Aarey Forest:मुंबई में फिर निकला आरे जंगल का 'जिन्न'! अब क्यों शुरू हुआ विवाद ? जानिए
मुंबई, 3 जुलाई: मुंबई में करीब ढाई साल बाद आरे जंगल का जिन्न एक बार फिर बाहर आ चुका है। सरकार वापस आरे कॉलोनी में मेट्रो कार शेड बनवाने की ओर कदम बढ़ाने के लिए तैयार हो चुकी है, जबकि विपक्ष और कुछ ऐक्टिविस्ट इसके खिलाफ फिर से उसी तरह से विरोध प्रदर्शनों पर उतर आए हैं। कुल मिलाकर यह विवाद पर्यावरण की रक्षा से ज्यादा राजनीतिक शक्ल अख्तियार कर चुका है, जिसमें राजनीतिक पार्टियां अपने राजनीतिक ऐजेंडे से चीजों को बढ़ाते नजर आ रही हैं। इसिलए आइए जानते हैं कि यह पूरा विवाद है क्या और अभी यह फिर से किस वजह से शुरू हुआ है।
आरे कॉलोनी में मेट्रो कार शेड का विरोध फिर शुरू
मुंबई के आरे जंगल को लेकर एक बार फिर से महाराष्ट्र सरकार और विपक्ष के साथ-साथ कुछ पर्यावरण-प्रेमी आमने-सामने हैं। दरअसल, महाराष्ट्र में निजाम बदल चुका है और उद्धव ठाकरे की सरकार सत्ता से बाहर हो चुकी है। इसके बाद प्रदेश के नए उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने महाराष्ट्र सरकार की लीगल टीम से कहा है कि वह बॉम्बे हाई कोर्ट को सूचना दे कि सरकार मेट्रो कार शेड को आरे कॉलोनी में स्थानांतरित करेगी। इसी के बाद से इसका वापस विरोध शुरू हो गया है। दअरसल, 30 जून को नई सरकार बनने के बाद एकनाथ शिंदे की नई सरकार की यह कुछ पहले फैसलों में से एक है।
अभी क्यों शुरू हुआ आरे जंगल विवाद ?
रविवार को पर्यावरण बचाने के नाम पर आम आदमी और शिवसेना के समर्थन से मुंबई में मेट्रो कार शेड पर महाराष्ट्र सरकार के बदले रवैए को लेकर विरोध प्रदर्शन किया गया है। इससे पहले उद्धव ठाकरे की सरकार ने मेट्रो कार शेड को आरे से कंजुरमार्ग स्थानांतरित करने का आदेश दिया था। लेकिन, गुरुवार को शपथग्रह के कुछ ही देर बाद फडणवीस ने राज्य सरकार की मंशा बदलने की सूचना हाई कोर्ट को देने का आदेश जारी कर दिया। वैसे यह जानना जरूरी है कि ठाकरे सरकार के फैसले का विरोध भी हो रहा था और एमएनएस इसे कंजुरमार्ग ले जाने के खिलाफ झंडा उठा चुकी थी।
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आरे मेट्रो कार शेड प्रोजेक्ट क्या है ?
1,287 हेक्टेयर में फैला आरे कॉलोनी मुंबई के संजय गांधी नेशन पार्क के पास में है। इसकी हरियाली की वजह से इसे मुंबई का फेफड़ा भी कह दिया जाता है। 2019 में तत्कालीन बीजेपी-शिवसेना सरकार 33.5 किलोमीटर के कोलाबा-बांद्रा-स्पीज अंडरग्राउंड मेट्रो प्रोजेक्ट के लिए आरे मिल्क कॉलोनी में कार शेड का निर्माण करना चाहती थी। इसके खिलाफ कुछ नागरिक और ग्रीन ऐक्टिविस्ट बॉम्बे हाई कोर्ट चले गए। हाई कोर्ट से इनकी याचिकाएं खारिज होने के बाद मुंबई मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने अपने प्रोजेक्ट के दायरे में आने वाले पेड़ों को गिराना शुरू कर दिया। बीएमसी ने मेट्रो लाइन 3 के लिए मेट्रो कॉर्पोरेशन को 2,700 तक पेड़ काटने की इजाजत दी थी। मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन का दावा है कि मुंबई के लोगों के लिए आधुनिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम के लिए छोटे से इलाके में ऐसा करना जरूरी है।
फडणवीस का इसमें क्या रोल रहा है ?
2019 में जब देवेंद्र फडणवीस की सरकार थी तो महाराष्ट्र सरकार ने इस प्रोजेक्ट को मुंबई के विकास के लिए आवश्यक बताया था। अब फडणवीस ने कहा है कि वह मेट्रो कार शेड के मुद्दे पर उचित फैसला लेंगे, जिसमें पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे के फैसले और मुंबइकरों के बेहतर हितों को भी ध्यान में रखा जाएगा। उन्होंने ट्वीट भी किया है, 'यह कोई अहम का मसला नहीं है।' उनका कहना है, 'यह जंगल को बर्बाद करने का मामला नहीं था। यह मामला कोर्ट में था। ये हाई कोर्ट, ग्रीन ट्रिब्यूनल, सुप्रीम कोर्ट में गया और सभी की ओर से मंजूरी मिली। मैं पूछना चाहता हूं कि इन लोगों ने कैसे इलाके में कुछ होटलों को मंजूरी दे दी है?'
आरे कॉलोनी में कार शेड पर सरकार की दलील
देवेंद्र फडणवीस का यह भी कहना है कि मेट्रो 3ए लाइन का संचालन बिना कार शेड के नहीं हो सकता। उद्धव ठाकरे ने इसके लिए कंजुरमार्ग में 102 एक का प्लॉट प्रस्तावित किया था, जो किए एक विवादित संपत्ति है। डिप्टी सीएम के अनुसार, 'अगर काम शुरू भी हो जाए तो भी इसे पूरा होने में चार साल लगेंगे।' उनका कहना है कि जबकि इससे (आरे) पर्यावरण को नुकसान नहीं होगा और सुप्रीम कोर्ट ने भी उस साइट को मंजूर किया हुआ है, जो कि 25% पूरा हो चुका है। 2019 में भाजपा की एक नेता शाइना एनसी ने कहा था, 'हम आरे की सिर्फ 2 फीसदी जमीन ले रहे हैं और इसके बदले पूरे महाराष्ट्र में 20,000 से ज्यादा पेड़ लगा रहे हैं।' वैसे दिलचस्प बाद है कि उद्धव सरकार में शहरी विकास मंत्री रहते हुए 2019 में सीएम एकनाथ शिंदे ने इस मामले में कार शेड को शिफ्ट करने का समर्थन किया था।
आरे को लेकर ऐक्टिविस्ट का क्या कहना है ?
पर्यावरविद आरे कार शेड प्रोजेक्ट का यह कहकर विरोध कर रहे हैं कि हरियाली और जैव विविधता के साथ खिलवाड़ करके विवास के कार्य नहीं किए जा सकते। 2019 मुंबई के एक पर्यावरण संगठन वनशक्ति ने इसको लेकर बॉम्बे हाई कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया था और आरे कॉलोनी को भारतीय वन अधिनियम, 2027 के तहत 'रिजर्व वन' या 'संरक्षित वन' का दर्जा देने की मांग की थी। पेड़ गिराए जाने का काफी विरोध हुआ था और कई लोग सड़कों पर उतर आए थे, जिसके बाद धारा 144 लगाना पड़ा था और तब करीब 30 लोगों की गिरफ्तारी भी हुई थी।
विपक्ष का क्या कहना है ?
महाराष्ट्र कांग्रेस ने शिंदे सरकार के ताजा फैसले की आलोचना की है। महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा है, 'पर्यावरण को देखते हुए ही कंजुरमार्ग में कार शेड बनाना प्रस्तावित किया गया है, लेकिन फिर से आरे में कार शेड बनाने पर जोर देना ऐसा ही है, जैसा कि मुंबइकरों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करना है।'
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आरे कॉलोनी के साथ पहले क्या हुआ ?
मुंबई के विकास के लिए आरे कॉलोनी के साथ ये सब पहली बार नहीं हो रहा है। 1949 में डेयरी डेवलपमेंट के लिए और 1971 में फिल्म सिटी बनाने के लिए कॉलोनी को 200 एकड़ के बराबर छोटा कर दिया गया था। 2010 में भायखला चिड़ियाखाने का विस्तार आरे कॉलोनी की 40 एकड़ जमीन से ही किया गया था। (पहली और तीसरी तस्वीर के अलावा बाकी फाइल)