देश के सबसे highly decorated सेना अधिकारी थे बिपिन रावत, परम विशिष्ट सेवा मेडल समेत मिल चुके हैं 18 पदक
नई दिल्ली, 08 दिसंबर: तमिलनाडु के ऊटी के पास कुन्नूर में बुधवार को हुए एक हेलीकॉप्टर हादसे में सीडीएस जनरल बिपिन रावत का निधन हो गया। दिसंबर 2019 में सरकार ने पहली बार चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ का पद बनाने की घोषणा की थी और 30 दिसंबर को जनरल बिपिन रावत इस पद पर नियुक्त किए गए। बिपिन रावत तीनों सेनाओं के प्रमुख के इस पद पर नियुक्ति पाने वाले पहले अधिकारी थे। 4 दशक लंबे करियर में रावत ने कई अहम पदों पर सेवाएं दीं। उन्हें अपनी सेवा के दौरान एक दर्जन से अधिक मेडलों और सम्मानों से नवाजा गया था।
2016 को चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ का पद संभाला था
साल 1978 में भारतीय सेना में शामिल होने वाले जनरल रावत ने 17 दिसंबर 2016 को चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ का पद संभाला। रावत सबसे पहले 11 गोरखा राइफल्स की पांचवीं बटालियन के जवान के रूप में सेना का हिस्सा बने थे। चार दशकों की सेवा के दौरान बिपिन रावत ब्रिगेडियर कमांडर, जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ सदर्न कमांड, मिलिट्री ऑपरेशन्स डायरेक्टोरेट में जनरल स्टाफ ऑफिसर ग्रेड, कर्नल मिलिट्री सेक्रेटरी समेत कई बड़े पदों पर रहे।
18 सेना मेडलों से नवाजे गए बिपिन रावत
सीडीएस रावत संयुक्त राष्ट्र की पीस कीपिंग फोर्स का भी हिस्सा रहे और डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो में बहुराष्ट्रीय ब्रिगेड की कमान संभाली। सैन्य सेवा के दौरान जनरल रावत को परम विशिष्ट सेवा मेडल, उत्तम युद्ध सेवा मेडल, अति विशिष्ट सेवा मेडल, युद्ध सेवा मेडल,सेना मेडल, विशिष्ट सेवा मेडल, वॉउंड मेडल, सामान्य सेवा मेडल,स्पेशल सर्विस मेडल,ऑपरेशन प्रकाशम मेडल,सैन्य सेवा मेडल, हाई एल्टिट्यूड सर्विस मेडल, विदेश सेवा मेडल, स्वतंत्रता के 50 साल का मेडल, 30 साल लंबी सर्विस का मेडल, 20 साल लंबी सर्विस का मेडल, 9 साल लंबा सर्विस मेडल, मॉनुस्को(MONUSCO) मिले हैं। ये सभी मेडल उनकी वर्दी पर भी मौजूद रहते थे।
उनके नाम है कई खास उपलब्धियां
पौड़ी गढ़वाल के एक गांव में 16 मार्च 1958 को पैदा हुए बिपिन लक्ष्मण सिंह रावत का परिवार पीढ़ियों से सेना में रहा है। उनके पिता लक्ष्मण सिंह रावत लेफ्टिनेंट जनरल के पद से 1988 में रिटायर हुए थे। ऐसे परिवार से आने वाले बिपिन रावत ने करियर के रूप में सेना को ही चुना था। बिपिन रावत को 1978 में सेना की 11वीं गोरखा राइफल्स की पांचवीं बटालियन में कमीशन मिला था। भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए) में उन्हें सोर्ड ऑफ ऑनर से सम्मानित किया गया था। जनरल रावत ने 1999 में पाकिस्तान के साथ हुए करगिल युद्ध में हिस्सा लिया था।
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पूर्वोत्तर में उग्रवाद को खत्म करने में रावत ने अहम भूमिका निभाई थी
उन्हें 1 सितंबर 2016 को उप सेना प्रमुख बनाया गया था। जनरल रावत ने सेना की कमान 31 दिसंबर 2016 को संभाली थी। उन्हें दो अधिकारियों पर तरजीह दी गई थी। पूर्वोत्तर में उग्रवाद को खत्म करने में रावत ने अहम भूमिका निभाई थी। उन्होंने साल 2015 में म्यांमार में क्रॉस बॉर्डर ऑपरेशन का अभियान चलाया था। पूर्वोत्तर में उग्रवाद को खत्म करने में रावत ने अहम भूमिका निभाई थी। उन्होंने साल 2015 में म्यांमार में क्रॉस बॉर्डर ऑपरेशन का अभियान चलाया था।