अयोध्या केस: सुप्रीम कोर्ट के इतिहास की दूसरी सबसे लंबी सुनवाई, जानिए 40 दिनों में क्या हुआ
नई दिल्ली: अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सुनवाई पूरी कर ली। दोनों पक्षों की तरफ से दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने दलीलों के लिए शाम 5 बजे तक की समयसीमा निर्धारित की थी। हालांकि बहस तय समय से एक घंटे पहले चार बजे ही समाप्त हो गई। सुप्रीम कोर्ट के इतिहास की ये दूसरी सबसे बड़ी सुनवाई है।
40 दिन तक चली सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई 40 दिनों तक चली। 6 अगस्त से इस मामले की सुनवाई प्रतिदिन हो रही थी। कोर्ट ने दोनों पक्षों से तीन दिन के भीतर मोल्डिंग ऑफ रिलीफ पर लिखित हलफनामा मांगा है। इससे पहले दिन में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि वो राजनीतिक रूप से संवेदनशील रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद की सुनवाई समाप्त कर देगा। कोर्ट ने कहा कि अब बहुत हुआ, शाम 5 बजे तक इस मामले में पूरी सुनवाई पूरी होगी और यही बहस का अंत होगा।
कोर्ट ने और समय देने से किया इनकार
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने कहा कि वो पिछले 39 दिनों से अयोध्या भूमि विवाद मामले की सुनवाई कर रही है और अब इस मामले में सुनवाई समाप्त करने के लिए सभी पक्षों को आज से अधिक समय नहीं दिया जाएगा। इस मामले में सुनवाई के दौरान हिंदू पक्ष के वकील सीएस वैद्यनाथन ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड और अन्य मुस्लिम पक्ष ये साबित करने में विफल रहे कि मुगल सम्राट बाबर ने यहां मस्जिद बनाई थी। एस वैद्यनाथन ने कहा कि जबतक जमीन पर हक ना हो तो मस्जिद नहीं बनाई सकती है।
राजीव धवन ने नक्शा फाड़ा
इस मामले में मुस्लिम पक्ष की तरफ से पेश सीनियर वकील राजीव धवन ने सुनवाई के दौरान उस नक्शे को फाड़ दिया, जिसमें राम की वास्तविक जन्मस्थली बताया गया। अखिल भारतीय हिंदू महासभा का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने एक चित्रमय नक्शे का हवाला देते हुए कहा कि ये दिखाता कि भगवान राम का जन्म यहीं हुआ था। इस पर धवन ने आपत्ति जताई।
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