भाजपा के अध्यक्ष नहीं सीईओ बनेंगे अमित शाह
सीईओ यानी चीफ एक्जिक्यूटिव ऑफीसर। जी हां अमित शाह के लिये यही पोस्ट सटीक बैठती है। असल में अध्यक्ष बनाये जाने के बाद शाह किसी भी पूर्व अध्यक्ष की तरह काम नहीं करेंगे। उनका अपना स्टाइल है और उसी स्टाइल से वो अपने काम करेंगे। उनकी वो स्टाइल कॉर्पोरेट जगत के सीईओ से पूरी तरह मेल खाती है।
शाह के अंदर सीईओ की क्वालिटी
1. बोल्ड डिसीजन: अमित शाह कोई भी निर्णय लेने में समय नहीं लगाते।
2. अनुशासन: संगठन में वो अनुशासनहीनता कतई बर्दाश्त नहीं करते।
3. सहयोगियों के साथ कोऑर्डिनेशन: शाह इतने बड़े पद पर रहते हुए भी भाजपा की अंत्योदय इकाईयों तक के कार्यकर्ताओं को जानते हैं और उनके साथ मिलकर काम करते हैं।
3. फिजूल की बातें नहीं: अमित शाह हमेशा टू दि प्वाइंट बात करते हैं। फिजूल की बातें उन्हें कतई पसंद नहीं है।
4. प्रॉफिट एंड लॉस: शाह हमेशा इस चीज का ध्यान रखते हैं, कि जो कुछ भी वो करने जा रहे हैं, उससे भाजपा को हानि होगी या लाभ।
5. नॉलेज ऑफ डोमेन: अमित शाह जब किसी क्षेत्र में काम करने जाते हैं, तब काम शुरू करने से पहले उस क्षेत्र के बारे में पूरी जानकारी ले लेते हैं।
6. डोमेन एक्सपर्ट: हर पार्टी का मकसद होता है चुनाव जीतकर सत्ता में आना और इस डोमेन में (यूपी के प्रभारी के रूप में) अमित शाह को महारथ हासिल हो गई है।
7. पेशेंस यानी धैर्य: अमित शाह के अंदर बहुत धैर्य है। अगर चुनाव के अंतिम समय में दिये गये भाषणों को अलग कर दें, तो अमित शाह ने कहीं भी आवेश में आकर फिजूल के बयान नहीं दिये।
8. एबिलिटी टू पिच: किस जगह पर क्या काम करना है, यह क्षमता अमित शाह के अंदर बखूबी है।
क्या कहते हैं पार्टी के सदस्य
ऐसी ही तमाम क्वालिटीज़ अमित शाह के अंदर हैं, जिनकी वजह से भाजपा के लाखों कार्यकर्ता उन्हें पसंद करते हैं। लोकसभा चुनाव के दौरान यूपी में अमित शाह के प्रोटोकॉल में कई बार शामिल रहे लखनऊ महानगर उपाध्यक्ष विनोद तिवारी अप्पू की मानें तो चूंकि अमित शाह खाटी स्वयंसेवक हैं, इसलिये कड़ी मेहनत और बिना रुके काम करना उनके डीएनए में आ गया है। अमित शाह युवाओं पर बहुत भरोसा करते हैं। लोकसभा चुनाव के दौरान मैंने पाया कि अमित शाह ने सबसे ज्यादा फोकस विद्याथी परिषद के कार्यकर्ताओं पर ज्यादा किया, क्योंकि वो जानते थे, कि युवा ही जीत दिलायेंगे।
अमित शाह के बारे में लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार नवीन निगम का कहना है कि किसी भी कंपनी का एक सीईओ तभी सफल होता है, जब उसके ऊपर का मैनजमेंट उस पर आंख मूंद कर विश्वास करे और काम करने की खुली छूट दे। अमित शाह की बात करें तो उनका सबसे बड़ा अस्त्र नरेंद्र मोदी का विश्वास है। यही विश्वास उन्हें बोल्ड डिसीजन लेने में सक्षम बनाता है और बाकी क्वालिटीज़ को उभारता है।