मिसाल: 60 मुस्लिम वोटों वाले गांव में हिंदुओं ने मुस्लिम युवक को चुना पंचायत अध्यक्ष!
बेंगलुरू। कहते हैं कि भारत इसलिए नहीं सेक्युलर है, क्योंकि यहां का संविधान धर्मनिरपेक्ष है बल्कि हिन्दुस्तान इसलिए सेक्युलर है, क्योंकि यहाँ के लोग सेक्युलर हैं। इसका जीता-जागता मिसाल पेश किया है तमिलनाडु के पोडाकोट्टई जिले में स्थित एक गांव के बहुसंख्यक हिंदुओं ने, जिन्होंने महज 60 मुस्लिम वोटों वाले सेरियालुर इनाम गांव में हुए पंचायत अध्यक्ष चुनाव में एक मुस्लिम को अपना नेता चुना है।
तमिलनाडु के सेरियालुर इनाम गांव के एक हिंदु बहुल गांव के पंचायत अध्यक्ष चुने गए 45 वर्षीय मोहम्मद जियावुद्दीन को मतदान में पड़े कुल 1,360 वोटों में से 554 वोट मिले। धर्मनिरपेक्षता की मिसाल बनकर उभरे सेरियालुर गांव में सिर्फ 60 मुस्लिम मतदाता हैं और बाकी मतदाता हिंदू हैं। जियावुद्दीन का समर्थन करने वाले एक ग्रामीण के मुताबिक 'जियावुद्दीन से करीबी अंतर से हारने वाले बहुसंख्यक हिंदू शंकर को सिर्फ 17 वोट कम मिले थे।'
गौरतलब है एक ओर जब देश में नागरिकता संशोधन एक्ट को लेकर विपक्ष मुस्लिम को भड़काने में लगा है, जिससे भारत के धर्मनिरपेक्ष छवि को धक्का पहुंच सकता है। ऐसे में सेरियालुर इनाम गांव उम्मीद की किरण है। हालांकि यह पहली दफा नहीं है जब भारत के अंदर निहित सेक्युलरिज्म का नमूना सामने आया है।
पूर्व राष्ट्रपति अबुल कलाम आजाद इसके सबसे सटीक उदाहरण कहे जा सकते हैं, जिन्हें एनडीए ने राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार चुना थाा। इसके अतिरिक्त पूरा बॉलीवुड भरा पड़ा ऐसे उदाहरणों से जहां बहुसंख्यक हिंदुओं ने तीन सुपर स्टार सलमान खान, आमिर खान और शाहरूख खान को अपने सिर आंखों पर बैठाया है।
सेरियालुर इनाम गांव वाले बताते है कि सेरियालुर उन कई पंचायत सीटों में से एक है, जहां पहले पंचायत अध्यक्ष की सीट नीलाम होती रही है। इससे पहले यह पोस्ट 10 लाख रुपए में नीलाम हुई थी। एक ग्रामीण ने बताया कि इस बार गांव वाले पंचायत अध्यक्ष पद की नीलामी के पक्ष में नहीं थे, क्योंकि यह स्थानीय लोगों के पक्ष में भी नहीं होता था। हालांकि हिंदुओं के सेक्युलर छवि के खिलाफ एक नैरेटिव यह भी गढ़ा जा रहा है कि मुस्लिम अल्पसंख्यक का चुनाव गांववालों ने सीएए के विरोध में किया है।
उल्लेखनीय है कि भारत सरकार द्वारा गजेट किए गए नागरिकता संशोधन कानून किसी भी भारतीय नागरिक के खिलाफ भेदभाव नहीं करता है, चाहे वह हिंदू हो अथवा मुस्लिम, लेकिन देश का विपक्ष लगातार सीएए के विरोध खासकर मुस्लिम अल्पसंख्यक को यह कहकर भड़का रहा है कि यह मुस्लिमों की नागरिकता छीनने वाला कानून है।
इस संबंध में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी सदन में स्पष्ट कर चुके हैं। केंद्रीय गृह मंत्री के मुताबिक सीएए नागरिकता लेने वाला नहीं बल्कि नागरिकता देने वाला कानून है, जो सीएए में चिन्हित तीन पड़ोसी देश अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के धर्म आधारित प्रताड़ना के शिकार हुए नागरिकों के लिए है।
बीजेपी सरकार सीएए के खिलाफ फैलाए जा रही विपक्ष की भ्रांतियों के खिलाफ 5 जनवरी से एक कैंपेन भी चला रही है ताकि खास कर अल्पसंख्यकों के बीच भ्रम को दूर किया जा सके। इस कैंपेन में बीजेपी के चुने गए सांसद और विधायक अपने इलाकों में जाकर खासकर अल्पसंख्यकों को सीएए के बार में विस्तार से बता रहे हैं। खुद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली में इस कैंपेन की शुरूआत की और लोगों को सीएए के खिलाफ फैलाए जा रहे भ्रांतियों पर बातें स्पष्ट की।
मालूम हो, नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ राजधानी दिल्ली में हिंसक विरोध-प्रदर्शन शुरू हुआ था जब जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में एकत्र छात्रों ने विरोध प्रदर्शन करना शुरू किया। विरोध प्रदर्शन के पहले दिन सब कुछ शांतिपूर्ण निपट गया, लेकिन दूसरे दिन माहौल गर्मा गया और देखते ही देखते शांति पूर्ण विरोध-प्रदर्शन हिंसा में बदल गया और पुलिस को भीड़ को तितर-बितर करने के लिए बल का प्रदर्शन करना पड़ा।
सीएए विरोध-प्रदर्शन की आड़ में राजनीतिक दलों द्वारा सेंकी जा रहीं रोटियां थी। इसका खुलासा तब हुआ तब जामिया कैंपस में 500 से अधिक फर्जी एडमिट कार्ड जब्त किए गए। जामिया कैंपस में चली गोलियां किसी बाहरी तत्व द्वारा चलाए जाने की पुष्टि हुई। दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने दिल्ली पुलिस पर आरोप मढ़ दिया कि दिल्ली पुलिस का जवान शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन को हिंसक बनाने के लिए डीटीसी बस में पेट्रोल डालते हुए पकड़ा गया।
हालांकि डिप्टी सीएम की सियासत और झूठ का खुलासा जल्द हो गया। एक वीडियो में खुलासा हो चुका था कि डिप्टी सीएम सिसोदिया, जिसे दिल्ली पुलिस के जवान पर डीटीसी बस पर पेट्रोल डालने का आरोप लगा रहे थे, वह वास्तव में डीटीसी बस में लगी आग को बुझाने के लिए पानी डाल रहा था। इस वीडियो के खिलासे के बाद मनीष सिसोदिया की खूब फजीहत हुई और राजनीतिक दलों के सीएए के खिलाफ चल रहे शांतिपूर्ण विरोध-प्रदर्शन को हिंसक में तब्दील करने के उनके एजेंडे को भी खोल दिया।
राजधानी दिल्ली के सीलमपुर और जाफराबाद में भी इकट्टा हुई भीड़ ने सरकारी बसों को नुकसान पहुंचाने के लिए पथराव किया। पुलिस तफ्तीश में पता चला कि मुस्लिम बहुल इलाकों में शामिल सीलमपुर और जाफराबाद में पत्थर बरसाने वाले लोग अवैध बांग्लादेशी थे।
पुलिस ने पत्थर बरसाने वाले में से 10 अवैध बांग्लादेशी नागरिकों को गिरफ्तार करने में सफलता पाई। महज मुस्लिम वोट बैंक के लिए खेल जा रहे राजनीतिक खेल का जब खुलासा हुआ तो राजनीतिक दलों ने मुस्लिम अल्पसंख्यकों को भरमाने के लिए एनआरसी का मुद्दा छेड़ दिया।
जबकि अभी देश में एनआरसी लाने की अभी कोई तैयारी सरकार द्वारा नहीं की गई है। यह बात रामलीला मैदान में आयोजित एक रैली में खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी स्पष्ट कर चुके हैं। खुद केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह भी इस बारे में दिए एक बयान में कह चुके हैं कि अभी पूरे देश में एनआरसी लाने की कवायद नहीं शुरू की गई है। हालांकि उन्होंने इसकी जरूर तस्दीकी थी कि देर सबेर पूरे देश असम की तरह एनआरसी लागू किया जाएगा और अवैध घुसपैठिए को देश से बाहर निकाला जाएगा।
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धर्मनिरपेक्षता की मिसाल बने सेरियालुर गांव में सिर्फ 60 है मुस्लिम मतदाता
तमिलनाडु के सेरियालुर इनाम गांव के एक हिंदु बहुल गांव के पंचायत अध्यक्ष चुने गए 45 वर्षीय मोहम्मद जियावुद्दीन को मतदान में पड़े कुल 1,360 वोटों में से 554 वोट मिले। धर्मनिरपेक्षता की मिसाल बनकर उभरे सेरियालुर गांव में सिर्फ 60 मुस्लिम मतदाता हैं और बाकी मतदाता हिंदू हैं। जियावुद्दीन का समर्थन करने वाले एक ग्रामीण के मुताबिक 'जियावुद्दीन से करीबी अंतर से हारने वाले बहुसंख्यक हिंदू शंकर को सिर्फ 17 वोट कम मिले थे।'
तमिलनाडु का सेरियालुर इनाम गांव हिंदुस्तान में सेक्युलरिज्म का मिसाल
एक ओर जब देश में नागरिकता संशोधन एक्ट को लेकर विपक्ष मुस्लिम को भड़काने में लगा है, जिससे भारत के धर्मनिरपेक्ष छवि को धक्का पहुंच सकता है। ऐसे में सेरियालुर इनाम गांव उम्मीद की किरण है। हालांकि यह पहली दफा नहीं है जब भारत के अंदर निहित सेक्युलरिज्म का नमूना सामने आया है। पूर्व राष्ट्रपति अबुल कलाम आजाद इसके सबसे सटीक उदाहरण कहे जा सकते हैं, जिन्हें एनडीए ने राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार चुना थाा। इसके अतिरिक्त पूरा बॉलीवुड भरा पड़ा ऐसे उदाहरणों से जहां बहुसंख्यक हिंदुओं ने तीन सुपर स्टार सलमान खान, आमिर खान और शाहरूख खान को अपने सिर आंखों पर बैठाया है।
सीएए नागरिकता लेने वाला नहीं बल्कि नागरिकता देने वाला कानून है
भारत सरकार द्वारा गजेट किए गए नागरिकता संशोधन कानून किसी भी भारतीय नागरिक के खिलाफ भेदभाव नहीं करता है, चाहे वह हिंदू हो अथवा मुस्लिम, लेकिन देश का विपक्ष लगातार सीएए के विरोध खासकर मुस्लिम अल्पसंख्यक को यह कहकर भड़का रहा है कि यह मुस्लिमों की नागरिकता छीनने वाला कानून है। इस संबंध में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी सदन में स्पष्ट कर चुके हैं। केंद्रीय गृह मंत्री के मुताबिक सीएए नागरिकता लेने वाला नहीं बल्कि नागरिकता देने वाला कानून है, जो सीएए में चिन्हित तीन पड़ोसी देश अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के धर्म आधारित प्रताड़ना के शिकार हुए नागरिकों के लिए है।
विपक्ष की भ्रांतियों के खिलाफ 5 जनवरी से एक कैंपेन भी चला रही है बीजेपी
बीजेपी सरकार सीएए के खिलाफ फैलाए जा रही विपक्ष की भ्रांतियों के खिलाफ 5 जनवरी से एक कैंपेन भी चला रही है ताकि खास कर अल्पसंख्यकों के बीच भ्रम को दूर किया जा सके। इस कैंपेन में बीजेपी के चुने गए सांसद और विधायक अपने इलाकों में जाकर खासकर अल्पसंख्यकों को सीएए के बार में विस्तार से बता रहे हैं। खुद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली में इस कैंपेन की शुरूआत की और लोगों को सीएए के खिलाफ फैलाए जा रहे भ्रांतियों पर बातें स्पष्ट की।
नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ जामिया में हुआ हिंसक प्रदर्शन
नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ राजधानी दिल्ली में हिंसक विरोध-प्रदर्शन शुरू हुआ था जब जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में एकत्र छात्रों ने विरोध प्रदर्शन करना शुरू किया। विरोध प्रदर्शन के पहले दिन सब कुछ शांतिपूर्ण निपट गया, लेकिन दूसरे दिन माहौल गर्मा गया और देखते ही देखते शांति पूर्ण विरोध-प्रदर्शन हिंसा में बदल गया और पुलिस को भीड़ को तितर-बितर करने के लिए बल का प्रदर्शन करना पड़ा।
डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने दिल्ली पुलिस पर लगाए झूठे आरोप
सीएए विरोध-प्रदर्शन की आड़ में राजनीतिक दलों द्वारा सेंकी जा रहीं रोटियां थी। इसका खुलासा तब हुआ तब जामिया कैंपस में 500 से अधिक फर्जी एडमिट कार्ड जब्त किए गए। जामिया कैंपस में चली गोलियां किसी बाहरी तत्व द्वारा चलाए जाने की पुष्टि हुई। दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने दिल्ली पुलिस पर आरोप मढ़ दिया कि दिल्ली पुलिस का जवान शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन को हिंसक बनाने के लिए डीटीसी बस में पेट्रोल डालते हुए पकड़ा गया।