हिमाचल चुनाव 2017: सीट नंबर 57 श्री रेणूका जी (आरक्षित अनूसूचित जाति) विधानसभा क्षेत्र के बारे में जानिये
शिमला। श्री रेणुकाजी विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र हिमाचल प्रदेश विधानसभा में सीट नंबर 57 है। सिरमौर जिले में स्थित यह निर्वाचन क्षेत्र अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। 2012 में इस क्षेत्र में कुल 58,325 मतदाता थे। यह क्षेत्र साल 2008 में, विधान सभा निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन के अनुसरण में अस्तित्व में आया। 2012 के विधानसभा चुनाव में विनय कुमार इस क्षेत्र के विधायक चुने गए। भगवान परशु राम के पिता महर्षि जमदग्नि ने रेणूका को बसाया।
यहां लगने वाला मां-पुत्र के पावन मिलन का श्री रेणुका जी मेला हिमाचल प्रदेश के प्राचीन मेलों में से एक है। जो हर वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की दशमी से पूर्णिमा तक उत्तरी भारत के प्रसिद्ध तीर्थ स्थल श्री रेणुका में मनाया जाता है। जनश्रुति के अनुसार इस दिन भगवान परशुराम जामूकोटी से वर्ष में एक बार अपनी मां रेणुका से मिलने आते हैं। यह मेला श्री रेणुका मां के वात्सल्य व पुत्र की श्रद्धा का एक अनूठा संगम है।
रेणूका नाहन से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर है। रेणुका झील के किनारे मां श्री रेणुका जी व भगवान परशुराम जी के भव्य मंदिर स्थित हैं।राचीन काल में आर्यवर्त में हैहय वंशी क्षत्रीय राज करते थे। भृगुवंशी ब्राह्मण उनके राज पुरोहित थे। इसी भृगुवंश के महर्षि ऋचिक के घर महर्षि जमदग्नि का जन्म हुआ। इनका विवाह इक्ष्वाकु कुल के ऋषि रेणु की कन्या रेणुका से हुआ। महर्षि जमदग्नि सपरिवार इसी क्षेत्र में तपस्या करने लगे। जिस स्थान पर उन्होंने तपस्या की वह तपे का टीला कहलाता है। महर्षि जमदग्नि के पास कामधेनु गाय थी जिसे पाने के लिए सभी तत्कालीन राजा, ऋषि लालायित थे। राजा अर्जुन ने वरदान में भगवान दतात्रेय से एक हजार भुजाएं पाई थीं। जिसके कारण वह सहस्त्रार्जुन कहलाए जाने लगे। एक दिन वह महर्षि जमदग्नि के पास कामधेनु मांगने पहुंचे। महर्षि जमदग्नि ने सहस्त्रबाहु एवं उसके सैनिकों का खूब सत्कार किया। उसे समझाया कि कामधेनु गाय उसके पास कुबेर जी की अमानत है। जिसे किसी को नहीं दे सकते। गुस्साए सहस्त्रबाहु ने महर्षि जमदग्नि की हत्या कर दी।
यह सुनकर मां रेणुका शोकवश राम सरोवर मे कूद गई। राम सरोवर ने मां रेणुका की देह को ढकने का प्रयास किया। जिससे इसका आकार स्त्री देह समान हो गया। जिसे आज पवित्र रेणुका झील के नाम से जाना जाता है। परशुराम अति क्रोध में सहस्त्रबाहु को ढूंढने निकल पड़े। उसे युद्ध के लिए ललकारा। भगवान परशुराम ने सेना सहित सहस्त्रबाहु का वध कर दिया। भगवान परशुराम ने अपनी योगशक्ति से पिता जमदग्नि तथा मां रेणुका को जीवित कर दिया। माता रेणुका ने वचन दिया कि वह प्रति वर्ष इस दिन कार्तिक मास की देवोत्थान एकादशी को अपने पुत्र भगवान परशुराम से मिलने आया करेंगी।मेला श्री रेणुका मां के वात्सल्य एवं पुत्र की श्रद्धा का एक अनूठा आयोजन है। पांच दिन तक चलने वाले इस मेले में आसपास के सभी ग्राम देवता अपनी-अपनी पालकी में सुसज्जित होकर मां-पुत्र के इस दिव्य मिलन में शामिल होते हैं। राज्य सरकार द्वारा इस मेले को अंतरराष्ट्रीय मेला घोषित किया गया है। रेणूका को भगवान परशु राम की वजह से ही पहचान मिली। राजनैतिक तौर पर इस इलाके में प्रेम सिंह ने जातिगत राजनिति को दरकिनार कर एकछत्र राज किया। यह क्षेत्र अनूसूचित जाति के लिये आरक्षित है। फिलहाल भाजपा के पास विनय कुमार के मुकाबले कोई मजबूत जनाधार वाला नेता यहां नहीं है।
श्री रेणूकाजी से अभी तक चुने गये विधायक
2012- विनय कुमार - कांग्रेस
विनय
कुमार
को
राजनिति
विरासत
में
मिली
49
वर्षीय
विनय
कुमार
को
राजनिति
विरासत
में
मिली।
उनके
पिता
कांग्रेस
नेता
स्वर्गीय
प्रेम
सिंह
थे।
23
सितंबर
2011
को
उनके
निधन
के
यहां
उपचुनाव
हुये
,लेकिन
विनय
चुनाव
हार
गये
व
बाद
में
2012
के
चुनावों
में
विनय
कुमार
ने
कांग्रेस
प्रत्याशी
के
तौर
पर
चुनाव
जीता।
उन्होंने
दसवीं
तक
शिक्षा
हासिल
की
है।