उज्जैन में चाइनीज़ मांझे से छात्रा की मौत के बाद की गई प्रशासनिक कार्रवाई पर सवाल
मांझे से छात्रा की मौत के बाद प्रशासन ने कई लोगों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की है. लेकिन इस कार्रवाई पर सवाल उठाए जा रहे हैं.
मध्यप्रदेश के उज्जैन ज़िला प्रशासन ने चाइनीज़ मांझा बेचने के आरोप में तीन खुदरा विक्रताओं के घर और दुकानों को रविवार को तोड़ दिया. यह कार्रवाई ज़िले में एक छात्रा की मांझे से गला कटने के कारण हुई मौत के बाद की गई है.
बीते शनिवार को 11वीं कक्षा में पढ़ने वाली 20 साल की नेहा आंजना की मौत चाइनीज़ मांझे से गला कटने से हो गई थी. नेहा अपनी बुआ की बेटी निकिता के साथ स्कूटी से जा रही थीं.
स्कूटी नेहा चला रही थीं लेकिन शहर के ज़ीरो प्वाइंट ब्रिज पर पहुंच कर उनके गले में चाइनीज़ मांझा उलझ गया और उनके गले से ख़ून बहने लगा. स्कूटी के साथ ही दोनों लड़कियां गिर पड़ीं. वहां से गुज़र रहे देवेंद्र सिंह सेंगर नाम के शख़्स उन्हें पाटीदार अस्पताल लेकर गए, लेकिन इस बीच नेहा की मौत हो गई.
नेहा अपनी बुआ के घर पर रहकर पढ़ाई कर रही थीं.
स्थानीय डॉक्टरों के मुताबिक़, 'नेहा की मौत सांस की नली के कटने और अधिक ख़ून बहने की वजह से हुई.'
इस घटना पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी दुख प्रकट करते हुए मामले में सख़्त कार्रवाई का आश्वासन दिया है.
https://twitter.com/ChouhanShivraj/status/1482318774623621122
उन्होंने ट्वीट किया, "मैं प्रदेश के समस्त ज़िला प्रशासन को कड़े निर्देश दे रहा हूं कि इस तरह के जो ख़तरनाक मांझे बाज़ार में बिक रहे हैं, उनकी जांच की जाए और उस पर कड़ी कार्रवाई की जाए."
प्रशासन की कार्रवाई पर सवाल
इसके बाद प्रशासन ने कुछ लोगों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की है. तीन लोगों के घर तोड़े गए हैं जिनमें मोहम्मद ज़ुबैर, विजय भावसार और रीतेश जाधव शामिल हैं,
वहीं शहर में चाइनीज़ मांझा बेचने वाले मुख्य थोक विक्रेता के ख़िलाफ़ अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है, हालांकि प्रशासन ने दावा किया है मामले की जांच जारी है और जो भी ज़िम्मेदार पाया जाएगा उस पर कार्रवाई की जाएगी.
मोहम्मद ज़ुबैर ने बताया, "जिन लोगों पर कार्रवाई की गई है सभी ग़रीब हैं. 10.30 बजे हमें नोटिस दिया गया और एक घंटे के अंदर पुलिस बल के साथ नगर निगम की टीम पहुंच गई और मकान तोड़ने लगी. नोटिस पर मेरी मां से दस्तख़त करवा लिए जो ज़्यादा पढ़ी-लिखी नहीं हैं."
उन्होंने यह भी बताया कि उस नोटिस पर 12 जनवरी की तारीख़ है जबकि नोटिस 16 तारीख़ को दी गई. नोटिस में लिखा है कि मकान का हिस्सा अवैध है इसलिए इसे तोड़ा जाएगा.
उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस मुख्य विक्रेता को बचाने का प्रयास कर रही है क्योंकि वो स्थानीय भाजपा नेताओं से जुड़े हुए हैं.
मोहम्मद ज़ुबैर ने बताया, "हम ये सामान नरेंद्र ट्रेडर्स से लेते हैं जिसके विक्रेता चित्रांश जैन हैं. लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं की गई. जब पुलिस को मैंने जैन को मोबाइल से किया गया पेमेंट दिखाया गया तो उन्होंने उसे डिलीट करवा दिया."
मोहम्मद ज़ुबैर का कहना है कि उन्होंने मांझा बेचना बंद कर दिया था और सिर्फ़ पतंग ही बेचते थे. बाक़ी दिनों में वो पंचर बनाने का काम करते हैं. उनका दावा है कि प्रशासन ने उनका भारी नुक़सान कर दिया है.
विजय भावसार भी एक छोटे विक्रेता हैं और कार्रवाई के नाम पर उनका घर भी तोड़ दिया गया है. उन्होंने बताया, "हमारे साथ नाइंसाफ़ी हुई है. हम जैसे लोगों पर कार्रवाई के बजाय प्रशासन को बड़े लोगों पर कार्रवाई करनी चाहिए जो असल में पूरे शहर में मांझा सप्लाई करते हैं."
इन दोनों के अलावा रितेश जाधव भी छोटे व्यापारी हैं और उनका मकान भी प्रशासन ने ढहा दिया है.
उज्जैन के ज़िलाधिकारी आशीष सिंह ने बताया कि चाइनीज़ मांझे का इस्तेमाल पूरी तरह से प्रतिबंधित है.
उन्होंने कहा, "मकर संक्रांति से पहले धारा 144 लागू की गई थी ताकि कोई चाइनीज़ मांझा न बेच सके. उसके बावजूद भी वो मिला है तो पुलिस उन लोगों के ख़िलाफ़ कार्रवाई कर रही है. ऐसे हर व्यक्ति पर कार्रवाई की जाएगी जो इसे बेच रहा था."
उज्जैन के एडिश्नल पुलिस अधीक्षक रवींद्र वर्मा ने बताया, "पता लगाया जा रहा है कि चाइनीज़ मांझे को शहर में और कौन-कौन बेच रहा है. उनके ख़िलाफ़ राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून (एनएसए) के तहत कार्रवाई की जाएगी. सभी के मकान तोड़े जाएंगे."
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बढ़ी हैं घर तोड़ने की घटनाएं
पिछले कुछ समय में मध्य प्रदेश में प्रशासनिक कार्रवाई के नाम पर घर तोड़ने की घटनाएं बढ़ी हैं. उज्जैन के अलावा इंदौर, धार और खंडवा में इस तरह के कई मामले सामने आए हैं जहां प्रशासनिक कार्रवाई के नाम पर बग़ैर सुनवाई के सीधे अभियुक्तों के घर तोड़ने के आरोप हैं.
वहीं इस तरह से मकान तोड़ने के मामले को सुप्रीम कोर्ट के वकील एहतेशाम हाशमी ग़लत बताते हैं. उन्होंने कहा कि यह कार्रवाई पूरी तरह से अवैध है और नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत के ख़िलाफ़ है.
हाशमी के मुताबिक़, "बग़ैर किसी का पक्ष सुने कैसे सीधे जा कर मकान को तोड़ सकते हैं? मात्र आरोप लगने पर मकान तोड़ना बिल्कुल ग़लत हैं. इससे पहले न सिर्फ़ उज्जैन बल्कि कई प्रदेश से ऐसे हादसों की ख़बरें आती रही हैं जब चाइनीज़ मांझे से लोग गंभीर रुप से घायल हो गए हैं."
2017 में उज्जैन में हुई एक घटना में एक बुर्जुग को 70 टांके लगाने पड़े थे और उन्हें मुश्किल से बचाया जा सका था. इसी तरह की कई घटनाएं भोपाल में भी हो चुकी हैं जब या तो लोग घायल हुए हैं या इसमें फंसने से परिंदो की मौत हुई है.
एक छात्रा की दुखद मौत और उसके बाद प्रशासनिक कार्रवाई के बाद यह सवाल भी उठाया जा रहा है कि सरकार ने इसके लिए अब तक क़ानून क्यों नहीं बनाया है ताकि इसके बनाने, रखने, बेचने और इस्तेमाल करने वालों पर सख़्ती की जा सके.
हालांकि प्रदेश में मकर संक्राति से पहले कुछ ज़िलों के कलेक्टरों ने आदेश निकाल कर इस पर प्रतिबंध लगा दिया था, इनमें उज्जैन ज़िला भी है जहां इसे प्रतिबंधित किया गया था. इसके अलावा इंदौर, रतलाम और मंदसौर ने भी आदेश निकाल कर इस पर प्रतिबंध लगाया था.
नेशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल ने 2016 में चाइनीज़ मांझे को बनाने, रखने, बेचने और इसके इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया था. वहीं 2017 में सरकार को इस पर क़ानून बनाने के लिए भी कहा था, लेकिन अभी तक क़ानून नहीं बना है.
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