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26/11: जब जेल में हिंदू-मुसलमान अफसरों को साथ खाना खाते देख चौंक गया था कसाब और बताई अपने आका की ये बात

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मुंबई। 26 नवंबर 2008 को मुंबई पर हुए आतंकी हमलों को 10 बरस पूरे होने वाले हैं। 10 साल पहले इसी दिन एक के बाद हुए हमलों ने देश की आर्थिक राजधानी को दहलाकर रख दिया था। पाकिस्‍तान स्थित आतंकी संगठन लश्‍कर-ए-तैयबा के सरगना हाफिज सईद ने सबसे बड़े आतंकी हमलों की साजिश रची। इस साजिश में अजमल कसाब नाम का आतंकी उसका सबसे बड़ा मोहरा साबित हुआ। हमलों के बाद कसाब अकेला ऐसा जिंदा आतंकी था जिसे मुंबई पुलिास ने पकड़ा और जिसने पाकिस्‍तान का चेहरा दुनिया के समाने बेनकाब‍ किया था। कसाब को कैसे पकड़ा गया इस बारे में मुंबई पुलिस के कमांडो आसिफ मौलानी को आज तक हर बात याद है। मौलानी ने इंग्लिश डेली हिन्‍दुस्‍तान टाइम्‍स के साथ खास बातचीत में उस रात की डरावनी कहानी को बयां किया है।

हास्पिटल तक पहुंचे थे आतंकी

हास्पिटल तक पहुंचे थे आतंकी

मौलानी इस समय महाराष्‍ट्र स्‍टेट पुलिस हाउसिंग कॉरपोरेशन (एमएसपीएचसी) के साथ पोस्‍टेड हैं। उन्‍होंने बताया कि वह पुलिस स्‍टेशन में थे और बस निकलने ही वाले थे कि उन्‍होंने पहली गोली की आवाज सुनी। यह आवाज कामा हॉस्पिटल की तरफ से आई थी।43 वर्ष के मौलानी ने बताया कि आवाज सुनते ही उन्‍हें अंदाजा हो गया था कि गोलियां एके-47 से चलाई जा रही है। उन्‍होंने बताया कि उनका अंदाजा एकदम सही साबित हुआ और लश्‍कर के आतंकी अजमल कसाब अपने साथ इस्‍माइल खान के साथ हॉस्टिपल की तरफ बढ़ रहा था। लेकिन पुलिस को उस समय आतंकियों के बारे में ज्‍यादा नहीं मालूम था। उन्‍हें बस इतना मालूम था कि मुंबई पर आतंकी हमला हुआ है। मौलानी को याद है कि उस समय उनके सीनियर इंस्‍पेक्‍टर अरुण चच्‍हाण की ओर से उन्‍हें हॉस्टिपल के पिछले गेट को सुरक्षित करने का आदेश मिला था। आदेश के बाद मौलानी और उनके बाकी साथ कमांडो ने आदेश को पूरा किया। लेकिन अचानक उन पर गोलियों की बौछार हुई और वह सड़क पर खड़ी एक गाड़ी से टकरा गए। हालांकि एक पुलिस वैन की मदद से वह पिछले गेट तक पहुंचने में कामयाब रहे।

बहादुर ऑफिसर कामटे और करकरे शहीद

बहादुर ऑफिसर कामटे और करकरे शहीद

गेट बंद था और मौलानी ने हॉस्पिटल के अंदर से गोलियां चलने की आवज सुनी। इसी समय एडीशनल कमिश्‍नर अशोक कामटे वहां पर पहुंच गए। मौलानी ने बताया कि कामटे और उन पर लगातार गोलियां बरस रही थीं। दाएं हाथ में गोली लगाने वजह से मौलानी का संतुलन बिगड़ गया था। कामटे और मौलानी ने एक टेम्‍पो की आड़ में जाकर अपनी जान बचाई और कामटे ने मौलानी को अपनी तरफ खींच लिया था। सिर्फ कुछ सेकेंड्स के अंदर ही उस जगह पर गोलियों की तेज बारिश आतंकियों ने कर डाली जहां पर कुछ समय पहले मौलानी थे। मौलानी कहते हैं कि आज अगर वह जिंदा हैं तो कामटे की वजह से ही जिंदा हैं। इसके कुछ ही मिनटों के अंदर एंटी-टेररिज्‍म स्‍क्‍वाड (एटीएस) के चीफ हेमंत करकरे यहां पर पहुंचे। करकरे उसी टोयोटा क्‍वालिस में पहुंचे थे जिसे बाद में आतंकी लेकर भाग गए थे। मौलानी, कामटे को बता चुके थे कि आतंकियों के पास एक-47 के अलावा हैंड ग्रेनेड्स भी हैं। कामटे और करकरे दोनों वहां से चले गए और जाने से पहले दोनों बाकी जवानो को आदेश देकर गए थे कि हॉस्पिटल के पिछले गेट पर मौजूद रहे। इसके बाद सुबह करीब छह बजे मौलानी को कामटे और करकरे की शहादत की खबर मिली थी।

सिक्‍योरिटी टीम से क्‍या बात करता था कसाब

सिक्‍योरिटी टीम से क्‍या बात करता था कसाब

मौलानी को बाद में उसी टीम में रखा गया था जो कसाब से पूछताछ कर रही थी। मौलानी ने बताया कि कसाब की सिक्‍योरिटी में पूरी टीम 24 घंटे मुस्‍तैद रहती थी। एक माह तक किसी को भी छुट्टी नहीं दी गई थी। मौलानी को आज तक याद है कि जब कसाब को यह बात पता चली कि उनके साथ कुछ और ऑफिसर्स मुसलमान हैं, वह उनके साथ खुलने लगा। मौलानी की मानें तो कसाब को यह जानकर बहुत हैरानी थी कि टीम में हिंदु और मुसलमान दोनों धर्मों के ऑफिसर्स थे और साथ में बैठकर खाना खाते थे। कसाब इस बात पर यकीन नहीं कर पा रहा था कि ये ऑफिसर्स अपने देश में खुशी और शांति के साथ रहते हैं। एक दिन कसाब ने मौलानी को बताया कि भारत में मुसलमानों को काफी परेशान और प्रताड़‍ित किया जाता है। कसाब ने यह भी कहा कि जिस समय उसे इन आतंकी हमलों के लश्‍कर में नंबर दो की पोजिशन रखने वाले जकी-उर-रहमान लखवी ने चुना तो उसने कसाब से कहा था कि अगर वह सभी काफिरों को मार देगा तो उसे जन्‍नत मिलेगी। मौलानी ने उस समय कसाब से कहा था कि उसने जो किया है उसके बाद न तो खुदा उसे माफ करेगा और न ही उसे जन्‍नत नसीब होगी। मौलानी की मानें तो कभी-कभी उन्‍हें लगता था कि कसाब को जान से मार दिया जाए। बड़ी मुश्किल से वह अपने जज्‍बातों को काबू कर पाते थे।

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English summary
10 years of 26/11: Heavens won't forgive you for spilling blood cop told Kasab.
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