सुनंदा पुष्कर की मौत- कौन सा रहस्य है जो खुलते-खुलते रह गया?
डॉक्टर के इस बयान ने मीडिया में तूल पकड़ लिया और देखते ही देखते केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन सक्रिय रूप से आगे आ गये और एम्स से रिपोर्ट तलब की। हालांकि देर शाम एम्स ने डॉक्टर के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया।
दिन भर की गहमागहमी से एक सवाल जरूर सामने आया है कि अगर चिंगारी उठी है, तो कहीं न कहीं आग जरूर लगी होगी। यानी दबाव डालने की बात अगर आयी है, तो कहां से आयी। अगर यह किसी के द्वारा उड़ाई गई अफवाह मात्र है, तो स्वास्थ्य मंत्री ने इतनी जल्दबाजी क्यों की। आखिर कौन सा ऐसा रहस्य है, जो बुधवार को खुलते-खुलते रह गया?
थरूर चाहते हैं गहन जांच हो
खैर थरूर ने अधिकारियों से 'गहन जांच' करने और 'शीघ्र एवं पारदर्शी' निष्कर्ष देने का आग्रह किया है।
गौरतलब है कि डा. सुधीर गुप्ता ने ये आरोप लगाये थे। वहीं एम्स के वरिष्ठ अधिकारियों ने अपने फोरेंसिक विभाग के विभागाध्यक्ष सुधीर गुप्ता के आरोपों का सिरे से खंडन किया है और कहा है कि उनपर ऐसा कोई दबाव नहीं डाला गया था। प्रसूति एवं स्त्रीरोग विज्ञान विभाग की चिकित्सक नीरजा भटला ने कहा, "एम्स प्रशासन को मीडिया के माध्यम से सुधीर गुप्ता द्वारा सुनंदा पुष्कर की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में फेरबदल का दबाव डालने के आरोप लगाने की जानकारी मिली है।"
उन्होंने कहा, "एम्स (अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान) प्रशासन इस प्रकार के आरोपों को सिरे से खारिज करता है।" यहां एक संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने कहा, "पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बदलाव का कोई प्रयास नहीं किया गया।"
मंत्रालय को भेजी जायेगी फाइल
एम्स के प्रवक्ता अमित गुप्ता ने कहा कि सुधीर गुप्ता अभी भी एम्स के फोरेंसिक विभाग के विभागाध्यक्ष हैं और उनपर एम्स प्रशासन की ओर से कोई दबाव नहीं है। गुप्ता ने कहा, "केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से एक पत्र प्राप्त हुआ है और मामले में जानकारी मांगी गई है। इसका जवाब तैयार कर लिया गया है और मंत्रालय को भेजा जाएगा।"
इससे पहले मीडिया में आई खबरों में कहा गया है कि एम्स में फोरेंसिक विभाग के विभागाध्यक्ष सुधीर गुप्ता ने कहा कि पुष्कर की मौत 'स्वाभाविक' दर्शाने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों ने उनपर दबाव डाला था, लेकिन उन्होंने दबाव मानने से इनकार किया और 20 जनवरी को सौंपी गई अपनी रिपोर्ट में कहा था कि पुष्कर की मौत जहरीली दवाओं के कारण हुई जो आत्महत्या या हत्या में से कुछ भी हो सकता है। उन्हें इस बात का डर है कि उन्हें पद से हटाया जा सकता है।
लोकसेवाओं में भर्ती और सेवा शर्तो से संबंधित विवाद का निपटारा करने वाले केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) को सौंपे गए अपने शपथ पत्र में गुप्ता ने आरोप लगाया है कि एम्स ने उनके कनिष्ठ को विभागाध्यक्ष के रूप में प्रोन्नत करने और उन्हें उनके पद से हटाने का फैसला ले लिया है।
सूत्रों ने कहा कि गुप्ता को पद से हटाने का डर सता रहा है क्योंकि उन्होंने 'सही पोस्टमार्टम रिपोर्ट दी है।'
क्या कहर रही है दिल्ली पुलिस
इस मुद्दे पर विवाद गहराने के बाद शशि थरूर ने बुधवार को तिरुवनंतपुरम में एक बयान जारी कर अधिकारियों से अपनी दिवंगत पत्नी सुनंदा पुष्कर की मौत के मामले की 'गहन जांच' और 'त्वरित एवं पारदर्शी' तरीके से जांच पूरी करने का अनुरोध किया। थरूर ने बयान में कहा है, "मेरी पत्नी सुनंदा की दुखद मौत के समय से ही मैं अधिकारियों से गहन जांच करने और शीघ्र व पारदर्शी निष्कर्ष के लिए कहता आ रहा हूं।"
पुष्कर के परिवार के लोगों ने भी इसी तरह का नजरिया रखते हुए कहा, "हम सभी अधिकारियों के साथ पूरी तरह सहयोग कर रहे हैं।"
इस बीच दिल्ली पुलिस के आयुक्त बी.एस. बस्सी ने बुधवार को कहा कि यदि जरूरी समझा गया तो अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के फोरेंसिक विभाग के अध्यक्ष सुधीर गुप्ता से पूछताछ की जाएगी और उनका शपथ पत्र अभिलेख पर रखा जाएगा।
बस्सी ने मीडिया को बताया, "यदि जरूरी हुआ तो सुधीर गुप्ता से पूछताछ की जाएगी और यदि आवश्यकता पड़ी तो उनका शपथ पत्र जो संभवत: उनके द्वारा कैट के समक्ष दायर किया जा चुका है, को भी अभिलेख पर लाया जाएगा।" पुष्कर नई दिल्ली के एक पांच सितारा होटल में 17 जनवरी को मृत पाई गई थी।
इनपुट- इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।