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हरियाणा: हिसार में 40 मुस्लिम परिवारों ने अपनाया हिंदू धर्म, तोड़ी 300 साल पुरानी परंपरा

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हिसार। हरियाणा के हिसार जिले के बिठमड़ा गांव के 40 मुस्लिम परिवारों के लगभग 250 सदस्यों ने शुक्रवार को हिंदू धर्म अपनाया। यहीं नहीं उनमें से एक परिवार ने 300 वर्ष पुरानी परंपरा तोड़ते हुए एक 80 साल की बुजुर्ग महिला का अंतिम संस्कार हिंदू पद्धति से किया। इससे पहले, जींद के दनोदा कलां गांव में छह मुस्लिम परिवारों के लगभग 35 सदस्यों ने 18 अप्रैल को हिंदू धर्म अपनाया था। ग्रामीणों के अनुसार,बिठमड़ा के ये परिवार आजादी से पहले दानोदा कलां गांव में रहते थे।

औरंगजेब के समय दबाव में अपनाया था मुस्लिम धर्म

औरंगजेब के समय दबाव में अपनाया था मुस्लिम धर्म

हाल ही मुस्लिम से हिंदु धर्म अपनाने वाले सतबीर ने कहा कि उसकी मां फूली देवी की शुक्रवार को मौत हो गई थी और गांव के मुस्लिम परिवारों ने फैसला किया कि चूंकि वे हिंदू तौर तरीकों से अपना जीवन जीते आ रहे हैं, इसलिए उन्हें खुद को हिंदू घोषित करना चाहिए और उनका अंतिम संस्कार श्मशान में करने का फैसला किया और उनका क्रिर्या-कर्म भी हिंदू अनुष्ठान के अनुसार किया। इससे पहले वे मुस्लिम रीति-रिवाजों के अनुसार मृतकों का अंतिम संस्कार करते आ रहे थे। सतबीर ने दावा किया कि वह डूम जाति से था और उसने अपने हिंदू पूर्वजों को मुगल शासक औरंगजेब के समय दबाव में मुस्लिम धर्म को अपनाने के बारे में सुना था। उनका पूरा गांव हिंदू त्यौहार मनाता है लेकिन मृतकों का अंतिम संस्कार मुस्लिम धर्म के अनुसार किया जाता है। लेकिन कभी रोजे नहीं रखे व मस्जिद में कलाम नहीं पढ़ी। हालांकि लोगों में यह भ्रम था कि हम मुस्लिम हैं।

हिंदू तौर तरीके से जीते हैं जीवन

हिंदू तौर तरीके से जीते हैं जीवन

यह पूछे जाने पर कि क्या उन पर धर्मपरिवर्तन का दबाव है, उन्होंने इससे इनकार करते हुए कहा कि किसी ग्रामीण ने किसी के साथ दुर्व्यवहार नहीं किया है। इस मामले में जब गांव के सरपंच से बात करने की कोशिश की गई तो उनका फोन स्विच ऑफ आ रहा है। हालांकि, गांव के एक युवक, माजिद ने बताया कि पहले उसके समाज के लोग शिक्षित नहीं थे, वे पुरानी चीजों को नहीं जानते थे। उन्होंने कहा अब बहुत से लोग शिक्षित हैं और उन्होंने सभी को ऐसा करने (धर्म बदलने) के लिए मनाया। माजिद ने बताया कि, हम अपने लोगों को मरने के बाद दफन करते हैं, जो कि हमें गांव के लोगों से अलग करता था। इसलिए, बच्चों के भविष्य को देखते हुए हमने धर्म बदलने का फैसला किया है।

अनुसूचित जाति वर्ग का नहीं मिल पा रहा था लाभ

अनुसूचित जाति वर्ग का नहीं मिल पा रहा था लाभ

मुस्लिम कल्याण संगठन के राज्य अध्यक्ष हरफूल खान भट्टी ने कहा कि वह दनौदा कलां घटना गांव के बारे में जानते हैं, लेकिन बिठमड़ा गांव के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा, दानोदा कलां गांव का रूपांतरण अनुसूचित जाति वर्ग के लाभ के लिए हुआ क्योंकि वे डूम जाति से हैं। उन्होंने कहा कि डूम जाति को एससी श्रेणी में रखा गया है, लेकिन 1951 की अधिसूचना के अनुसार, डूम जाति के मुस्लिम और ईसाई नागरिक आरक्षण का लाभ नहीं उठा सकते हैं। जब लुधियाना की आरक्षित सीट से कांग्रेस के टिकट पर विधायक बने मोहम्मद सद्दीक का मामला सुप्रीम कोर्ट में गया, तो उन्होंने यह कहकर केस जीत लिया कि वह मज़हबी सिख थे और मुसलमान नहीं है।

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English summary
250 members of 40 Muslim families from Bidhmira village in Haryana’s Hisar district embraced Hinduism
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