चुनाव जीतने के लिए ये है बीजेपी का अचूक फॉर्मूला
नई दिल्ली। देश में आने वाले दिनों में राजनीतिक पारा बढ़ने वाला है। साल के अंत में कुछ बड़े राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं तो उसके बाद 2019 का लोकसभा चुनाव होगा। मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मिजोरम में साल के आखिर में होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर सरगर्मियां तेज हो गई हैं। तेलंगाना में भी संभावना जताई जा रही है कि इन्हीं राज्यों के साथ चुनाव कराए जा सकते हैं। राजनीतिक दल खासकर बीजेपी और कांग्रेस के लिए मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के चुनावों के बड़े मायने हैं। बीजेपी को जहां इन तीनों राज्यों में अपनी सत्ता बचाने की चुनौती है तो वहीं कांग्रेस लोकसभा चुनाव में जाने से पहले इन राज्यों में कुछ ऐसा करना चाहती है कि देश में उसके पक्ष में कुछ लहर बने और वो विपक्षी दलों को भी एक बड़े भाई के तौर पर एकजुट कर सके। तीनों राज्यों में बीजेपी का संगठन मजबूत है और वो अपने कैडर के जरिए जमीनी स्तर पर तैयारियों में जुट गई है।
अल्पसंख्यकों पर नजर
बीजेपी ने जिस तरह से अपने चुनावी मैनेजमेंट को संभाला और उसे जमीन पर उतारा है वो वाकई किसी भी राजनीतिक दल के लिए एक सीख हो सकती है। अब पार्टी देश के अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्रों में भी अपनी पकड़ मजबूत करने की तैयारी में लगी है। पार्टी इन इलाकों में अपने सबसे निचले स्तर पर होने वाले बूथ प्रबंधन को मजबूत कर रही है। पार्टी ने जिस तरह से ट्रिपल तालक और निकला-हलाला पर पहल की और अल्पसंख्यक समुदाये की महिलाओं ने जिस तरह से इसका स्वागत किया पार्टी अब उसी का फायदा उठाना चाहती है।
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बूथ प्रबंधन होगा मजबूत
वन इंडिया को बीजेपी के सूत्रों ने बताया है कि पार्टी अल्पसंख्यक बहुल जिले, इलाके और ऐसे बूथों की लिस्ट तैयार कर रही है जहां पिछले लोकसभा चुनावों के वक्त उसका प्रबंधन कमजोर रहा था। पार्टी अब इन्हीं बूथों पर कम से कम 12-14 सदस्यों को नियुक्त करने की योजना बना रही है। सूत्रों ने कहा कि उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, राजस्थान, गुजरात, केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र और जम्मू-कश्मीर कुछ ऐसे सबसे महत्वपूर्ण राज्य हैं जहां पार्टी न केवल अल्पसंख्यकों के बीच पैठ करने के लिए ध्यान केंद्रित कर रही है बल्कि पार्टी इस समुदाय के वोटों को भी अपने पक्ष में करने की कोशिश में है।
कुछ खास इलाके चिन्हित
बीजेपी
सूत्रों
ने
कहा
कि
2014
के
लोकसभा
चुनावों
में
भाजपा
को
अल्पसंख्यक
केंद्रित
बूथों
में
लगभग
20
प्रतिशत
वोट
मिले
थे।
इस
बार
पार्टी
इसमें
इजाफा
करना
चाहती
है।
ये
केवल
तभी
संभव
होगा
जब
बीजेपी
के
प्रतिनिधि
हर
एक
बूथ
पर
मौजूद
हों,
जो
न
केवल
मतदाताओं
का
मार्गदर्शन
करने
में
मदद
करे
बल्कि
उन्हें
बूथ
तक
भी
लाए।
अल्पसंख्यक
मामलों
के
मंत्रालय
के
अनुसार
देश
में
90
अल्पसंख्यक
बहुल
जिले
हैं।
लगभग
338
क्लास
वन
कैटेगरी
के
कस्बे
हैं
जहां
अल्पसंख्यक
आबादी
कुल
जनसंख्या
का
25
प्रतिशत
या
अधिक
है।
1228
ऐसे
ब्लॉक
हैं
जहां
पर
भी
अल्पसंख्यक
आबादी
कुल
आबादी
का
25
प्रतिशत
या
ज्यादा
है।
इसके
अलावा
251
ऐसे
क्लास
वन
और
क्लास
दो
कैटेगरी
के
कस्बे
हैं
जहां
अल्पसंख्यक
आबादी
कुल
आबादी
का
25
प्रतिशत
या
अधिक
है
और
सामाजिक-आर्थिक
मानदंडों
पर
कमजोर
हैं।
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