'एक-दो दिन खुद को मीट खाने से रोक लेंगे तो क्या हो जाएगा?', बूचड़खाना बंद करने के आदेश पर गुजरात HC
अहमदाबाद। गुजरात में बूचड़खाना बंद करने के फैसले पर हाईकोर्ट ने एक याचिकाकर्ता को जो कहा, उस टिप्पणी की लोगों के बीच चर्चा हो रही है। दरअसल, जैन समुदाय के त्योहार पर अहमदाबाद नगर निगम द्वारा शहर के एकमात्र बूचड़खाने को बंद करने का फैसला लिया गया था। जिसके खिलाफ एक शख्स ने गुजरात हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर दी। याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई तो शख्स ने अपने मौलिक अधिकारों का तर्क दिया। इस पर जज बोले कि, 'क्या कोई एक-दो दिन बिना मांस खाए नहीं रह सकता? आप 1-2 दिनों के लिए खुद को मांस खाने से नहीं रोक सकते?'
हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता को ऐसा कहकर जज ने सुनवाई शुक्रवार तक स्थगित कर दी। बता दें कि, याचिकाकर्ता कुल हिंद जमीयत-अल कुरेश एक्शन कमेटी की तरफ से था, जिसने अहमदाबाद नगर निगम (एएमसी) ने 24 अगस्त से 31 अगस्त तक बूचड़खाने बंद करने के फैसले के विरोध में गुजरात हाईकोर्ट का रूख किया था। याचिकाकर्ता कुल हिंद जमीयत-अल कुरेश एक्शन कमेटी ने तर्क दिया कि अहमदाबाद नगर निगम (एएमसी) द्वारा लिया गया 24 अगस्त से 31 अगस्त तक बूचड़खाने बंद करने का आदेश लोगों के भोजन के अधिकार को रोक देता है। हमें इस पर आपत्ति है, ऐसे आदेश पर रोक लगाई जाए।'
याचिकाकर्ता
की
मांग
पर
गौर
करने
के
बाद
हाईकोर्ट
में
न्यायमूर्ति
भट्ट
ने
कहा
कि,
'जब
कोई
रोक
लगती
है
तो
लोग
अंतिम
समय
में
अदालतों
की
ओर
दौड़
पड़ते
हैं।
फिर
मुकदमे
के
कागजातों
को
देखते
हुए
भट्ट
ने
टिप्पणी
की
कि
क्या
कोई
एक-दो
दिन
बिना
मांस
खाए
नहीं
रह
सकता?
उन्होंने
कहा,
'आप
खुद
को
एक-दो
दिन
के
लिए
मीट
खाने
से
रोक
सकते
हैं...'
तब
याचिकाकर्ता
की
ओर
से
कहा
गया
कि,
अहमदाबाद
नगर
निगम
(एएमसी)
ने
5
से
9
सितंबर
के
बीच
भी
विभिन्न
त्योहारों
को
देखते
हुए
एकमात्र
बूचड़खाने
को
बंद
करने
का
आदेश
दिया
है।
हम
नगर
निगम
के
इस
फैसले
के
खिलाफ
हैं।'
ऐसा
कहकर
याचिकाकर्ता
ने
अंतरिम
राहत
के
लिए
दबाव
डाला,
इस
पर
जज
ने
मामले
की
आगे
सुनवाई
के
लिए
शुक्रवार
तक
के
लिए
स्थगित
कर
दी।