नवजोत सिंह सिद्धू ने कृषि कानूनों को लेकर केंद्र पर साधा निशाना बोले- ये क़ैद कर खाना देने की बात करते हैं
नवजोत सिंह सिद्धू ने कृषि कानूनों को लेकर केंद्र पर साधा निशाना बोले- ये क़ैद कर खाना देने की बात करते हैं
नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए कृषि कानून को रद्द करने की मांग को लेकर दिल्ली बॉडर पर किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है। सार्वजनिक मंच पर अपनी बात बेबाकी से रखने वाले क्रिकेटर से नेता बने नवजोत सिंह सिद्धू ने एक किसान आंदोलन को लेकर अपनी राय रखते हुए भाजपा केंद्र सरकार पर कटाक्ष किया है।
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इंटरनेशनल किक्रेट में इंडियन टीम का प्रतिनिधित्व कर चुके नवजोत सिद्धू अपने प्रसंशकों के बीच अपने शायरना और चुटीले व्यंगकार के रूप में पहचाने जाते हैं। भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए सिद्धू एनडीए पर आए दिन हमला बोलते रहते हैं। पाकिस्तान सीएम इमरान खान से करीबी मित्र होने का खुलासा होने के बाद काफी समय तक चुप्पी साधने वाले सिद्धू जब से किसना आंदोलन शुरू हुआ है तभी से वो भाजपा पर हमलावर हैं। सीधे तौर पर कहें तो पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले किसानों के खैरख्वाह बनकर भाजपा को टारगेट करते हुए अपने वोटर जुटाने का प्रयास कर रहे हैं।
नवजोत सिंह सिद्धू ने किया ये ट्टीट
नवजोत सिंह सिद्धू ने फारमर प्रोटेस्ट और फार्म लॉ हैशटैग के साथ ट्वीट कर लिखा है "ये काले क़ानूनों की तहज़ीब है जनाब, ये क़ैद कर खाना देने की बात करते हैं। इसके बाद उन्होंने एक दूसरा ट्वीट लिखा- वो आएंगे नए वादे लेकर, तुम पुरानी शर्तों पर ही क़ायम रहना।
नवजोत तीन दिन से लगातार कर रहे हैं ट्वीट, पढ़ें....
सिद्धू किसान आंदोलन को लेकर लगातार ट्वीट कर रहे हैं। इससे पहले मंगलवार को उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा था- आग लगाने वाले को क्या खबर,रुख़ हवाओं ने बदला तो ख़ाक वो भी होंगे। वहीं दूसरे में लिखा था 'अपने ख़िलाफ़ बातें मैं अक्सर खामोशी से सुनता हूं, जवाब देने का हक़, मैंने वक्त को दे रखा है।इसके पहले सोमवार को भी एक ट्वीट किया जिसमें लिखा था- 'जिनको सुनाना है वो तो सुनता नहीं, और ख़ामख़ा, ज़माना कान लगाये बैठा है।' इस तरह सिद्धू लगातार तीन दिनों से कृषि कानून को लेकर मोदी सरकार पर तंज कसते हुए किसानों के पक्षकार बनकर हमला कर रहे है।
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कृषि कानूनों को लेकर हो चुकी है 10 बार वार्ता
बता दें लंबे समय से हरियाणा, पंजाब के किसान कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर लगातार आंदोलन कर रहे हैं। केंद्र सरकार से इस मुद्दे को लेकर अब तक लगभग 10 बार वार्ता भी हो चुकी है लेकिन ये वार्ता बेनतीजा रही। आंदोलनकारी किसान जहां तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं वहीं मोदी सरकार कह रही कि वो इसे रद्द नहीं करेगी सुझाव के आधार पर सुधार कर सकती है।