खस्ता है देश के पुलिस की हालत, 1,100 लोगों पर एक जवान, 188 पुलिस स्टेशनों में एक गाड़ी तक नहीं
यूं तो सरकारें दावा करती हैं कि जनता की रक्षा के लिए पुलिस सेवा बेहतर की जा रही है लेकिन हाल ही में आए आंकड़े इन दावों धता बताते हैं।
नई दिल्ली। पूरे देश में 15,555 पुलिस स्टेशन हैं। कहने के लिए सरकारें जनता और इलाकों की सुरक्षा व्यवस्था पर तरह-तरह के दावे और वादें करती हैं लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। हालात ये है कि मध्य प्रदेश के 111 पुलिस स्टेशनों में टेलीफोन है ही नहीं। इतना ही नहीं मेघालय और मणिपुर और मेघायल भी दो ऐसे राज्य हैं जहां के 67 पुलिस स्टेशनों में टेलीफोन सर्विस नहीं है। देश भर में 188 पुलिस स्टेशन ऐसे हैं जहां एक भी गाड़ी तक नहीं है। 402 स्टेशनों में टेलिफोन लाइन नहीं है, 134 में वायरलेस कोई सेवा है ही नहीं है। यह जानकारी ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलेपमेंट की ओर से जारी किए गए आंकड़े से मिली है।
आंकड़े
के
मुताबिक
जनवरी
2016
तक
के
आंकड़ों
के
अनुसार
पूरे
देश
में
22,80,691
पुलिस
कर्मी
हैं।
आंकड़े
में
बताया
गया
है
कि
मणिपुर
में
43
पुलिस
स्टेशन
ऐसे
हैं
जहां
ना
तो
वायरलेस
सेट
मौजूद
है,
ना
ही
टेलीफोन।
छत्तीसगढ़
ऐसा
राज्य
है
जहां
ेक
161
पुलिस
स्टेशनों
में
कोई
गाड़ी
नहीं
है।
इस
मामले
में
उत्तर
प्रदेश
में
किसी
से
पीछे
नहीं
है।
यहां
51
पुलिस
स्टेशनों
में
टेलीफोन
सेवा
नहीं
है
और
17
पुलिस
स्टेशन
ऐसे
हैं
वहां
वायरलेस
नहीं
है।
भारत
के
कुल
पुलिस
स्टेशनों
में
से
10,014
ग्रामीण
इलाकों
में
है
औरर
5,025
शहरी
इलाकों
में।
बाकी
रेलवे
पुलिस
के
स्टेशन
है।
ब्यूरो
की
ओर
से
जारी
किए
गए
आंकड़ों
के
मुताबिक
राष्ट्रीय
स्तर
पर
100
पुलिसकर्मियों
के
लिए
10.13
गाड़ियां
मौजूद
हैं।
इसमें
1,75,358
गाड़ियां
लॉ
इन्फोर्समेंट
के
लिए
मौजूद
हैं।
सबसे
ज्यादा
17,131
गाड़ियां
महाराष्ट्र
के
पास
है।
इसके
बाद
तमिलनाडु
(15,926)
और
उत्तर
प्रदेश
(13,452)
गाड़ियां
है।
आंकड़ों
के
अनुसार
साइबर
क्राइम,नक्सल
और
आतंकी
धमकियों
के
बावजूद
भी
729
लोगों
पर
सिर्फ
1
पुलिसकर्मी
है।
यह
दिक्कत
राज्यों
के
स्तर
पर
और
ज्यादा
बढ़
जाती
है।
आंध्र
प्रदेश,उत्तर
प्रदेश,
बिहार,पश्चिम
बंगाल
दादर
और
नगर
हवेली
और
दिल्ली
में
1100
लोगों
पर
सिर्फ
1
पुलिसकर्मी
है।
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