अयोध्या मामला: शबाना आजमी-नसीरूद्दीन समेत 100 मुस्लिम हस्तियों ने किया पुनर्विचार याचिका का विरोध, कही ये बात
नई दिल्ली। अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की एक बैठक हुई थी जिसमें सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर करने का फैसला लिया गया था। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा था कि वे शरिया कानून के मुताबिक, किसी तरह की जमीन का टुकड़ा स्वीकार नहीं करेंगे। वहीं, पुनर्विचार याचिका दायर करने के मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के फैसले का दिग्गज एक्टर नसीरूद्दीन शाह और शबाना आजमी समेत 100 मुस्लिम हस्तियों ने विरोध किया है।
100 मुस्लिम हस्तियों ने किया पुनर्विचार याचिका का विरोध
इन मुस्लिम हस्तियों ने कहा है कि अयोध्या मामले में कुछ पक्षकारों का पुनर्विचार याचिका करने का फैसला इस विवाद को जिंदा रखेगा और इससे मुस्लिमों का नुकसान होगा। पुनर्विचार याचिका दायर करने के फैसले के विरोध में इस्लामी विद्वान, सामाजिक कार्यकर्ता, वकील, पत्रकार, एक्टर्स, संगीतकार आदि ने हस्ताक्षर किए हैं। उन्होंने कहा है, 'इस पर भारतीय मुस्लिम समुदाय, संविधान के जानकारों, सेकुलर संगठनों की अप्रसन्नता जाहिर करते हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला देने के लिए कानून के ऊपर आस्था को रखा है।'
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अयोध्या विवाद को जीवित रखना मुस्लिमों का नुकसान करेगा- मुस्लिम हस्तियां
इसमें कहा गया है कि वे इस बात से सहमत हैं कि ये फैसला न्यायिक रूप से त्रुटिपूर्ण है लेकिन हमारा मानना है कि अयोध्या विवाद को जीवित रखना भारत के मुसलमानों को नुकसान पहुंचाएगा और उनकी मदद नहीं करेगा। इस बयान पर नसीरूद्दीन शाह और आजमी के अलावा अंजुम राजबली, पत्रकार जावेद आनंद जैसे प्रमुख नाम शामिल हैं।
एआईएमपीएलबी दायर करेगी पुनर्विचार याचिका
मुस्लिम पक्ष की तरफ से वकील जफरयाब जिलानी ने कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई पांच एकड़ जमीन को स्वीकार नहीं करेंगे क्योंकि यह शरिया कानून के खिलाफ है। जफरयाब जिलानी सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील है। इस बैठक के बाद मौलाना रहमान ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले में कई विरोधाभासी बातें कही गई हैं। शरिया के अनुसार मस्जिद वहीं पर रहती है जहां उसका एक बार निर्माण हो जाता है। शरिया में इस बात की इजाजत नहीं है कि हम मस्जिद के बदले किसी तरह की जमीन, पैसा स्वीकार करें। बता दें कि अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर को ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। सुप्रीम कोर्ट ने विवादित जमीन का मालिकाना हक रामलला विराजमान को दिया था और मुस्लिम पक्ष को मस्जिद के लिए अयोध्या में ही 5 एकड़ जमीन देने का फैसला सुनाया था।