हिमाचल प्रदेश चुनाव 2017:सीट नंबर 48 बिलासपुर (अनारक्षित) विधानसभा क्षेत्र के बारे में जानिए
शिमला। बिलासपुर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र हिमाचल प्रदेश विधानसभा में सीट नंबर 48 है। बिलासपुर जिले में स्थित यह निर्वाचन क्षेत्र अनारक्षित है। 2012 में इस क्षेत्र में कुल 71,367 मतदाता थे। 2012 के विधानसभा चुनाव में यहां से बंबर ठाकुर विधायक चुने गये। सतलुज नदी के दक्षिण पूर्वी हिस्से में स्थित बिलासपुर समुद्र तल से 670 मीटर की ऊंचाई पर है। इसके उत्तर में मंडी और हमीरपुर जिले हैं, पश्चिम में ऊना और दक्षिण में सोलन जिले का नालागढ़ का क्षेत्र है। राज्य की राजधानी शिमला के पश्चिमोत्तर में एक कृत्रिम झील गोविंदसागर के समीप स्थित है। इसकी नींव राजा दीपचंद्र ने 1653 ई. में रखी थी। उन्होंने महाभारत कार महर्षि व्यास की स्मृति में इस नगर को बसाया था और इसका मूल नाम व्यासपुर ही रखा था जो बिगडक़र बिलासपुर बन गया। किंवदंती है कि वेदव्यास ने इस स्थान के पास एक गुफ़ा में तपस्या की थी। सतलज के वामतट पर एक पहाड़ी के नीचे व्यासगुफ़ा अब तक स्थित है। मार्कंडेय का आश्रम भी यहाँ से चार मील दूर है। कहा जाता है कि दोनों ॠषि एक सुरंग द्वारा परस्पर मिलने आते-जाते थे।
बिलासपुर, कहलूर भी कहलाता है। रियासत काल में यह कहलूर रियासत का हिस्सा था। गोरखों के अतिक्रमण से पहले 1894 तक बिलासपुर स्वतंत्र पंजाब हिल स्टेट की राजधानी था। ब्रिटिश सेना ने गोरखों को अगले ही वर्ष वहाँ से खदेड़ दिया था। पुराने महल और एक प्रसिद्ध मंदिर समेत लगभग पूरा नगर गोविंदसागर में जलमग्न हो गया । 1950 के दशक के कुछ बाद नए नगर का निर्माण किया गया था। साथ लगता भाखड़ा बांध विश्व का सबसे ऊंचा ग्रेविटी बांध है। बांध पर बनी झील लगभग 90 किलोमीटर लंबी है। यह बांध लगभग 168 वर्ग किलोमीटरके क्षेत्र में फैला हुआ है। यह बांध बिलासपुर का 90 प्रतिशत और ऊना जिले का 10 प्रतिशत हिस्सा घेरता है। इस बांध को 20 नवम्बर 1963 को पंडित जवाहर लाल नेहरू ने राष्ट्र को समर्पित किया था। बांध से आसपास के क्षेत्र का नजारा देखा जा सकता है। वहीं लोकप्रिय मार्कंडेय मंदिर मंदिर बिलासपुर से 20 किलोमीटर दूर तहसील सदर में स्थित है। पहले इस मंदिर में ऋषि मार्कंडेय रहते थे और अपने आराध्य की आराधना करते थे। इसी कारण इस मंदिर को मार्कंडेय कहा जाता है। यहां एक प्राचीन पानी का झरना भी है, जहां बैसाखी की रात्रि में एक वार्षिक पर्व आयोजित किया जाता है।
राजनैतिक दृष्टि से देखा जाये तो बिलासपुर राजपूत बहुल्य क्षेत्र है। जिससे यहां राजपूत नेता ही चुनाव जीतते आये हैं। यहां राजपूत व ब्राहम्ण मतदाताओं ने हमेशा ही प्रत्याशी की तकदीर लिखी है। यह इलाका एक ओर भोरंज तो दूसरी ओर घुमारवीं व नैनादेवी से सटा है। यहां ज्यादातर मतदाता भाखड़ा बांध के विसथापित हैं। जिनका दर्द आज तक किसी भी राजनैतिक दल ने समझा नहीं है। बिलासपुर में स्थापित सीमेंट कारखाने की वजह से लोगों को रोजगार के नये अवसर भी उपलब्ध हुये हैं।
बिलासपुर
(अनारक्षित)
विधानसभा
क्षेत्र
एक
नजर
में
जिला:
बिलासपुर
लोकसभा
चुनाव
क्षेत्र
:
हमीरपुर
मतदाता:
75,360
जनसंख्या
(2011)
:
1,22,630
साक्षरता
:
75
प्रतिशत
अजिविका:
खेती
बाड़ी,परंपरागत
काम
धंधा
शहरीकरण:
बिलासपुर
नगर
को
छोडक़र
बाकी
इलाका
ग्रामीण
बिलासपुर
से
अभी
तक
चुने
गये
विधायक
वर्ष
चुने
गये
विधायक
पार्टी
संबद्धता
2012
बंबर
ठाकुर
कांग्रेस
2007
जगत
प्रकाश
नड्डा
भाजपा
2003
तिलक
राज
कांग्रेस
1998
जगत
प्रकाश
नड्डा
भाजपा
1993
जगत
प्रकाश
नड्डा
भाजपा
1990
सदाराम
ठाकुर
भाजपा
1985
बाबु
राम
गौतम
कांग्रेस
1982
सदा
राम
ठाकुर
भाजपा
1977
आनन्द
चन्द
निर्दलीय
हिमाचल के दबंग विधायक हैं बंबर ठाकुर
बिलासपुर के विधायक बंबर ठाकुर प्रदेश के अकेले ऐसे दंबग विधायक हैं,जिनके साथ हमेशा विवाद चलते रहे हैं। चाहे सरकारी कर्मचारियों की पिटाई का मामला हो या विकास के काम कराने का तरीका। उनके जहां विरोधी हैं तो उन्हें पसंद करने वाले भी कम नहीं। 48 वर्षीय बंबर साधारण परिवार से आते हैं। राजनिति में आने के लिये उन्हें भाजपा व कांग्रेस दोनों दलों के नेताओं का आर्शीवाद मिलता रहा। व किस्मत ने भी उनका भरपूर साथ दिया । अपने कालेज के समय से ही उनके साथ कई विवाद जुड़े व एनएसयूआई से होते हुये राजनिति में आये। वह ला ग्रेजूयेट हैं। उनके दो बेटे हैं। बबंर ठाकुर उस समय सुर्खियों में आये,जब उन्होंने 1998 में जगत प्रकाश नड्डा के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ा व नड्डा की हार का कारण बने। शुरू में राम लाल ठाकुर की उंगली पकड़ कर राजनिति में आये, बंबर को भाजपा नेता प्रेम कुमार धूमल का करीबी भी माना जाता रहा है। 2005 में बिलासपुर जिला परिषद के लिये चुने गये। 2012 में उन्होंने पहली बार विधानसभा चुनाव जीता। आज बिलासपुर में बंबर ठाकुर की अपनी अलग हकूमत चलती है।