क्विक अलर्ट के लिए
अभी सब्सक्राइव करें  
क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

Ayodhya Case: मुस्लिम पक्ष के वकील ने कहा- है राम के वजूद पे हिन्दोस्तां को नाज़...

Google Oneindia News

बेंगलुरु। अयोध्या स्थित विवादित स्थल के निपटारे के लिए सुप्रीम कोर्ट की फास्ट ट्रैक कोर्ट पिछले 25 दिनों से लगातार सुनवाई कर रही है। आज मंगलवार को 25वें दिन की अदालत की सुनवाई के दौरान सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील राजीव धवन ने अल्लामा इकबाल का एक शेर पढ़ कर सबको सोच में डाल दिया।

rammandir

सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ के सामने चल रही इस सुनवाई के दौरान धवन ने अल्लामा इक़बाल का एक शेर पढ़ा - 'है राम के वजूद पे हिन्दोस्तां को नाज़, अहल-ए-नज़र समझते हैं उसको इमाम-ए-हिंद'। उन्होंने कहा कि भगवान राम की पवित्रता पर कोई विवाद नहीं है। इसमें भी विवाद नहीं है कि भगवान राम का जन्म अयोध्या में कहीं हुआ था, लेकिन इस तरह की पवित्रता स्थान को एक न्यायिक व्यक्ति में बदलने के लिए पर्याप्त कब होगी?

असल में यह बात अयोध्या भूमि विवाद मामले में मंगलवार को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन से पूछा कि भगवान का स्वयंभू होना क्या सामान्य प्रक्रिया है? ये कैसे साबित करेंगे कि राम का जन्म वहीं हुआ या नहीं?

sc

इस पर राजीव धवन ने कहा कि यही तो मुश्किल है। रामजन्मस्थान का शिगूफा तो ईस्ट इंडिया कंपनी ने 1855 में छोड़ा और हिंदुओं को वहां रामचबूतरा पर पूजा पाठ करने की इजाजत दी। इसी के बाद धवन ने इकबाल की शायरी का ज़िक्र कर राम को इमामे हिंद बताते हुए उन पर नाज़ की बात कहीं लेकिन फिर कहा कि बाद में वो बदल गए थे और पाकिस्तान के समर्थक बन गए थे।

धवन ने दलील दी कि 'जन्मस्थान'एक न्यायिक व्यक्ति नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि जन्माष्टमी भगवान कृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाई जाती है, लेकिन कृष्ण न्यायिक व्यक्ति नहीं हैं। शिया वक्फ़ बोर्ड के दावे को खारिज करते हुए धवन ने दलील दी कि बाबरी मस्जिद वक़्फ की संपत्ति है और सुन्नी वक्फ़ बोर्ड का उस पर अधिकार है। उन्होंने कहा कि 1885 के बाद ही बाबरी मस्जिद के बाहर के राम चबूतरे को राम जन्मस्थान के रूप में जाना गया।

ram mandir

जस्टिस अशोक भूषण ने धवन से वो पैरा पढ़ने को कहा जिसमें ये कहा गया था कि हिंदू जन्मस्थान सिद्ध कर दें तो मुस्लिम पक्ष दावा और ढांचा खुद ही ढहा देंगे। इस पर धवन ने पैरा पढ़ा। धवन ने कहा कि घंटियों के चित्र, मीनार और वजूखाना न होने से मस्जिद के अस्तित्व पर कोई फर्क नहीं पड़ता। जस्टिस बोबड़े ने एक मौलाना का स्टेटमेंट पढ़ने को कहा जिसका क्रॉस एक्जाम नहीं हुआ था। यानी उस मौलाना के हवाले से दी गई धवन की दलील शून्य हो गई क्योंकि क्रॉस एक्जाम से पहले ही मौलाना का इंतकाल हो गया था।

इसके अलावा अयोध्या विवाद की सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायालय ने सभी पक्षकारों के वकीलों को यह बताने को कहा कि वे अपनी दलीलें पूरी करने में कितना समय लेंगे। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने सुनवाई के दौरान सभी पक्षकारों के वकीलों से पूछा कि उन्हें अपनी दलीलें पूरी करने के लिए कितना वक्त चाहिए। संविधान पीठ में न्यायमूर्ति गोगोई के अलावा न्यायमूर्ति एसए बोबडे, न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नज़ीर शामिल हैं।

rammandir

दरअसल सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील राजीव धवन ने कहा कि वह शुक्रवार को बहस से छुट्टी लेंगे, लेकिन न्यायमूर्ति गोगोई ने कहा कि क्या यह संभव है कि शुक्रवार को कोई अन्य पक्ष बहस कर ले, ताकि समय का सदुपयोग हो जाए। इस पर धवन ने कहा कि वह नहीं चाहते कि बहस की उनकी निरंतरता खराब हो। उन्होंने कहा कि हम भी चाहते हैं कि फैसला जल्दी आए लेकिन हम बहस की निरंतरता भंग नहीं होने देना चाहेंगे। इसके बाद मुख्य न्यायाधीश ने सभी पक्षकारों से कहा कि वे यह बताएं कि उन्हें कितना समय चाहिए अपनी बहस पूरी करने के लिए।

बता दें कि कुछ दिनों पहले सुप्रीम कोर्ट में अदालत की कार्रवाई के दौरान तो सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील राजीव धवन ने यह कहकर सबको चौका दिया था कि हिंदू आस्था के आधार पर कोर्ट राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद का फैसला नहीं कर सकती है। विवादित भूमि पर दलील पेश करते हुए वकील राजीव धवन ने कहा था कि विवादित भूमि का निपटारा हिन्दू आस्था से नहीं किया जाना चाहिए बल्कि मामले को कानूनी तरीकों से निपटाना चाहिए।

वकील यही नहीं रूके, उन्होंने आगे कहा कि स्कंद पुराण और वेदों के जरिए मामले का निपटारा संभव नहीं हो सकता है, क्योंकि अयोध्या में हिंदुओं की आस्था हो सकती है, लेकिन वो कभी भी सबूत की जगह नहीं टिक सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट के फास्ट ट्रैक कोर्ट में उक्त दलील दे रहे मुस्लिम पक्षकार के वकील राजीव धवन ने उच्चतम अदालत से कहा कि रामलला विराजमान और परिक्रमा के दस्तावेजों पर भरोसा नहीं कर सकते हैं।

उन्होंने पुराने केस और फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि देवता की संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं, केवल सेवायत का ही होता है। इस दौरान इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ के आदेश पर पुरातत्व विभाग के सर्वेक्षण में मिले मंदिर अवशेष के सबूतों पर मुस्लिम पक्षकार के वकील कोई चर्चा नहीं की।

इसे भी पढ़े -Ayodhya Case:क्या मध्‍यस्‍थता से सुलझ जाएगा रामजन्‍मभूमि विवाद ?

Comments
English summary
Ayodhy Case Advocate of the Muslim Side Said- Hindus are Proud on the Existence of Ram...
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X