शिमला: घोटाले के आरोपों में घिरे मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की इस कांग्रेसी नेता ने बढ़ाई मुश्किलें
हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुखविन्दर सिंह सुक्खू के बीच चल रही वर्चस्व की लड़ाई अब सामने आ गई है।
शिमला। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुखविन्दर सिंह सुक्खू के बीच चल रही वर्चस्व की लड़ाई अब सामने आ गई है। संगठन व सरकार के बीच चल रहे इस कशमकश के माहौल में दोनों नेता एक दूसरे को नीचा दिखाने में कोई कोर कसर नहीं रख रहे।
क्या है पूरा मामला
हिमाचल प्रदेश में इसी साल के अंत तक चुनाव होने जा रहे हैं। लेकिन चुनावों से पहले पार्टी अध्यक्ष की कुर्सी पर कब्जा जमाने की जंग छिड़ गई है। हालांकि पार्टी में विधानसभा चुनावों से पहले संगठन चुनावों की तैयारियां भी चल रही हैं। मौजूदा समय में संगठन पर पार्टी अध्यक्ष सुखविन्दर सिंह सुक्खू का कब्जा है जिसके चलते सुक्खू की भी कोशिश है कि संगठन चुनाव हो जाए तो वह अगले तीन साल तक के लिये दोबारा आसानी से पार्टी अध्यक्ष चुन लिये जायेंगे लेकिन सुक्खू की कार्यशैली सीएम वीरभद्र सिंह को रास नहीं आ रही। वह इन दिनों सार्वजनिक मंचों पर पार्टी अध्यक्ष सुक्खू पर हमला करने से गुरेज नहीं करते। गाहे-बगाहे वीरभद्र सिंह कहते रहते हैं कि वह चुने हुये नहीं मनोनीत अध्यक्ष हैं लिहाजा वह ज्यादा न बोलें। अभी हाल ही में पार्टी अध्यक्ष ने प्रदेश में संगठन चुनाव कराने की बात की तो सीएम वीरभद्र सिहं ने इसे सिरे से ठुकरा दिया और कहा कि संगठन चुनाव कराने का यह वक्त सही नहीं है। इतना कहते ही कई विधायक भी वीरभद्र सिंह के सर्मथन में आ गये लेकिन उसके अगले ही दिन सुक्खू ने सीएम की दलील को सिरे से खारिज कर दिया।
वीरभद्र सिंह ने सोनिया गांधी से की सुक्खू की शिकायत
इस बीच गुरूवार को एक बार फिर वीरभद्र सिंह ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुखविंद्र सिंह सुक्खू को निशाने पर लेते हुये कहा कि डेमोक्रेसी में कोई परमानेंट नहीं होता। उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा कि इस व्यवस्था के तहत चाहे कोई कितने भी उंचे पद पर क्यों ना हो, हमेशा नहीं रह सकता। उन्होंने कहा कि डेमोक्रेसी में जनप्रतिनिधि भी बदले जा सकते हैं। इन दिनों वीरभद्र सिंह प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुखविंद्र सिंह सुक्खू को लेकर टेढ़ा रुख अख्तियार किए हुए हैं। इससे पहले वीरभद्र सिंह दिल्ली में पार्टी अध्यक्षा सोनिया गांधी से मिलकर मौजूदा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुखविन्दर सिंह सुक्खू की कार्यप्रणाली की शिकायत कर चुके हैं। उन्होंने साफ तौर पर पार्टी आलाकमान को कह दिया है कि जब तक सुक्खू को पद से हटाया नहीं जाता तब तब पार्टी अगले चुनावों में अपनी लड़ाई मजबूत ढ़ंग से नहीं लड़ पायेगी। वीरभद्र सिंह और सुक्खू के बीच रिश्तों में आई खटास किसी से छिपी नहीं है। यही वजह है कि अब सीएम ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और पार्टी आलाकमान पर दवाब बना रहे हैं कि जल्द से जल्द नये अध्यक्ष की ताजपोशी हो।
दलित को बनाना चाहते हैं प्रदेश अध्यक्ष
वीरभद्र सिंह की दलील है कि प्रदेश में संगठन और सरकार का मुखिया अलग-अलग जाति से हो। अगर राजपूत दलित का कंबिनेशन बनाया जाये तो पार्टी आसानी से दलित मतदाताओं पर अपना प्रभाव जमाने में कामयाब हो जायेगी। इस समय प्रदेश कांग्रेस में संगठन और सरकार दोनों में पदों के मुखिया राजपूत बिरादरी से हैं। वीरभद्र सिंह की दलील है कि भाजपा को रोकने के लिये कांग्रेस को राजपूत दलित गठजोड़ पर जोर देना चाहिये। ताकि दलितों में एक अच्छा संदेश जाए। वहीं उन्होंने आरोप लगाया है कि सुक्खू गाहे बगाहे सरकार के खिलाफ बगावत करने वालों को शह देते रहे हैं। वीरभद्र सिंह ने सोनिया गांधी को विधायक कुलदीप कुमार व पूर्व विधायक गंगू राम मुसाफिर का नाम अगले अध्यक्ष के लिये सुझाया है। भोरंज उपचुनाव में पार्टी प्रत्याशी को मिली करारी शिकसत का ठिकरा भी वीरभद्र सिंह ने सुक्खू के सिर फोड़ा है। पार्टी में चल रहे शह मात के खेल में वीरभद्र का विरोधी धड़ा जो सुक्खू से नाखुश बताया जा रहा है, वह पार्टी की कमान आशा कुमारी को थमाने की वकालत कर रहा है। वहीं नये अध्यक्ष के लिये पार्टी नेता कुलदीप राठौर व राजेश धर्मणाी का नाम भी सुर्खियों में है। मौजूदा अध्यक्ष की इस गोलबंदी से उनकी कुर्सी खतरे में है। चूंकि भोंरज उपचुनाव के बाद सुक्खू पार्टी में कमजोर होते जा रहे हैं।
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