हिमाचल चुनाव 2017: सीट नंबर 58 पांवटा साहिब (अनारक्षित) विधानसभा क्षेत्र के बारे में जानिये
शिमला। पांवटा साहिब विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र हिमाचल प्रदेश विधानसभा में सीट नंबर 58 है। सिरमौर जिले में स्थित यह निर्वाचन क्षेत्र अनारक्षित है। 2012 में इस क्षेत्र में कुल 65,674 मतदाता थे। यह क्षेत्र साल 2008 में विधान सभा निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन के अनुसरण में अस्तित्व में आया। 2012 के विधानसभा चुनाव में किरनेश जंग इस क्षेत्र के विधायक चुने गए।
पांवटा साहिब को सिखों के 10वें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह, द्वारा स्थापित किया गया था, जो सिरमौर के राजा मैदिनी प्रकाश के निमंत्रण पर यहाँ चार साल से अधिक रहे थे। कहा जाता है कि जब वे 16 साल के थे तब वे यहाँ रहने आये थे। पावंटा का अर्थ है पैर जमाने की जगह। पांवटा साहिब, साल के पेड़ के हरे भरे जंगलों से घिरा है। एक पौराणिक कथा के अनुसार, यमुना की तेज़ धारा गुरू गोविंद सिंह की सलाह पर शांति से प्रवाहित होती थी, जिससे वे अशांति के बिना, सिख धर्म के शास्त्र, दसम् ग्रंथ लिख सकें।
पांवटा साहिब में कई पर्यटन स्थल के आकर्षण हैं और उनमें से अस्सान झील और सहस्त्रधारा लोकप्रिय हैं। सहस्त्रधारा यमुना नदी और टोंग नदी, जिसे तमसा के रूप में भी जाना जाता है, का संगम स्थल है। पांवटा साहिब शहर सिख तीर्थ केंद्रों के लिए अच्छी तरह से जाना जाता है, जिनमें गुरुद्वारा पांवटा साहिब, गुरुद्वारा टीरगढ़ साहिब, गुरुद्वारा भानगनी साहिब और गुरुद्वारा शेरगढ़ साहिब सम्मिलित हैं। देई-का मंदिर, खोदरा डाक पत्थर, नागनौना मंदिर, राम मंदिर, कटासन देवी मंदिर, यमुना मंदिर, शिव मंदिर, और बाबा गरीब नाथ मंदिर मुख्य स्थल हैं। यहां पंजाबी मतदाताओं का अपना प्रभाव है। विधानसभा डिलिमिटेशन के बाद पहली बार यहां 2012 में चुनाव हुये। यहां चौधरी बिरादरी का दबदबा रहा है। लेकिन किरनेश जंग का व्यक्तित्व जातिवाद पर हावी रहा व वह विजयी रहे।
पावंटा
साहिब
से
अभी
तक
चुने
गये
विधायक
वर्ष
चुने
गये
विधायक
पार्टी
संबद्धता
2012
किरनेश
जंग
निर्दलीय
60 वर्षीय किरनेश जंग ग्रेजूयेट हैं। उनके दो बेटे हैं। हालांकि वह कांग्रेस पार्टी से होते हुये राजनिति में आये,लेकिन उन्होंने 2012 का चुनाव निर्दलीय तौर पर जीता। उनके पास लंबा चौड़ा राजनैतिक अनुभव नहीं रहा। वह साधारण कृषक परिवार से हैं। और कामयाबी हासिल करते चले गये । उन्होंने 2012 के चुनाव में कांग्रेस से टिकट ने मिलने पर उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा व भाजपा प्रत्याशी सुखराम चौधरी को 790 मतों से हराया।