जम्मू के शिवखोड़ी गुफा पहुंचे रजनीकांत, गुरू के साथ की भोलेनाथ की पूजा
शिमला। जाने-माने सिने स्टार रजनीकांत अपने हिमाचल प्रवास को बीच में छोड़कर रविवार को जम्मू कश्मीर पहुंच गए। रजनीकांत जम्मू कश्मीर के जिला रियासी में प्रसिद्ध शिवखोड़ी मंदिर में जाकर भागवान भोलेनाथ के दर्शन किए। तामिलनाडु में अपनी राजनैतिक पारी शुरू करने से पहले रजनीकांत अपनी हिमालय यात्रा पर हैं। वे शनिवार को ही पालमपुर के पास कंडबाड़ी में अमर ज्योति आश्रम में पहुंचे। यहां उन्होंने अपने गुरू महावतपुर अमर ज्योति जी महाराज के आश्रम में ध्यान व योग की साधना की। इसके बाद वे रविवार को वह अपने गुरू के साथ जम्मू पहुंच गए। बता दें कि रजनीकांत हर साल हिमालय में आकर ध्यान योग साधना करते रहे हैं। लेकिन इस बार उनकी यह यात्रा खास है। चूंकि वापस लौटते ही वह अपने प्रदेश में अपनी राजनैतिक पारी शुरू करेंगे।
सिर्फ धार्मिक बातें, कोई राजनैतिक बातें नहीं
इससे पहले रजनीकांत ने कहा है कि राजनिति में आकर भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए अंदोलन छेड़ेंगे। हालांकि यहां अपने गुरू के आश्रम में उन्होंने स्पष्ट किया कि वह अपनी धार्मिक यात्रा पर हैं व इस दौरान राजनैतिक बात नहीं करेंगे। शनिवार को उन्होंने यहां अमर ज्योति जी महाराज के साथ मेडिटेशन हॉल में जाकर ध्यान व योग किया। उसके बाद अचानक उनका जम्मू के पास शिवखोड़ी में जाने का कार्यक्रम बना और वह अपने गुरू अमर ज्योति जी महाराज के साथ शिखोरी के लिए रवाना हो गए।
उत्तराखंड जाने का प्लान कैंसिल
बता दें कि पहले उनका उत्तराखंड जाने का कार्यक्रम था लेकिन माना जा रहा है कि अब वह वहां नहीं जाएंगे। यहां आश्रम में रजनीकांत खासे उत्साहित नजर आए। आश्रम के प्रबंध कर्नल डीएस सुमन ने बताया कि रजनीकांत कुछ अरसे पहले अपनी सेहत को लेकर परेशान थे तो वह अमर ज्योति जी महाराज के साथ चेन्नई में मिले। उस दौरान ही रजीकांत को पालमपुर के कंडबाड़ी आश्रम में आने का सुझाव दिया गया था।
पिछले कई सालों से टल रहा था दौरा
रजनीकांत इससे पहले कई बार यहां आने का कार्यक्रम बनाते रहे, लेकिन कभी सिक्योरिटी तो कभी दूसरे कारणों से उनका दौरा टलता रहा लेकिन शनिवार को आखिर वह हां पुहंच ही गए। रविवार को वह अपने गुरू के साथ शिवखोरी रवाना हो गए। बता दें कि शिवखोड़ी भगवान भोले नाथ को समर्पित जम्मू काशमीर के रियासी जिला में प्रसिद्ध तीर्थस्थल है। यहां गुफा में भगवान भोलेनाथ विराजमान हैं जहां पूरे साल दर्शन करने श्रद्धालु जाते रहते हैं। बताया जाता है कि एक मुस्लिम चरवाहे ने इस गुफा की खोज की थी।