Gujarat Election Results 2022: कांग्रेस के साथ-साथ भाजपा के लिए भी डरा रही है आप?

Gujarat Election Results 2022: गुजरात चुनाव परिणामों से यह स्पष्ट हो गया कि बीजेपी भारतीय राजनीति की एक बड़ी ताकत है। इन परिणामों में भारत के भविष्य की राजनीतिक झलक भी है। गुजरात चुनाव के कारण आम आदमी पार्टी अब राष्ट्रीय पार्टी बन गयी। गुजरात में उसे पांच सीट मिले या इससे कम-बेसी, उससे ज्यादा महत्वपूर्ण ये है कि अब उसका वोट शेयर करीब 13 फीसदी के आसपास मिलता हुआ दिख रहा है। सिर्फ 10 साल पुरानी एक पार्टी ने दिल्ली जीत लिया, पंजाब जीत लिया और अब गुजरात में भी दस्तक दे रही है। यानी भविष्य में आप ही वह पार्टी होगी जो भाजपा को चुनौती देगी। कांग्रेस अब कहने के लिए राष्ट्रीय पार्टी है। उसका दायरा दिनोंदिन सिकुड़ रहा है। कांग्रेस के विध्वंस पर ही आपका नवनिर्माण खड़ा हो रहा है।

क्या कांग्रेस की जगह आप लेगी ?
भाजपा विरोधी मतदाताओं की सोच बदल रही है ? क्या अब ये वोटर कांग्रेस को डूबता हुआ जहाज समझ कर आप की तरफ शिफ्ट हो रहे हैं ? जहां-जहां कांग्रेस कमजोर हो रही है वहां-वहां आम आदमी पार्टी मजबूत हो रही है। अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली की सत्ता कांग्रेस से ही छीनी थी। पंजाब में भी आप, कांग्रेस को हरा कर ही सत्ता पर काबिज हुई। अब कांग्रेस गुजरात में भी कमजोर हो रही है। पिछले चुनाव में 77 सीट जीतने वाली कांग्रेस सिर्फ 20-21 सीटों पर सिमटती दिख रही है। आप भले नयी नवेली पार्टी है लेकिन उसने भारतीय राजनीति में बहुत तेजी से जगह बनायी है। अरविंद केजरावील की राजनीतिक शैली की अन्य दले भले मजाक उड़ा लें लेकिन जनता उसे पसंद कर रही है।

भाजपा मजबूत लेकिन आप उसके लिए खतरे की घंटी
भारत की राजनीति में आप का उत्थान भाजपा के लिए खतरे की घंटी है। दिल्ली में आप मजबूत हुई तो उसने भाजपा की राह रोक दी। भाजपा वहां 2015 और 2020 का विधानसभा चुनाव बुरी तरह हार गयी। अब एमसीडी चुनाव भी वह हार गयी। अगर आप राष्ट्रीय पार्टी के रूप में मजबूत होती है तो आगे चल कर वह भाजपा को ही चुनौती देगी। भाजपा के नेता अभी इस बात से खुश हैं कि गुजरात में अरविंद केजरीवाल के चुनाव लड़ने से उसका नहीं बल्कि कांग्रेस का नुकसान हुआ। लेकिन भाजपा की यह खुशफहमी थोड़े समय के लिए ही है। आज वह कांग्रेस की जगह ले रही है। कल भाजपा की लेगी। राष्ट्रीय स्तर पर विकल्प नहीं मिलने की वजह से भी भाजपा की चांदी कट रही है। लेकिन जैसे वोटरों को एक विश्वसनीय विकल्प मिल जाएगा, भाजपा भी अर्स से फर्श पर आ जाएगी।

हार से सीख लेने की जरूरत
कांग्रेस के नेता अपनी खत्म हो रही साख पर सोचने की बजाय निरर्थक तर्क गढ़ रहे हैं। उनका कहना है कि भाजपा ने कांग्रेस को डैमेज करने के लिए आप और एआइएमआइएम को गुजरात चुनाव में लड़ने के लिए बुलाया। ऐसा कहना क्या इन दलों के वजूद का अपमान नहीं ? ये बहुदलीय लोकतंत्र है। जितने भी दल चाहें चुनाव लड़ सकते हैं। अब कांग्रेस को भी स्वीकार करना पड़ेगा कि आप तेजी से उभरने वाला राजनीतिक दल है। आप को तो पंजाब में किसी ने नहीं बुलाया था फिर कांग्रेस कैसे चुनाव हार गयी ? कांग्रेस ईमानदारी से अपनी हार पर मंथन नहीं कर रही। वह नरेन्द्र मोदी या अरविंद केजरीवाल के खिलाफ ज्यादा ऊर्जा खर्च कर रहे हैं बनिस्पत कि अपनी मजबूती पर।

आप की ताकत को स्वीकार करने का है यह समय
अगर कांग्रेस खुद मजबूत पार्टी रहती तो आज भाजपा इतनी ताकतवार नहीं होती। भाजपा इसलिए लगातार मजबूत हो रही है क्योंकि कांग्रेस लगातार चुनाव हार रही है। एक-दो राज्यों में वह जरूर झलक दिखला देती है लेकिन व्यापक संदर्भ में उसका पराभव ही हो रहा है। गुजरात चुनाव में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का भी कोई असर नहीं दिखा। जब कि अरविंद केजरीवाल ने इस राज्य में अपना खाता खोल लिया। कांग्रेस का यह कहना कि केवल आप के लड़ने से भाजपा को गुजरात में इतनी बड़ी जीत मिली है, यह सच पर पर्दा डालने की तरह है। गुजरात चुनाव लड़ने के कारण आप को सबसे बड़ा फायदा यह मिला कि वह राष्ट्रीय पार्टी बन गयी। फिर यह कहना कैसे उचित होगा कि वह वोट काटने के लिए चुनाव लड़ रही थी ?
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