बाल गंगाधर तिलक पुण्यतिथि: जानिए 'स्वराज हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है' नारा देने वाले लोकमान्य के बारे में?
बाल गंगाधर तिलक पुण्यतिथि: 'स्वराज हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है' नारा देने वाले लोकमान्य के बारे में जानिए रोचक तथ्य
नई दिल्ली, 01 अगस्त: "स्वराज हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है, और हम इसे लेकर रहेंगे।" इस नारे से स्वतंत्रता की लौ जगाने वाले स्वतंत्रता सेनानी लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की आज पुण्यतिथि है। बाल गंगाधर तिलक एक समाज सुधारक, भारतीय राष्ट्रवादी और स्वतंत्रता सेनानी थे। वह स्वराज के अनुयायी थे। बाल गंगाधर तिलक का निधन 1 अगस्त 1920 को हुआ था। मराठी और हिंदी में उनके भाषण लोकप्रिय थे। उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ भारत की स्वतंत्रता की नींव रखने में मदद की और इसे एक राष्ट्रीय आंदोलन में बदल दिया। बाल गंगाधर तिलक भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के पहले नेता के रूप में श्रेय दिया जाता है। उन्हें प्यार से 'लोकमान्य' कहा जाता था। लोकमान्य का मतलब है 'लोगों द्वारा स्वीकृत' किया जाना।
बाल गंगाधर तिलक की पुण्यतिथि पर आइए जानें उनके बारे में रोचक बातें?
-ब्रिटिश अधिकारियों ने बाल गंगाधर तिलक को "भारतीय अशांति का जनक" कहा था। बाल गंगाधर तिलक का जन्म 23 जुलाई 1856 को महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले में एक मध्यमवर्गीय मराठी हिंदू चितपावन ब्राह्मण परिवार में हुआ था।
-उन्होंने 1884 में डेक्कन एजुकेशन सोसाइटी की स्थापना की थी। जिसका मुख्य उद्देश्य लोगों को अंग्रेजी भाषा में शिक्षित करना था क्योंकि वे भाषा को उदार और लोकतांत्रिक आदर्शों के लिए एक शक्तिशाली शक्ति मानते थे।
-बाल गंगाधर तिलक ने मराठी में 'केसरी' ("द लायन") और अंग्रेजी में 'द महरत्ता' जैसे समाचार पत्र शुरू किए थे। ये अखबार आजादी की लड़ाई के दौरान मशहूर हो गए थे और अंग्रेजों और नरमपंथियों के तरीकों की आलोचना की थी।
-बाल गंगाधर तिलक ने 1893 में गणेश और 1895 में शिवाजी नामक दो महत्वपूर्ण त्योहारों का भी आयोजन किया था। गणेश इसलिए क्योंकि ये सभी हिंदुओं द्वारा पूजे जाते थे। वहीं शिवाजी पहले हिंदू शासक थे जिन्होंने भारत में मुस्लिम शक्ति के खिलाफ लड़ाई लड़ी और मराठा साम्राज्य की 17वीं सदी में स्थापना की।
-बाल गंगाधर तिलक ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उदारवादी रवैये का विरोध किया था। वह उस समय के सबसे प्रख्यात कट्टरपंथियों में से एक थे।