हार्दिक पटेल बोले- कांग्रेस ने गुजरात निकाय चुनावों में मुझे काम नहीं दिया, मेरी राय ली होती तो जीतते
गांधीनगर। गुजरात में नगर निगम, नगर पालिका एवं पंचायत चुनावों में कांग्रेस की हुई करारी हार पर हार्दिक पटेल ने बात की। हार्दिक ने अपनी ही पार्टी कांग्रेस की आलाकमान से नाराजगी जाहिर की। हार्दिक ने कहा है कि, इन चुनावों के बारे में पार्टी ने मेरी राय नहीं ली। यहां तक मैंने जो रैली आयोजित कीं, वो भी मैंने अपने बूते कीं। यदि मुझसे विचार-विमर्श किया होता तो चुनाव के परिणाम कुछ और होते। इस हार से मुझे काफी निराशा हुई है। हार्दिक पटेल गुजरात में कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हैं। बावजूद इसके पार्टी द्वारा उन्हें गंभीरता नहीं लिया गया, ऐसी चर्चा सोशल मीडिया पर हो रही हैं।
कांग्रेस
की
हार
पर
हार्दिक
ने
कहीं
ये
बातें
हार्दिक
पटेल
ने
स्थानीय
निकाय
चुनावों
में
पार्टी
की
अपमानजनक
हार
के
बाद
दावा
किया
कि,
चुनाव
में
उन्हें
कोई
काम
नहीं
दिया
गया
था
और
टिकट
वितरण
के
लिए
उनकी
राय
भी
नहीं
मांगी
गई
थी।
यदि
उम्मीदवार
चुनने
में
उनसे
चर्चा
की
गई
होती
तो
परिणाम
बेहतर
आते।
उन्होंने
यह
भी
माना
कि,
प्रदेश
कांग्रेस
इकाई
का
कामकाज
प्रभावित
हुआ
है।
पटेल
ने
गुजरात
के
पार्टी
के
केंद्रीय
नेतृत्व
की
समझ
पर
भी
सवाल
उठाए
और
कहा
कि
कांग्रेस
राज्य
में
विपक्ष
के
तौर
पर
संघर्ष
करने
में
विफल
रही
है।
नाराजगी
है,
लेकिन
पार्टी
नहीं
छोड़ेंगे
हालांकि,
हार्दिक
ने
भविष्य
में
कांग्रेस
छोड़ने
की
अटकलों
को
भी
खारिज
कर
दिया
और
कहा
कि
वह
पार्टी
में
बने
रहेंगे
और
उन्हें
जो
भी
जिम्मेदारी
दी
जाती
है,
उसे
पूरा
करेंगे।
पटेल
ने
यह
भी
तर्क
दिया
कि
विधायकों
को
संगठन
के
काम
से
दूर
रखना
होगा।
उन्होंने
कहा,
'आलाकमान
के
स्टेप्स
अच्छे
नहीं
थे।
लेकिन
मैं
पार्टी
को
मजबूत
करने
के
लिए
काम
करता
रहूंगा।
आलाकमान
को
गुजरात
को
समझना
होगा।''
पटेल ने 5015 के चुनावों का भी जिक्र किया। उस साल वे पाटीदार आरक्षण आंदोलन का चेहरा थे, उसके कुछ दिनों बाद भाजपा ने सभी 31 जिला पंचायतों को जीता। 81 में से 74 नगरपालिकाओं को भी जीता। वहीं, पटेल की वजह से कांग्रेस ने भी अच्छा प्रदर्शन किया। मगर, इस बार पिछले महीने हुए पहले चरण के छह नगर निगमों के लिए चुनावों में भाजपा ने क्लीन स्वीप किया। सूरत नगर निगम में तो कांग्रेस अपना खाता भी नहीं खोल पाई।