CJI रमन्ना ने उठाया अदालतों में बुनियादी ढांचे का मुद्दा, बोले- 26 फीसदी परिसरों में शौचालय तक नहीं
नई दिल्ली, 23 अक्टूबर: देश के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन्ना ने देश में अदालतों में बुनियादी ढांचा ना होने को लेकर सवाल उठाया है। सीजेआई ने कहा कि शौचालय और पीने की पानी जैसी सुविधाओं की कमी कोर्ट्स में है, जिस पर ध्यान दिया जाना चाहिए। बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद पीठ में एनेक्सी की दो इमारतों के लोकार्पण समारोह में बोलते हुए चीफ जस्टिस ने ये बातें कहीं। जब उन्होंने ये कहा तो देश के कानून मंत्री किरण रिजिजू भी मंच पर मौजूद थे।
सीजेआई एनवी रमन्ना ने कहा, देशभर में केवल 5 प्रतिशत अदालत परिसरों में बुनियादी चिकित्सा सहायता उपलब्ध है। 26 प्रतिशत अदालतों में महिलाओं के लिए कोई अलग शौचालय नहीं हैं और 16 प्रतिशत अदालतों में तो टॉयलेट है ही नहीं। करीब 50 प्रतिशत न्यायालय परिसरों में लाइब्रेरी और 46 प्रतिशत न्यायालय परिसरों में शुद्ध पानी की सुविधा नहीं है। 32 फीसदी अदालतों में ही अलग से रिकॉर्ड रूम हैं। अभी तक सिर्फ 27 फीसदी कोर्ट में ही जजों के टेबल पर कंप्यूटर लगे सके हैं।
चीफ जस्टिस ने कहा कि देश की अदालतों के लिए न्यायिक बुनियादी ढांचे को हमेशा से नजरअंदाज किया जाता रहा है। एक धारणा सी बन गई है कि अदालतें तो ऐसे ही काम कर सकती हैं। सच्चाई ये है कि सुविधाएं ना होने से काम पर फर्क पड़ता है। अदालत के ढांचागत विकास से वहां काम करने वालों को ही नहीं फरियादियों की भी आसानी होती है।
उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय न्यायिक इंफ्रास्ट्रक्चर प्राधिकरण की स्थापना के लिए एक प्रस्ताव कानून मंत्रालय को भेजा गया है। मैं कानून मंत्री से आग्रह करता हूं कि संसद के आगामी सत्र में इस मुद्दे को उठाकर प्रस्ताव में तेजी लाई जाए। जिस पर कानून मंत्री किरण रिजिजू ने कहा कि न्यायपालिका को पूरा समर्थन दिया जा रहा है और उसे मजबूत बनाने के लिए हर कदम उठाए जा रहे हैं।
अदालतों को लेकर लोगों की अच्छी सोच नहीं
चीफ जस्टिस ने इस दौरान कहा कि एक बड़े तबके में यह धारणा है कि भले लोग अदालतों में नहीं जाते हैं। लोग गर्व से कहते हैं कि वे अपने जीवन में कभी अदालत का मुंह नहीं देखा। हमें अदालत जाने से हिचकिचाना नहीं चाहिए। आखिरकार न्यायपालिका में लोगों का भरोसा लोकतंत्र की बड़ी ताकत में से एक है।
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