर्च, काफी राहत देने वाला है। इस स्टडी में ये बात सामने आई है कि कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज पहले 11 दिन ही दूसरों को संक्रमित करते हैं। उसके बाद अगर उनका कोविंड-19 टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव भी आता है तो भी वह किसी दूसरे इंसान को संक्रमित नहीं कर सकते। यह रिसर्च सिंगापुर में की गई है। इसके अलावा भी इस शोध में कोरोना वायरस के बर्ताव के बारे में कई नई जानकारियां सामने आई हैं। बता दें कि दुनियाभर में कोरोना मरीजों का आंकड़ा 55 लाख तक पहुंचने वाला है और भारत में भी इसमें बहुत तेजी से इजाफा हो रहा है।
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11 दिन बाद दूसरों को इंफेक्टेड नहीं करते कोराना मरीज
वैज्ञानिकों ने पाया है कि कोरोना वायरस के मरीज बीमार होने के 11 दिन बाद किसी दूसरे को इंफेक्ट नहीं कर सकते, चाहे उनकी टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव क्यों न आ रही हो। यही नहीं सिंगापुर के शोधकर्ताओं ने पाया है कि जब कोरोना के मरीजों में लक्षण स्पष्ट तौर पर नजर आने शुरू हो जाते हैं, उससे करीब दो दिन पहले से ही उनकी बीमारी बेहद संक्रामक हो जाती है और वो दूसरों को संक्रमित कर सकते हैं। इसके बाद वह अगले 7 से 10 दिनों तक संक्रामक बने रहते हैं और इस दौरान उनके संपर्क में आने वालों को कोरोना हो सकता है। वैज्ञानिकों ने यह भी पाया है कि किसी मरीज की बामारी के 11 दिन बाद शोधकर्ता भी उससे कोरोना वायरस को आइसोलेट या Cultured नहीं कर सकते।
पहले हफ्ते तक ही ज्यादा खतरा
सिंगापुर के नेशनल सेंटर फॉर इंफेक्सियस डिजीजेज और अकैडमी ऑफ मेडिसीन कोरोना वायरस के 77 मरीजों की पड़ताल के बाद इस नतीजे पर पहुंचे हैं। रिसर्स में पाया गया कि मरीजों में दो हफ्ते बाद तक भी कोरोना वायरस के लक्षण मौजूद रहे और उनके टेस्ट भी पॉजिटिव आते रहे लेकिन, उनमें मौजूद वायरस दूसरों को संक्रमित नहीं कर सकते थे। शोधकर्ताओं ने अपनी रिसर्स में लिखा है- 'पहले हफ्ते के बाद ही ऐक्टिव वायरल रेप्लिकेशन तेजी से गिरने लगता है और बीमारी के दूसरे हफ्ते के बाद इंफेक्शन करने लायक वायरस नहीं पाया गया।'
बदल सकती है अस्पतालों से डिस्चार्ज पॉलिसी
मीडिया में छपी इस रिपोर्ट से पहले दुनियाभर में यही माना जाता था कि जब तक मरीज का कोविड-19 टेस्ट पॉजिटिव आ रहा है, वह दूसरों को भी संक्रमित कर सकता है। इसलिए भारत में भी हाल तक जबतक मरीजों का दो बार कोरोना वायरस टेस्ट निगेटिव नहीं आता था, उसे डिस्चार्ज नहीं किया जाता था। अभी भी कई देशों में यही माना जाता है कि जब लगातार दो बार कोविड-19 टेस्ट निगेटिव आ गया तभी मरीज घर जाने लायक है, अगर पॉजिटिव है तो नहीं। लेकिन, सिंगापुर के वैज्ञानिकों की यह रिसर्च मरीजों की डिस्चार्ज पॉलिसी को बदल सकता है।
वैज्ञानिकों को अपनी रिसर्च के नतीजों पर पूरा भरोसा
वैसे सिर्फ 77 मरीजों पर हुए यह रिसर्च को बहुत ही छोटा सैंपल साइज माना जा रहा, लेकिन इसके जो नतीजे आए हैं वह बहुत ही सकारात्मक हैं और इससे डॉक्टरों से लेकर पूरी दुनिया के लिए एक नई उम्मीद जगी है। सिंगापुर के नेशनल सेंटर फॉर इंफेक्सियस डिजीजेज के एग्जेक्यूटिव डायरेक्टर लियो यी सिन के मुताबिक सैंपल साइज छोटा तो है, लेकिन शोधकर्ता इसके नतीजे के प्रति पूरी तरह से आश्वस्त हैं। उन्हें यकीन है कि परिणाम इतने सटीक हैं कि बड़े सैंपल साइज में भी नतीजे बदलने वाले नहीं हैं। लियो यी सिन का कहना है कि साइंटिस्ट के नजरिए से मुझे पूरा यकीन है, हमारे पास पुख्ता प्रमाण हैं कि कोरोना के मरीज 11 दिन बाद संक्रामक नहीं रह जाते।
दुनियाभर में 55 लाख होने वाली है मरीजों की संख्या
बता दें कि दुनिया में कोरोना मरीजों की संख्या अब 55 लाख तक पहुंचने वाली है और मौत का ग्राफ भी 3.50 लाख को छूने वाला है। अपने देश में भी पिछले कुछ दिनों से संक्रमित मामलों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ने लगी है और 1.38 लाख से ज्यादा मरीज संक्रमित हो चुके हैं और मौत का आंकड़ा भी 4 हजार के पार जा चुका है। हालांकि, इनमें ठीक होने वाले लोगों की संख्या भी 57 हजार से ज्यादा हो चुकी है, जो काफी राहत वाली बात है।
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