NFHS Survey: भारत की 79% महिलाएं और 78% पुरुष चाहते हैं 'बेटी'
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नई दिल्ली। भारत के लोगों की सोच अब बदल रही है, उनका नजरिया देश की बेटियों और उनकी परवरिश के प्रति बदला है। हो सकता है इस प्रगति की गति लोगों को धीमी दिखाई दे लेकिन नेशनल फॅमिली हेल्थ सर्वे (एनएफएचएस) की रिपोर्ट इस मामले में समाज की सकारात्मक तस्वीर पेश करती है। इस सर्वे रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की 79% महिलाएं और 78% पुरुष अब संतान के रूप में बेटी की कामना करते हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के मुताबिक इस सर्वे में समाज के हर वर्ग और समुदाय के लोग शामिल हैं, जो कि एक बड़ी बात है।
मेरी बेटी मेरा अभिमान
बेटी की यह चाहत ग्रामीण इलाके की महिलाओं में अधिक (81 फीसदी) है, जबकि शहरी महिलाओं में यह आंकड़ा 75 फीसदी है। लोगों बेटियों को अब पढ़ाने और कमाने के पक्षधर हैं।
खास बातें
- इस सर्वे की खासियत ये है कि देश में बारहवीं तक शिक्षित 72 प्रतिशत महिलाओं को बेटी चाहिए, जबकि 81 प्रतिशत निरक्षर महिलाओं की चाहत भी संतान के रूप में एक बेटी की है।
- ग्रामीण इलाकों में महिलाओं के अंदर अब बेटियों के जन्म को लेकर डर कम हुआ है।
सर्वे रिपोर्ट
जबकि सर्वे रिपोर्ट कहती है कि जबकि 80 प्रतिशत ग्रामीण पुरुष और शहरी क्षेत्रों में रहने वाले 75 प्रतिशत पुरुष एक बेटी की ख्वाहिश रखते हैं जबकि 82 प्रतिशत महिलाओं और 83 प्रतिशत पुरुषों को अभी भी संतान के रूप में बेटे की कामना है।
19 फीसदी महिलाओं को चाहिए बेटा
हालांकि अभी भी संतान के रूप में बेटों की चाहत करने वाले लोगों की संख्या ज्यादा है। देश के 19 फीसदी महिलाओं और पुरूषों को संतान के रूप में बेटियों की तुलना में अधिक संख्या में बेटे चाहिए।
बिहार में लड़कों की चाहत सबसे ज्यादा
बिहार में लड़कों की चाहत सबसे ज्यादा है, यहां की 37 प्रतिशत महिलाओं को बेटियों की तुलना में अधिक संख्या में बेटे चाहिए, वहीं उत्तर प्रदेश में 31 फीसदी महिलाएं ऐसा चाहती हैं कि उनके घर में बेटा ही जन्म ले।
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