जानिए, जमीन पर कैसे काम करते हैं बीजेपी के 'आईटी योद्धा'?
नई दिल्ली-पश्चिम बंगाल के कूच बिहार में गुरुवार को पहले चरण में ही वोट डाले जा रहे हैं। इस चुनाव में बीजेपी के एक लोकल वर्कर की सोशल मीडिया पर एक्टिविटी चर्चा का विषय बना हुआ है। 36 साल के दीपक दास जहां भी रहते हैं उनकी आंखें उनके दो सेल फोन के इर्द-गिर्द ही दौड़ती रहती हैं। इतना ही नहीं वे पार्टी के लिए फेसबुक पेज और ट्विटर हैंडल पर एक्टिव रहते हैं।
1,114 वॉट्सएप ग्रुप का एक एडमिन
इंडियन
एक्सप्रेस
के
मुताबिक
कूच
बिहार
के
गोपालपुर
गांव
में
एक
छोटी
सी
फार्मेसी
चलाने
वाले
दीपक
कहते
हैं
कि
उनके
जैसे
कार्यकर्ताओं
की
वजह
से
ही
आज
पार्टी
वहां
के
जमीनी
वोटर्स
तक
पहुंच
पा
रही
है।
उनके
मुताबिक
उनके
जैसे
कई
इलाकों
में
'सोशल
मीडिया
साइलेंट
वेपन'
का
काम
कर
रहा
है।
उनका
आरोप
है
कि
टीएमसी
के
"आतंक
और
दबदबे
के
कारण
भाजपा
के
लिए
व्यक्तिगत
तौर
पर
कैंपेन
करना
संभव
नहीं
है।"
दास
अपने
बारे
में
सबसे
बड़ा
खुलासा
करते
हुए
बताते
हैं
कि,'आईटी
योद्धा'
कूच
बिहार
में
की
प्लेयर
हैं,जहां
गुरुवार
को
पहले
चरण
में
चुनाव
हो
रहे
हैं।
वे
कहते
हैं-
"मैं
पार्टी
का
जिला
आईटी
सेल
कनवेनर
हूं।
यहां
मैं
1,114
वॉट्सएप
ग्रुप
का
एडमिन
हूं,
मैं
पार्टी
के
फेसबुक
पेज
को
देखता
हूं
और
ट्विटर
ट्रेंड्स
ऑर्गेनाइज
करता
हूं।"
उनके
एक
नंबर
पर
229
वॉट्सएप
ग्रुप
हैं
और
दूसरे
पर
885.
हर
ग्रुप
पर
कम
से
कम
30
और
ज्यादा
से
ज्यादा
250
लोग
हैं।
लोगों
के
ग्रुप
छोड़ने
और
जुड़ने
के
कारण
रोज
नंबर
बदलते
रहते
हैं।
उनके
पास
सुबह
के
6
में
बजे
से
एक
मिनट
की
फुर्सत
नहीं
रहती।
पाकिस्तान
पर
एयरस्ट्राइक
वाले
दिन
उन्होंने
लगातार
24
घंटे
काम
किया।
40 लोगों की टीम के बॉस
5 साल की बेटी के पिता दास के मुताबिक उन्हें कोलकाता में बीजेपी के प्रदेश आईटी सेल ने सोशल मीडिया की ट्रेनिंग दी है। हावड़ा में पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के साथ एक सेशन में भी वो हिस्सा ले चुके हैं। उनके अनुसार शाह ही उन लोगों को आईटी योद्धा कहकर बुलाते हैं और उन्होंने ही सोशल मीडिया के लिए डूज एंड डोंट्स की लिस्ट दी हुई है। लोगों के नंबर जोड़ने के बारे में उनक कहना है कि शुरुआत में उन्होंने पार्टी और सरकार के बारे में बात करने के लिए डोर टू डोर कैंपेन किया था, इसी दौरान उन्हें हर परिवार से स्मार्टफोन्स के नंबर मांग लिए थे। इसके अलावा पार्टी की मेंबरशिप कैंपेन के दौरान भी नंबर मिल गए। दास नरेंद्र मोदी के लिए 2014 में बीजेपी में शामिल हुए और पार्टी ने उन्हें ब्लॉक सचिव बना दिया। 2015 में एंड्रॉयड फोन खरीदने के बाद से ही वे सोशल मीडिया पर बीजेपी का कैंपेन चला रहे हैं। इस साल पार्टी ने उन्हें 10,000 रुपये का सेलफोन और प्रोटेबल चार्जर खरीद कर दिया है और अब पार्टी उनका यात्रा खर्च भी चुकाने लगी है। वे 12वीं तक की पढ़ाई कर चुके हैं, लेकिन उन्हें आर्थिक तंगी के कारण बीच में ही पढ़ाई छोड़नी पड़ गई। आज कूच बिहार में वे 40 लोगों की सोशल मीडिया टीम को हेड कर रहे हैं। उनकी टीम सेलफोन और डीएसएलआरा कैमरा से लैस है।
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'आईटी योद्धा' की असली चुनौती
अखबार के मुताबिक दास ये भी मानते हैं कि टीएमसी के ग्रुप में सेंध लगाने के लिए फेक एकाउंट्स का भी इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि उनकी सफाई है कि, "तृणमूल के पास यह (फेक एकाउंट्स) ज्यादा हैं। मेरे और मेरे साथियों के पास असली एकाउंट्स हैं। कुछ लोग हैं, जिससे लगता है कि वे टीएमसी समर्थक हैं। वे देखते हैं कि टीएमसी की टीम क्या कर रही है और हमें बताती है। वे अपने ग्रुप में टीएमसी की आलोचना भी करते हैं। टीएमसी हमारे साथ भी ऐसा ही करती है।" वे बतातें हैं कि उनका नेटवर्क बहुत बड़ा है। वह हर जगह निगाह रखते हैं और विरोधी दल के नेताओं और कार्यकर्ताओं के स्कैंडल से जुड़े फोटो और विडियो हमें भेजते रहते हैं। अभी हाल ही में एक विरोधी दल के नेता का कंप्रोमाइजिंक पोजिशन वाला फोटो किसी ने पोस्ट किया था। हमनें उसे तुरंत वायरल कर दिया। उनके अनुसार फेसबुक पर लोगों को जोड़ने के लिए उन्हें न्यूज भी डालने पड़ते हैं और डिबेट में भी हिस्सा लेना पड़ता है। तभी जाकर लोग जुड़ते हैं। बीच-बीच में पार्टी के मैसेज भी डालते रहते हैं। लेकिन, उनकी मुश्किल ये है कि कई बार सोशल मीडिया पर और कई बार शॉप पर भी विरोधियों ने उन्हें निशाना बनाया है और धमकी भी दी है। इसलिए बहुत लोग सामने से काम नहीं करते। चुनाव के दिन उनकी ड्यूटी बढ़ जाती है और उन्हें बूथ पर होने वाली हिंसा की तस्वीरें ऊपर, चुनाव आयोग, पुलिस और मीडिया को भेजनी पड़ती हैं।
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