विरासत स्थलों को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार के पूर्व ईएएस सरमा ने तेलंगाना मॉडल की तारीफ की
भारत सरकार के पूर्व ईएएस सरमा ने विरासत स्थलों को बचाने के लिए तेलंगाना सरकार की तारीफ की है। उन्होंने कहा कि तेलंगाना सरकार इस दिशा में बढ़िया काम कर रही है।
तेलंगाना सरकार राज्य के ऐतिहासिक, विरासत स्थलों का संरक्षण और प्रचार कर रही है। इसके लिए प्रदेश सरकार की तरफ पूरी ताकत भी झोंक दी जा रही है। यही वजह है कि यूनेस्को जैसे विश्व निकायों की तरफ से सरकार धरोहर स्थलों को मान्यता दिलाने में भी सफल हो रही है। जबकि इसके विपरीत, आंध्र प्रदेश सरकार बाविकोंडा-थोटलकोंडा खंड जैसे संरक्षित स्थलों पर रियल स्टेट गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए नीतियां अपना रही है। जबकि ये विश्व विरासत स्थलों के रूप में मान्यता के लिए प्रस्तावित किए जाने योग्य हैं। ऐसे में मुझे आशा है कि आंध्र प्रदेश के लोग इससे अवगत होंगे!
दरअसल, भारत सरकार के पूर्व सचिव ईएएस सरमा ने मंगलवार को आंध्र प्रदेश के मुख्य सचिव केएस जवाहर रेड्डी को एक पत्र लिखा था। इस पत्र के जरिए उन्होंने आंध्र प्रदेश सरकार की कड़े शब्दों में निंदा की थी। पत्र के जरिए पिछले साल जारी एक शासनादेश की ओर ध्यान खींचा गया था, जिसमें राज्य सरकार ने चुपके से और धोखे से पवित्र थोटलाकोंडा बौद्ध पुरातत्व स्थल को गैर-अधिसूचित कर दिया, जिसे मूल रूप से 1978 में सरकार द्वारा अधिसूचित किया गया था। इस बात की जानकारी विजाग के लोगों और आंध्र प्रदेश के लोगों लगी ही नहीं थी।
इस पत्र के जरिए उन्होंने कहा कि इस तरह की धोखाधड़ी सरकार के एक जिम्मेदार, वरिष्ठ अधिकारी की अध्यक्षता वाले विभाग द्वारा की गई थी। उन्होंने इस तरह के प्रस्ताव को दुर्भाग्यपूर्ण और चिंताजनक बताया। पत्र में मुख्य सचिव को राज्य मंत्रिमंडल को स्थानांतरित करने और GORt संख्या 131 दिनांक 31-7-2021 को तत्काल निरस्त करने के लिए भी कहा गया है। क्योंकि यह एक धोखाधड़ी आदेश था, जो गुप्त रूप से जारी किया गया था। क्योंकि इस आदेश के बारे में जनता को भी जानकारी नहीं थी।
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