योगी आदित्यनाथ ने 'राम के तीर' से साधा 2019 पर निशाना
राजनीतिक गलियारों में अयोध्या पर बीजेपी के फोकस के मायने निकाले जा रहे हैं। पहले भी अयोध्या के चलते बीजेपी को बड़ी राजनीतिक बढ़त मिल चुकी है
नई दिल्ली। सीएम योगी आदित्यनाथ छोटी दिवाली के मौके पर अयोध्या में भव्य दिवाली मना रहे हैं। इस आयोजन को सिर्फ दिवाली आयोजन ही नहीं कहा जा सकता, बल्कि यह एक तरह से बीजेपी के लिए 2019 के आम चुनावों की तैयारी की शुरुआत है। सरकार का कहना है कि वह अयोध्या को टूरिस्ट डेस्टीनेशन के तौर पर विकसित करने का प्रयास कर रही है, लेकिन राजनीतिक गलियारों में इसके मायने निकाले जा रहे हैं।
योगी की अयोध्या दिवाली के मायने
राजनीतिक गलियारों में अयोध्या पर बीजेपी के फोकस के मायने निकाले जा रहे हैं। पहले भी अयोध्या के चलते बीजेपी को बड़ी राजनीतिक बढ़त मिल चुकी है। जानकारों का मानना है कि दशकों तक अयोध्या को नजरअंदाज किया गया। तीर्थस्थल के विकास पर फोकस करना अच्छा कदम है। लेकिन, यह अकेले पर्यटन का ही मसला नहीं है। स्थान और उससे जुड़ी योजनाओं का चयन इस बात के संकेत देता है कि इसके जरिए लोकसभा चुनाव को साधने की कोशिश है। जिसमें नौकरियों की कमी और इकॉनमी में कमजोरी के चलते नुकसान उठाना पड़ सकता है।
हिंदुत्व का पुनरुत्थान
इसे हिंदुत्व का पुनरुत्थान भी कहा जा सकता है। जब से यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ बने हैं कई तरह के प्रोजेक्टस को अयोध्या से जोड़ा गया है। इसका मकसद अयोध्या को विकसित करना तो है ही साथ ही इसका राजनीतिक फायदा भी लिया जाएगा। कहने वाले तो ये भी कहते है कि योगी आदित्यानाथ को यूपी का सीएम इसलिए ही बनाया गया था कि वो पूरे देश में राम की अलख जगाकर बीजेपी की फायदा पहुंचा सके।
अयोध्या में धमाकेदार दिवाली
अयोध्या में यूपी सरकार का दिवाली ग्रैंड शो ऐसे वक्त में हो रहा है, जब कर्नाटक में विश्व हिंदू परिषद धर्म संसद का आयोजन कर रही है। इसमें शंकराचार्यों के अलावा तमाम संत हिस्सा ले रहे हैं। धर्म संसद में राम मंदिर निर्माण, गोरक्षा, गंगा और सामाजिक सद्भाव पर प्रस्ताव पारित हो सकते हैं। सीनियर वीएचपी लीडर शरद शर्मा ने कहा, 'धर्म संसद से केंद्र सरकार पर राम मंदिर निर्माण के लिए कानून लाने का दबाव भी डाला जा सकता है।
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