2+2 डायलॉग: चीन के मुकाबले भारत को ज्यादा ताकतवर बनाने वाला कॉमकासा आखिर है क्या
नई दिल्ली। गुरुवार को भारत और अमेरिका के बीच पहली 2+2 वार्ता हुई जिसमें विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने अमेरिकी समकक्षों माइक पोंपेयो और जिम मैटीस से मुलाकात की। इस वार्ता के दौरान कॉमकासा यानी कम्यूनिकेशंस कॉम्पैटिबिलिटी एंड सिक्योरिटी एग्रीमेंट भी साइन किया है। इस एग्रीमेंट के साइन होते ही भारत के लिए अमेरिकी की तरफ से संवेदनशील मिलिट्री टेक्नोलॉजी और उपकरणों की खरीद का रास्ता साफ हो गया है। पोंपेयो ने कॉमकासा को दोनों देशों के रिश्तों में एक मील का पत्थर करार दिया। वहीं रक्षा मंत्री सीतारमण ने कहा कि इस एग्रीमेंट के बाद भारत की रक्षा क्षमताओं और तैयारियों में इजाफा होगा। आखिर क्या है कॉमकासा और कैसे यह भारत के लिए फायदेमंद साबित होगा, इस पर डालिए एक नजर।
क्या है कॉमकासा के मायने
कॉमकासा पर साइन होने का मतलब है कि भारत अब अमेरिका से एडवांस्ड मिलिट्री टेक्नोलॉजी हासिल कर सकेगा। अब तक भारत को ऐसी कोई टेक्नोलॉजी अमेरिका से नहीं मिलती थी। यह समझौता होने के बाद भारत के रक्षा क्षेत्र में मजबूती आने की संभावना है। साल 2016 में अमेरिका ने भारत को अपना सबसे बड़ा रक्षा साझीदार बताया तो था लेकिन अतिआधुनिक टेक्नोलॉजी तक भारत की पहुंच नहीं थी। इस करार के बाद मुश्किलें दूर हो सकती हैं। अमेरिका से किसी भी देश को एडवांस्ड एनक्रिप्टेड मिलिट्री टेक्नोलॉजी तभी मिल सकती है, जब तीन प्रकार के करार हों और कॉमकासा उन्हीं तीन में से एक है। इससे पहले दूसरे तरह के करार लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट (एलईएओए) के तहत अमेरिका से जुड़ा था, उस पर साल 2016 में साइन हुए थे। जिस तीसरे करार पर अभी साइन होना बाकी है, उसका नाम है- बेसिक एक्सचेंज एंड कोऑपरेशन एग्रीमेंट (बीईसीए)।
फाइटर जेट्स के हार्डवेयर की अदला-बदली
इस करार के बाद दोनों देशों के बीच एडवांस्ड फाइटर जेट्स के हार्डवेयर की अदला-बदली हो सकती है। इनमें सी-130 जे, सी-17, पी-81 विमान शामिल हैं। भारत अब अमेरिका के एडवांस्ड कम्युनिकेशन इक्विपमेंट्स का भी उपयोग कर सकेगा। कॉमकासा पर साइन होने के बाद दोनों देशों के बीच टेक्नोलॉजी ट्रांसफर में कानूनी अड़चनें दूर होंगी। अमेरिकी तकनीक को भारत की तुलना में ज्यादा सटीक और सुरक्षित माना जाता है। अलग-अलग हथियार प्रणाली के लिए भारत फिलहाल स्थानीय प्लेटफॉर्म का उपयोग करता है। अमेरिका ने कॉमकासा समझौता अभी तक अपने सबसे करीबी मिलिट्री साझेदारों के साथ किया है। इस समझौते के साथ ही अब भारत को रक्षा क्षेत्र में हाई-सिक्योरिटी यूएस कम्युनिकेशन इक्विपमेंट हासिल हो सकेंगे।
एशिया का पहला देश बना भारत
ट्रंप प्रशासन ने हाल ही में भारत को स्ट्रैटेजिक ट्रेड अथॉराइजेशन-1 यानी एसटीए-1 की लिस्ट में रखने का फैसला किया है। पिछले दिनों अमेरिका की ओर से आई यह खबर भारत के लिए कई मायनों में खास है। इस स्टेटस के बाद भारत न सिर्फ हाई टेक्नोलॉजी वाले प्रॉडक्ट्स का आयात कर सकेगा बल्कि अमेरिका से उस लेटेस्ट डिफेंस टेक्नोलॉजी भी हासिल हो सकेगी। इसके साथ ही भारत एशिया में पहला ऐसा देश बन गया है जिसे यह दर्जा दिया गया है और अब वह नाटो देशों के बराबर आ गया है। अमेरिका ने यह कदम रक्षा क्षेत्र में हाइ-टेक उपकरण और साथ ही गैर-रक्षा संबंधी उपकरणों की बिक्री में तेजी लाने के मकसद से दिया है। ये ऐसे उत्पाद हैं जिनकी बिक्री के लिए कड़े नियंत्रण और लाइसेंस की जरूरत है। अमेरिका के इस कदम के साथ ही भारत के पास अब यह मौका होगा कि वह एडवांस डिफेंस टेक्नोलॉजी को हासिल कर सकेगा। विशेषज्ञों की मानें तो अमेरिका हमेशा से चाहता था है कि कम्यूनिकेशंस, काम्पैटिबिलिटी एंड सिक्योरिटी एग्रीमेंट यानी कॉमकासा समझौता भारत के साथ हो जाए।