Gujarat Elections : दलबदलू हार्दिक-अल्पेश को BJP में टिकट की आस, पूर्व CM रुपाणी का पत्ता कटेगा ! जानिए समीकरण
Gujarat Elections BJP के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई है। भले ही यह प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का गृह राज्य है, लेकिन जिस तरह AAP ताल ठोक रही है, ऐसे में जनाधार खिसकने की आशंका प्रबल है। ऐसे में सियासत का ऊंट किस करवट बैठेगा ये जनता जनार्दन तय करेगी। इसी बीच चुनाव से पहले दलबदलू नेताओं का जिक्र भी सामने आ रहा है। इन नेताओं में हार्दिक पटेल और अल्पेश ठाकोर जैसे कांग्रेसी शामिल हैं, जो अब भाजपा में हैं। कांग्रेस छोड़कर गए इन नेताओं को भाजपा में टिकट मिलने की आस तो है, लेकिन इसकी संभावना कितनी है; जानिए-

कांग्रेस से भाजपा में जाने पर टिकट की आस
दरअसल, हार्दिक पटेल और अल्पेश ठाकोर गुजरात में ऐसे कांग्रेस नेता रहे, जिनकी युवाओं के बीच पैठ तो थी, लेकिन आकाकमान कल्चर के कारण राहुल गांधी सरीखे नेताओं से सीधी बात नहीं होती थी। अब लोकतांत्रिक पार्टी होने का दावा करने वाली भाजपा में शामिल हो चुके हार्दिक और अल्पेश जैसे नेता गुजरात विधानसभा चुनाव 2022 में बीजेपी की टिकट मांगने वाले पूर्व कांग्रेसी नेताओं की सूची में प्रमुख बताए जा रहे हैं।

हार्दिक बीजेपी की टिकट पर किस विधानसभा सीट से ताल ठोकेंगे
गुजरात चुनाव में दलबदलू नेताओं को टिकट की संभावना पर टाइम्स ऑफ इंडिया (टीओआई) की एक रिपोर्ट के मुताबिक पाटीदार आरक्षण आंदोलन का नेतृत्व कर प्रसिद्धि पाने वाले हार्दिक पटेल महज 29 साल के हैं। बाद में गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बने हार्दिक पटेल कांग्रेस पार्टी में संवाद और सीधी बातचीत के अभाव का हवाला देते हुए भाजपा में शामिल हो गए। बीजेपी का दामन थामने वाले हार्दिक पटेल भाजपा के लिए अहम कैंडिडेट बन सकते हैं। ऐसे में हार्दिक बीजेपी की टिकट पर वीरमगाम विधानसभा सीट से चुनाव लड़कर चुनावी राजनीति में पदार्पण करें, इस बात की पूरी संभावना है।

क्या आंदोलन से निकले अल्पेश भाजपा की टिकट पर ?
हार्दिक पटेल के समकालीन अल्पेश ठाकोर ने अपनी जाति के आरक्षण पर आंच न आने को लेकर आंदोलन में शामिल हुए थे। टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक अल्पेश कोली ठाकोर कम्युनिटी को मिलने वाले आरक्षण और लाभ की रक्षा के लिए हार्दिक के पाटीदार आंदोलन के समानांतर ही दूसरे आंदोलन का नेतृत्व किया था। कांग्रेस में अल्पेश का एक संक्षिप्त कार्यकाल रहा। अब अल्पेश भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ सकते हैं।

40 दलबदलू नेता टिकट की दौड़ में
टीओआई की रिपोर्ट में लिखा गया कि पार्टी बदलने वाले नेताओं को पूरी उम्मीद है कि भाजपा के चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़ने का मौका मिलेगा। ऐसे नेताओं में कांग्रेसियों की सूची लंबी होती जा रही है। 35 से अधिक कांग्रेस सदस्यों ने 2017 के विधानसभा चुनाव के बाद पाला बदला और अब भाजपा नेता के रूप में संगठन समेत पार्टी नेतृत्व पर गुजरात विधानसभा चुनाव 2022 में ऐसे दलबदलू नेता टिकट देने का दबाव बना रहे हैं। कुछ सियासी पंडितों का मानना है कि गुजरात में पार्टी बदलने के बाद टिकट का दबाव बनाने वाले नेताओं की संख्या 40 है।

इन नेताओं की उम्मीदवारी पर मंथन
यह भी दिलचस्प है कि टिकट का दबाव बना रहे कई पूर्व कांग्रेस सदस्यों की नई पहचान भाजपा है। इनमें से कुछ लोगों ने पार्टी बदलने के बाद कमल के निशान पर चुनाव जीता और मौजूदा विधायक भी हैं। गुजरात चुनाव में ऐसे दलबदलू जिन्हें बीजेपी से एक बार फिर टिकट मिलने की आस है, इन नेताओं में कुंवरजी बावलिया का नाम भी शामिल है। बावलिया पांच बार विधायक रह चुके हैं और लोकसभा सांसद भी रह चुके हैं। सोमाभाई कोली पटेल सुरेंद्रनगर से लोकसभा सदस्य रह चुके हैं। लिंबडी विधानसभा सीट से एक से अधिक बार विधायक रह चुके सोमाभाई इस बार भी टिकट की आस लगाए बैठे हैं। मोरबी में पुल गिरने के बाद दर्जनों लोगों की मौत से उपजे विवाद के बावजूद बृजेश मेरजा मोरबी सीट से प्रबल दावेदार हैं। इन सभी नेताओं का इतिहास कांग्रेस से जुड़ता है।

भाजपा का कैडर एकजुट रखना चैलेंजिंग
गुजरात की सियासत को करीब से समझने वाले लोगों की नजरों में पूर्व कांग्रेस नेताओं को भाजपा की टिकट मिलना चुनौती तो है ही, लेकिन यह बीजेपी के लिए भी बड़ी दुविधा बन रही है। भाजपा अपने समर्पित कैडर को एकजुट और बुलंद हौसले के साथ रखना चाहती है। ऐसे में बीजेपी को संतुलन बनाना ही होगा। भले ही भाजपा को कांग्रेस के दलबदलुओं को समायोजित करना पड़े लेकिन बीजेपी का कैडर प्रभावित नहीं होना सबसे बड़ा चैलेंज है।

विजय रुपाणी और नितिन पटेल का पत्ता साफ !
टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक भाजपा के प्रमुख सूत्रों ने माना है कि इस बार टिकट के लिए बड़ी संख्या में कांग्रेस छोड़कर कमल थामने वाले नेताओं पर विचार किया जा रहा है। इसमें ऐसे पूर्व कांग्रेस सदस्य भी शामिल हैं जो विधायक नहीं हैं या चुनाव नहीं लड़े हैं, लेकिन जनता के बीच काफी लोकप्रिय हैं। इसी रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि दूसरी ओर, ऐसे भी संकेत हैं कि पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी और उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल सहित भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के पत्ते साफ हो सकते हैं। टिकट बंटवारे में इनके नाम पर इसलिए विचार नहीं किया जाएगा क्योंकि पार्टी उन्हें संगठन के भीतर अन्य जिम्मेदारियां देने का इरादा रखती है।