Ayodhya Verdict: फैसले से पहले लोगों ने घर में राशन इकट्ठा करना शुरू किया, कुछ लोग छोड़ रहे शहर
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लखनऊ। अयोध्या मसले पर कोर्ट में सुनवाई पूरी होने के बाद कभी भी इसका फैसला आ सकता है। ऐसे में लोगों के भीतर संशय की स्थिति बरकरार है। अयोध्या में रहने वाले लोग कोर्ट के फैसले से पहले अपनी पूरी तैयारी में जुट गए हैं। फैसले के बाद की स्थिति से निपटने के लिए स्थानीय लोग हर संभव तैयारी में जुटे हैं। कुछ लोग पर्याप्त मात्रा में खाने-पीने की चीजों को इकट्ठा कर रहे हैं, जबकि कई लोग अपने परिवार के साथ दूसरी जगह पर जाने लगे हैं, जहां वह सुरक्षित महसूस कर सके।
डर का माहौल
कोर्ट के फैसले के मद्देनजर कुछ लोग अपनी शादी के कार्यक्रम में भी फेरबदल कर रहे हैं तो कुछ शादी के स्थान को बदल रहे हैं और अयोध्या की बजाए किसी दूसरी जगह से शादी करने की योजना बना रहे हैं। सैयदवाड़ा में काम करने वाले टेलर का कहना है कि लोग आपस में बात करते हैं और कहते हैं कि सबसे पहले सैयदवाड़ा को ही निशाना बनाया जाएगा, लोगों में डर का माहौल है। बता दें कि सैयदवाड़ा में हिंदू मंदिर के पास कई मुस्लिम परिवार रहते हैं।
लोग कर रहे हैं इंतजाम
एक अन्य व्यक्ति का कहना है कि अगर राम मंदिर के पक्ष में फैसला नहीं आता है तो स्थिति बिगड़ सकती है। ऐसी स्थिति में हम क्या करेंगे, इसीलिए हम अपने परिवार को बाहर भेज रहे हैं। कई लोगों ने भी ऐसा ही किया है। यहां से कुछ दूर रहने वाले घनश्याम गुप्ता जिनका परिवार हनुमान गढ़ी के पास तीन दशक से लड्डू बेचता आ रहा है, उसका कहना है कि हमने जरूरी इंतजाम कर लिए हैं, बर्तन और अनाज को पर्याप्त मात्रा में घर में जमा कर लिया है। रामजन्मभूमि विवाद में विवादी उमर फारुक का कहना है कि उन्हें पहले भी ये सब देखा है, जब 2010 में कोर्ट ने अपना फैसला दिया था। यही नहीं जब पिछले वर्ष शिवसेना यहां आई थी तो भी हालात ऐसे ही थे।
हालात पर पैनी नजर
फारुक का कहना है कि हालांकि अयोध्या में रहने वालों को कभी भी एक दूसरे से कोई दिक्कत कभी नहीं हुई। यहां हमेशा बाहर से आने वालों ने मुश्किल खड़ी की। इलाके में शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए जिला प्रशासन शांति मार्च कर रहा है और लोगों से अधिक संख्या में इकट्ठा नहीं होने को कह रहा है। साथ ही किसीस भी तरह का तनाव बढ़ाने वाली पोस्ट पर सोशल मीडिया पर पैनी नजर रखी जा रही है। डीएम अनुज कुमार झा ने बताया कि अक्टूबर और नवंबर माह में हिंदू महंत और मुस्लिम इमाम के साथ कई बैठक की गई हैं और उन्हें सुरक्षा का भरोसा दिया गया है।
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