मायावती के शासन में उत्तर प्रदेश में हुए थे सांप्रदायिक दंगे?: फ़ैक्ट चेक
बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस में कहा कि जब वो उत्तर प्रदेश प्रदेश की मुख्यमंत्री में तब राज्य में कोई दंगा नहीं हुआ.
बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस में कहा कि जब वो उत्तर प्रदेश प्रदेश की मुख्यमंत्री में तब राज्य में कोई दंगा नहीं हुआ.
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में उनका शासन 'दंगों और क़ानूनी अराजकता से मुक्त था.'
इसके साथ ही उन्होंने गुजरात में नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्री शासन को 'काला धब्बा' बताया.
मायावती चार बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं. साल 1995 और 1997 में और फिर 2002-2003 और 2007-2012 तक.
बीबीसी की फ़ैक्ट चेक टीम ने मायावती के दावे की पड़ताल की और पाया कि उनकी बातें तथ्यपूर्ण नहीं है.
बीबीसी ने पाया कि मायावती का दावा ग़लत है क्योंकि मायावती के शासन काल में भी उत्तर प्रदेश में कई दंगे हुए थे.
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2007-2012 में 4,000 से ज़्यादा दंगे
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के मुताबिक़ 2007 से 2012 के बीच उत्तर प्रदेश में दंगों और झड़पों की चार हज़ार से ज़्यादा घटनाएं हुई थीं.
यूपी पुलिस में डीजीपी रहे विक्रम सिंह ने बीबीसी को बताया कि एनसीआरबी में राज्य पुलिस के दिए आंकड़े ही दर्ज होते हैं.
उन्होंने कहा, "आप जो घटनाएं देख रहे हैं वो राज्य पुलिस ने ख़ुद दर्ज कराए हैं. हमें समझना होगा कि दंगों का मतलब सिर्फ़ सांप्रदायिक दंगा नहीं होता है. इसमें छात्र समूहों के बीच हुई झड़पें, जातिगत संघर्ष, गांवों के लोगों के बीच हुई लड़ाइयों और हिंसक प्रदर्शन भी शामिल हैं."
हालांकि, दंगों के मामले में सिर्फ़ मायावती के शासन काल में ही नहीं हुए. साल 2012, 2014 और 2015 में दंगों के छह हज़ार मामले दर्ज हुए. इस दौरान समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव राज्य के मुख्यमंत्री थे.
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दंगे, झड़पें, संघर्ष और हिंसा
हालांकि ये बात सही है कि मायावती के शासन काल में बड़े स्तर पर कोई सांप्रदायिक दंगा नहीं हुआ लेकिन दूसरे तरह के दंगों की घटनाएं हुईं.
अगस्त 2007 में पुलिस को आगरा में हुई हिंसा के बाद ताजमहल और इसके आस-पास के इलाक़ों में कर्फ़्यू लगाना पड़ा था.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक़ मुस्लिम समुदाय के कुछ लोगों ने पुलिस की गाड़ियां जला दी थीं. ये हिंसा तब शुरू हुई जब कुछ मुसलमान एक ट्रक की चपेट में आकर जान गंवा बैठे.
इस हिंसा में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी और कई लोग घायल हुए थे. घायलों में एक पुलिसकर्मी भी शामिल था.
मार्च 2010 में बरेली में हिंदुओं और मुसलमानों के बीच झड़प हो गई थी. ये हिंसा तब हुई थी जब मुस्लिम समुदाय के पैगंबर मोहम्मद साहब के जन्मदिन पर निकाले जाने वाले जुलूस को लेकर दोनो पक्षों में झड़प हो गई थी.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार बरेली से शुरू हुई हिंसा जल्दी ही आस-पास के इलाक़ों में भी फैल गई. इस दौरान दोनों समूहों ने एक दूसरे पर लाठियों और पत्थरों से हमला किया, दुकानें जलाईं और घरों में तोड़-फोड़ की. आख़िरकार हिंसा पर लगाम लगाने के लिए बरेली में भी कर्फ़्यू लगाना पड़ा था.
मई, साल 2011 में सरकार द्वारा भूमि-अधिग्रहण के विरोध और सरकार से ज़्यादा मुआवज़े की मांग करते हुए उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में किसानों ने पुलिस अधिकारियों पर पत्थरों और लाठियों से हमला किया. ग्रेटर नोएडा में दो पुलिस कॉन्स्टेबलों और एक किसान की मौत हो गई थी.
मायावती जून 1995 से अक्टूबर 1995 तक भी उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री थी. नागरिक मंच नाम की एक संस्था की रिपोर्ट के मुताबिक़ जून, 1955 में उत्तर प्रदेश के रणखंडी में सांप्रदायिक दंगे हुए थे.
रिपोर्ट के मुताबिक़ रणखंडी में कई हिंदुओं ने एक मस्जिद के निर्माण का विरोध किया था लेकिन इसके बावजूद जब मस्जिद बन गई तब एक भीड़ ने मस्जिद में तोड़-फोड़ की. इसके बाद वहां दंगे भड़क गए थे.
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