कोरोना वायरस का डेल्टा प्लस वेरिएंट डब्ल्यूएचओ के लिए अभी चिंता का विषय नहीं
कोरोना वायरस का डेल्टा प्लस वेरिएंट अभी डब्ल्यूएचओ के लिए चिंता का विषय नहीं
नई दिल्ली, 1 जुलाई: कोरोना वायरस के डेल्टा प्लस वेरिएंट को लेकर हाल के दिनों में कई विशेषज्ञों ने चिंताएं जाहिर की हैं। हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के लिए ये वेरिएंट अभी 'वेरिएंट ऑफ कंसर्न' यानी चिंता का विषय नहीं है। डब्ल्यूएचओ में मुख्य वैज्ञानिक डॉक्टर सौम्या स्वामीनाथन ने एनडीटीवी के साथ एक बातचीत में ये जानकारी दी है।
डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने कहा है कि कोरोना के डेल्टा प्लस वेरिएंट से संक्रमित के बहुत कम मामले अभी सामने आए हैं। ऐसे में इसको लेकर अभी बहुत चिंतित होने की जरूरत नहीं है। डब्ल्यूएचओ के लिए भी ये फिलहाल वेरिएंट ऑफ कंसर्न नहीं है।
कई देशों के भारत में लग रही वैक्सीनको मान्यता ना देने के मामले पर डॉ सौम्या ने कहा कि कोविशील्ड को अपने वैक्सीन पासपोर्ट कार्यक्रम से रोकने वाले कई देशों ने इसकी कोई मजबूत वजह नहीं बताई, ये एक तरह से ज्यादातर तकनीकी पर किया गया क्योंकि एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन यूरोप में एक अलग ब्रांड में उपलब्ध है, वहीं भारत में इसका ब्रांड अलग है।
भारत कई शहरों में डेल्टा प्लस के मामले
भारत में कई शहरों में डेल्टा प्लस वेरिएंट के मामले मिल चुके हैं। भारत में डेल्टा प्लस वैरिएंट का पहला केस 11 जून को मिला था। यह डेल्टा वैरिएंट से ही तब्दील होकर बना है। देश में अब तक डेल्टा प्लस वैरिएंट के 50 से ज्यादा केस मिल चुके हैं। हालांकि एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया भी इसको लेकर ज्यादा चिंता ना करने की बात कह चुके हैं। गुलेरिया का कहना है कि अब तक ऐसा कोई डेटा नहीं मिला है, जिसके आधार पर यह कहा जा सके कि डेल्टा प्लस वैरिएंट के चलते ज्यादा मौतें हुई हैं या इसका संक्रमण तेजी से फैल रहा है। इसके अलावा कोरोना वैक्सीन को मात देने की बात भी किसी डेटा से पुष्ट नहीं होती।
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