सेना ने माना, जवानों की पिटाई से ही हुई थी अध्यापक की मौत
श्रीनगर। कश्मीर में हो रहे भारी विरोध प्रदर्शन के बीच सेना ने शुक्रवार को यह मान लिया है कि एक गांव में रात के समय छापेमारी के दौरान सेना के जवानों द्वारा पीटे जाने की वजह से ही 32 साल के स्कूल टीचर शब्बीर अहमद मांगू की मौत हुई थी। साथ ही सेना ने यह भी कहा है कि यह पूरी तरह से गलत है, जिसे स्वीकार नहीं किया जाएगा।
यह घटना श्रीनगर से करीब 40 किलोमीटर दूर ख्रेव की है, जहां पर बुधवार की रात को एक सरकारी स्कूल में पढ़ाने वाले शब्बीर अहमद और कुछ अन्य लोगों को पीटा गया था। परिजनों का आरोप है कि सेना हर घर में तलाशी ले रही थी और प्रदर्शनकारियों को ढूंढ़-ढूंढ़ के निकाल रही थी। इसी दौरान सेना के लोगों ने शब्बीर अहमद को बुरी तरह पीटा। जिसके बाद से ही कश्मीर में इसे लेकर विरोध प्रदर्शन जारी है।
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शुक्रवार को उत्तरी सैन्य कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हुडा ने कहा- इस तरह की छापेमारी की इजाजत नहीं है। इस तरह की घटनाओं को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, यह पूरी तरह से गलत है। सेना ने इस मामले में जांच के आदेश दे दिए हैं और लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है।
तहस-नहस कर दिया घर
शब्बीर के परिजनों ने कहा कि सेना के जवानों ने हमारे साथ मारपीट की, घर के शीशे तोड़ दिए और हमारा घर भी तहस नहस कर दिया। उन्होंने कहा कि सेना के जवान घर में घुस गए और लोगों को बाहर निकालकर बुरी तरह से पीटने लगे।
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पुलिस के अनुसार इस मारपीट की वजह से करीब 50 लोगों को गंभीर चोटें आई हैं। स्थानीय लोगों को कहना है कि बहुत से घर बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। पुलिस ने इस मामले में सेना की छापे मारने वाली एक टुकड़ी के खिलाफ हत्या का केस भी दर्ज कर लिया है।
सीआरपीएफ के जवान ने एंबुलेंस पर चलाया पैलेट गन
एक दूसरी घटना में सीआरपीएफ ने श्रीनगर में मरीज को ले जा रहे एंबुलेंस ड्राइवर पर पैलेट गन से फायर किया। सीआरपीएफ के प्रवक्ता का इस बारे में कहना है कि जिस जवान ने पैलेट गन चलाया था उसे निलंबित कर दिया गया है और उसके खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू कर दी गई है।
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कश्मीर में मरने वालों की संख्या 65 तक पहुंची
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