CAA:लखनऊ और असम में हुई हिंसा में जिस PFI का आया है नाम, उसकी असलियत जानिए
नई दिल्ली- नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ लखनऊ और असम में हुई हिंसा में पुलिस ने पॉपुरल फ्रंट ऑफ इंडिया का हाथ बताया है और इससे जुड़े सरगनाओं को गिरफ्तार भी किया है। गिरफ्तारी से पहले दोनों राज्यों की सरकारें यह दावा कर चुकी थीं कि उपद्रव की साजिश रचने में पीएफआई जैसे कट्टरपंथी संगठन का हाथ है। आइए जानते हैं कि यह संगठन क्यों कुख्यात होता जा रहा है और कहां-कहां इसपर किस किस तरह के आरोप लग चुके हैं और कहां पर इसपर पाबंदी भी लगानी पड़ी है।
लखनऊ हिंसा में सामने आया पीएफआई का हाथ
नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ यूपी की राजधानी लखनऊ में हुई हिंसा के सिलसिले में पुलिस ने पॉपुरल फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के तीन सदस्यों को गिरफ्तार किया है। पुलिस का दावा है कि नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ गुरुवार को हुई हिंसा में इसी संगठन का हाथ था और इसी ने ही हिंसा की साजिश रची थी। इस हिंसा के लिए पुलिस ने जिन 3 लोगों को गिरफ्तार किया है, उनकी पहचान पीएफआई के अध्यक्ष वसीम अहमद, कोषाध्यक्ष नदीम और क्षेत्रीय अध्यक्ष अशफाक के तौर पर हुई है। पुलिस के मुताबिक पीएफआई के सदस्यों ने हिंसा को अंजाम देने के लिए कई बैठकें कीं और इनके खिलाफ उसके पास पर्याप्त सबूत मौजूद हैं। बता दें कि 22 दिसंबर को यूपी के उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने भी कहा था कि नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ राजधानी लखनऊ सहित प्रदेश के अन्य जिलों में हिंसा भड़काने में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया का हाथ सामने आया है। उन्होंने कहा था कि पीएफआई प्रतिबंधित सिमी का ही छोटा रूप है।
असम हिंसा में भी सामने आया था पीएफआई का हाथ
बता दें कि इनसे पहले असम में भी नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ हिंसा की साजिश रचने के सिलसिले में पीएफआई के असम चीफ अमिनुल हक को गिरफ्तार किया गया था। असम पुलिस ने अमिनुल के करीबी सहयोगी और प्रेस सेक्रेटरी मुजमिल हक को भी गिरफ्तार किया था। जानकारी के मुताबिक ये दोनों दिसपुर सचिवालय पर हमले में शामिल थे। गौरतलब है कि असम के वित्त मंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने भी संदेह जताया था कि हिंसा में प्रतिबंधित संगठनों के हाथ होने का शक है।
पीएफआई क्या है?
पीएफआई एक उग्र इस्लामी कट्टरपंथी संगठन है। इसी साल झारखंड में इसपर प्रतिबंध लगाया गया था। राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में शामिल होने की शिकायतों के बाद प्रदेश सरकार ने ये कदम उठाया था। राज्य सरकार ने माना था कि यह आईएसआई से प्रभावित रहा है। इस संगठन के कुछ सदस्यों के सीरिया जैसे देशों में भी सक्रिय होने की बातें कही गई थीं। इस संगठन पर सांप्रदायिक माहौल खराब करने के भी आरो लग चुके हैं। पिछले साल केरल में भी इसको लेकर काफी विवाद हो चुका है और पाबंदी लगाने की मांग उठ चुकी है। एर्नाकुलम एक छात्र की बेरहमी से हुई हत्या के बाद ये विवाद शुरू हुआ था।
कब बना था पीएफआई?
पीएफआई अपने बारे में दावा करता है कि वह लोगों को उनका हक दिलाने और उनके सामाजिक हितों के लिए काम करता है। 2006 में नेशनल डेवलपमेंट फ्रंट के बाद इसका गठन किया गया था। पीएफआई पर पहले भी कई गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप लग चुके हैं। इस संगठन का एक महिला विंग भी है। जानकारी के मुताबिक मौजूदा वक्त में यह 16 राज्यों में सक्रिय है और इससे 15 से अधिक मुस्लिम संगठन जुड़े हुए, जिनके सदस्यों की संख्या हजारों में है।
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