सर्वदलीय बैठक में अधीर रंजन ने उठाई मांग- 'क्रिसमस को ध्यान में रखते हुए तय हो शीतकालीन सत्र की तारीख'
कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने एक बार फिर केंद्र की मोदी सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि संसद के शीतकालीन सत्र की तारीख क्रिसमस को देखते हुए तय की जानी चाहिए।
कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने मंगलवार को केंद्र की मोदी सरकार पर हमला बोला। इस दौरान उन्होंने संसद के शीतकालीन सत्र की तारीखों पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार से मांग है कि क्रिसमस को देखते हुए संसद सत्र की तारीख तय करें। पत्रकारों से बातचीत के दौरान संसद के शीतकालीन सत्र की तारीखों में बदलाव को लेकर उन्होंने कहा कि जिस प्रकार हिंदू और मुसलमानों का त्यौहार होता है, वैसे ही क्रिसमस का भी ध्यान रखना चाहिए।
7
दिसंबर
से
शुरू
होगा
शीतकालीन
सत्र
संसद
का
शीतकालीन
सत्र
7
दिसंबर
से
शुरू
होगा
और
29
दिसंबर
को
खत्म
होगा।
इस
दौरान
कुल
सत्र
में
कुल
17
बैठकें
होंगी।
पत्रकारों
से
बातचीत
के
दौरान
कांग्रेस
सांसद
अधीर
रंजन
चौधरी
ने
मोदी
सरकार
पर
महंगाई
को
लेकर
भी
हमला
बोला।
उन्होंने
कहा
कि
देश
में
महंगाई
बढ़
रही
है।
जिसकी
वजह
से
जनता
परेशान
है।
इसके
अलावा
उन्होंने
मोदी
सरकार
पर
देश
में
माहौल
खराब
करने
का
भी
आरोप
लगाया।
उन्होंने
कहा
कि
केंद्र
सरकार
सभी
मोर्चों
पर
फेल
हो
रही
है।
साथ
ही
केंद्र
सरकार
का
सुप्रीम
से
भी
टकराव
चल
रहा
है।
कश्मीरी
पंडितों
को
लेकर
भी
केंद्र
सरकार
पर
बोला
हमला
अधीर
रंजन
चौधरी
ने
कश्मीरी
पंडितों
के
पलायन
को
लेकर
भी
केंद्र
सरकार
पर
हमला
बोला।
उन्होंने
कहा
कि
कश्मीर
में
कश्मीरी
पंडितों
पर
लगातार
जुल्म
बढ़ता
जा
रहा
है।
इसकी
वजह
से
वे
घाटी
छोड़ने
को
मजबूर
हैं।
आपको
बता
दें
कि
एक
हफ्ते
पहले
भी
कांग्रेस
सांसद
ने
केंद्र
सरकार
पर
सीएए
और
एनआरसी
को
लेकर
भी
हमला
बोला
था।
उन्होंने
केंद्र
पर
आरोप
लगाते
हुए
कहा
था
कि
सीएए
और
एनआरसी
हिंदुओं
के
लिए
सही
नहीं
है।
साथ
ही
उन्होंने
अभी
तक
इस
कानून
को
लागू
नहीं
करने
पर
भी
केंद्र
सरकार
पर
सवाल
उठाया
है।
उन्होंने
कहा
कि
केंद्र
सरकार
सिर्फ
राजनीति
के
लिए
ऐसा
करती
है।
किसानों
के
लिए
न्यूनतम
समर्थन
मूल्य
का
मुद्दा
भी
उठाया
कांग्रेस
सांसद
अधीर
रंजन
चौधरी
ने
न्यूनतम
समर्थन
मूल्य
का
भी
मुद्दा
उठाया।
उन्होंने
कहा
कि
केंद्र
सरकार
को
किसानों
के
लिए
न्यूनतम
समर्थन
मूल्य
पर
भी
ध्यान
देना
चाहिए।
ताकी
किसानों
के
साथ
भी
न्याय
हो
सके।
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