अरुणाचल के तवांग की लुमला सीट पर 27 फरवरी को होगा उपचुनाव, सिर्फ इतने मतदाता डालेंगे वोट
27 फरवरी को अरुणाचल प्रदेश की एक सीट पर उपचुनाव के लिए भी वोटिंग होनी है। तवांग जिले की लुमला सीट बीजेपी के सीटिंग विधायक के निधन के चलते खाली हुई थी।
मेघालय और नागालैंड विधानसभा चुनावों के साथ ही 27 फरवरी को अरुणाचल प्रदेश की भी एक मात्र सीट पर उपचुनाव के लिए वोटिंग होगी। अरुणाचल के चर्चित तवांग जिले की लुमला सीट पिछले साल नवंबर में सीटिंग विधायक जंबे ताशी के निधन से खाली हो गई थी। अरुणाचल प्रदेश में भी 60 सदस्यों वाली विधानसभा है, जहां 2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 41 सीटें जीतकर बंपर बहुमत से सरकार बनाई थी। आधिकारिक सूचना के मुताबिक लुमना विधानसभा उपचुनाव के लिए 31 जनवरी को अधिसूचना जारी की जाएगी और 7 फरवरी तक नामांकन दाखिल किए जाएंगे।
अरुणाचल
की
लुमला
में
27
फरवरी
को
उपचुनाव
27
फरवरी
को
होने
वाले
लुमला
उपचुनाव
के
लिए
अरुणाचल
में
8
फरवरी
को
नामांकन
पत्रों
की
जांच
की
जाएगी
और
उम्मीदवार
10
फरवरी
तक
अपना
नामांकन
पत्र
वापस
ले
सकेंगे।
वोटों
की
गिनती
का
काम
त्रिपुरा,
मेघालय
और
नागालैंड
विधानसभा
के
साथ
ही
2
मार्च
को
होगा।
चुनाव
की
घोषणा
के
साथ
ही
पूरे
तवांग
जिले
में
चुनाव
आचार
संहिता
लागू
हो
चुकी
है।
लुमला
में
कुल
9,169
मतदाता
मुख्य
निर्वाचन
अधिकारी
ने
किसी
भी
तरह
की
शिकायत
मिलने
पर
संबंधित
विभागों
को
कड़ी
कार्रवाई
करने
के
निर्देश
दे
रखे
हैं।
लुमला
विधानसभा
सीट
में
सिर्फ
9,169
मतदाता
हैं,
जिनमें
महिला
वोटरों
की
संख्या
4,712
है।
इतने
वोटरों
के
लिए
लुमला
विधानसभा
सीट
में
कुल
33
मतदान
केंद्र
बनाए
गए
हैं।
2019
में
भाजपा
से
जीते
थे
ताशी
लुमला
सीट
पिछले
साल
नवंबर
में
बीजेपी
विधायक
जंबे
ताशी
के
निधन
की
वजह
से
खाली
हुई
थी।
48
वर्षीय
ताषी
2009
से
लगातार
तीन
बार
से
इसी
विधानसभा
क्षेत्र
का
प्रतिनिधित्व
कर
रहे
थे।
वे
भारतीय
जनता
पार्टी
के
अल्पसंख्यक
मोर्चा
में
सदस्य
की
जिम्मेदारी
भी
संभाल
चुके
थे।
2009
और
2014
के
विधानसभा
चुनावों
में
उन्हें
इसी
सीट
से
कांग्रेस
के
टिकट
पर
जीत
मिली
थी।
लेकिन,
2019
में
उन्होंने
भाजपा
के
टिकट
पर
कामयाबी
दर्ज
की
थी।
गौरतलब है लुमला सीट जिस तवांग जिले में है, वह पिछले दिनों चीन की वजह से राष्ट्रीय सुर्खियां बटोर चुका है। यह भारत का सीमावर्ती जिला है। चीन की सेना ने यहां घुसपैठ की कोशिश की थी, लेकिन भारतीय सैनिकों ने उन्होंने खदेड़ दिया था और वह भागकर अपने इलाके में वापस लौटने को मजबूर हो गए थे। (तस्वीर-प्रतीकात्मक)
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