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चीन पर भारत के आर्थिक प्रतिबंध के बाद बोला ड्रैगन, यह WTO के नियमों का उल्लंघन

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नई दिल्ली। भारत और चीन के बीच पिछले कुछ समय में आपसी संबंध काफी खराब हुए हैं। भारत ने चीन के साथ कई व्यापारिक संबंध खत्म कर लिए, दर्जनों चीनी ऐप को प्रतिबंधित कर दिया। लद्दाख में सीमा विवाद के बाद भारत में चीन का जमकर विरोध हो रहा, लोग चीनी उत्पादों का बहिष्कार कर रहे हैं। इन सब के बीच चीन के राजदूत सन वेडोंग ने कहा कि भारत और चीन के बीच व्यापारिक संबंध को कम करना सही नहीं है। वैश्वीकरण के इस दौर में दोनों ही देशों की अर्थव्यवस्था एक दूसरे पर निर्भर है।

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भारत में काफी चीनी उत्पाद का होता है आयात

इंस्टिट्यूट ऑफ चायनीज स्टडीज के एक वेबिनार में बोलते हुए वेडोंग ने कहा कि भारत और चीन दोनों ही देश वैश्विक इंडस्ट्री और सप्लाई चेन में एक दूसरे पर काफी निर्भर हैं। 2018-19 के आंकड़ों के अनुसार भारत 92 फीसदी कंप्यूटर, 82 फीसदी टीवी सेट, 80 फीसदी ऑप्टिकल फाइबर्स, 85 फीसदी मोटरसाइकिल के पार्ट चीन से आयात करता है। इस तरह के अनंत उदाहरण हैं जोकि वैश्वीकरण को परिलक्षित करते हैं। आप इसे स्वीकार करें या नहीं करे लेकिन ग्लोबलाइजेशन के इस दौर में इसे खारिज नहीं किया जा सकता है।

32 गुना व्यापार बढ़ा

चीनी राजदूत ने कहा कि 21वीं शताब्दी में भारत और चीन के बीच द्वीपीय व्यापार 32 गुना बढ़ा है और यह बढ़कर 100 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है। चीन भारत के लिए सबसे बड़े ट्रेड पार्टनर के रूप में रहा है। चीन ने भारत में 8 बिलियन डॉलर का निवेश किया है। दोनों देशों के बीच व्यापार की वजह से मोबाइल फोन इंडस्ट्री, घर के सामान की इंडस्ट्री, इंफ्रास्ट्रक्चर, ऑटोमोबाइल, दवा, जैव इंडस्ट्री काफी ढ़ी है और इसके चलते बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार मिला है और भारतीयों को बेहतर उत्पाद मिले हैं। चीन और भारत की अर्थव्यवस्था एक दूसरे पर परस्पर निर्भर हैं।

WTO के नियमों का दिया हवाला

वेडोंग ने कहा कि मेरे एक जर्मन दोस्त जोकि भारत में काम करते हैं, उन्होंने बताया कि भारत ने हाल ही में कुछ चीनी उत्पादों के आयात पर प्रतिबंध लगाया है, इसकी वजह से जर्मनी के ऑटो निर्माता पर खासा असर पड़ा है। यह साफ तौर पर दर्शाता है कि आत्मरक्षा, टैरिफ बैरियर और प्रतिबंधित करने वाले कदम विश्व व्यापार संगठन के व्यापार के नियमों का उल्लंघन है। यह ना सिर्फ खुद को बल्कि दुनिया को भी नुकसान पहुंचाएगा।

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English summary
Chinese says it is not right to decoupling of India- China economy.
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