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Gujarat Election:सौराष्ट्र में पिछली बार कांग्रेस से पिछड़ी थी बीजेपी, इस बार क्या है हाल ? जानिए

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Gujarat Assembly Elections 2022: गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में विधानसभा की 48 सीटें हैं। पिछली बार यहां पर भारतीय जनता पार्टी की पकड़ ढीली पड़ गई थी। तब कांग्रेस ने अपनी सीटों की संख्या लगभग दोगुनी कर ली थी। इसलिए, इसबार चुनावों के ऐलान से पहले से ही भाजपा की टॉप लीडरशिप ने भी यहां पर अपने जनाधार को वापस लाने के लिए कड़ी मशक्कत शुरू कर दी थी। लेकिन, इस बार आम आदमी पार्टी एक नई चुनौती के तौर पर सामने आई है। हालांकि, भाजपा ने काफी मेहनत की है, लेकिन यह देखने वाली बात होगी कि इस बार सौराष्ट्र से होकर गांधी नगर की सत्ता तक पहुंच किसकी बनती है।

सौराष्ट्र क्षेत्र में पिछली बार पिछड़ गई थी बीजेपी

सौराष्ट्र क्षेत्र में पिछली बार पिछड़ गई थी बीजेपी

गुजरात में कहा जाता है कि गांधीनगर तक सत्ता का रास्ता सौराष्ट्र से होकर ही जाता है। राज्य की 182 विधानसभा सीटों में से 48 इसी क्षेत्र में हैं, जहां पहले चरण में ही एक दिसंबर को मतदान होना है। 2017 के विधानसभा चुनावों में पाटीदार आंदोलन की वजह से मिले समर्थन के दम पर कांग्रेस यहां 28 सीटें जीत गई थी। जबकि, भारतीय जनता पार्टी के एमएलए की संख्या यहां तब 2012 के 30 से घटकर सिर्फ 19 रह गई थी। इसलिए सत्ताधारी दल अपने खोए हुए जनाधार को फिर से वापस लाने के लिए पूरी ताकत झोंक रही है। हालांकि, इस बार पाटीदार आंदोलन वाला टेंशन तो नहीं है, लोकिन मोरबी पुल हादसा जरूर पार्टी को चिंता में डाल रहा है, जो कि सौराष्ट्र क्षेत्र की ही सीट है।

सौराष्ट्र में पांच साल में हालात काफी बदल गए- बीजेपी

सौराष्ट्र में पांच साल में हालात काफी बदल गए- बीजेपी

एक वरिष्ठ भाजपा नेता यमल व्यास ने सौराष्ट्र क्षेत्र में प्रदर्शन को लेकर द हिंदू से कहा है, 'बेहतर करने की तो छोड़िए, कांग्रेस के लिए इस बार अपनी संख्या बरकरार रखना पाना बहुत ही असंभव है। 2017 में उन्होंने पाटीदार आंदोलन को भुनाने की कोशिश की थी और 28 सीटें जीत गए थे।' उनका भरोसा है कि 2017 के मुकाबले बीजेपी ने अपनी स्थिति यहां काफी बेहतर कर ली है और इस बार पाटीदारों के अलावा 100 से ज्यादा ओबीसी समुदाय के लोग बीजेपी को वोट देंगे। मंगरोल विधानसभा सीट के बीजेपी नेता वेलजी मसानी ने कहा, 'पूरे हालात बदल चुके हैं। पांच साल से कम अवधि में कई सारे विकास के कार्य पूरे किए गए हैं। जल समस्या इस क्षेत्र की सबसे बड़ी दिक्कत है, जिसपर ध्यान दिया गया है। इसके चलते यहां किसानों की आमदनी काफी बढ़ी है और क्षेत्र की महिलाएं बहुत खुश है।'

भाजपा ने सौराष्ट्र में इस बार की है कड़ी मेहनत

भाजपा ने सौराष्ट्र में इस बार की है कड़ी मेहनत

सौराष्ट्र क्षेत्र की अहमियत को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर गृहमंत्री अमित शाह और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से लेकर मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल और प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष सीआर पाटिल तक पिछले कुछ के समय में इस क्षेत्र का दौरा कर चुके हैं। चुनावों के ऐलान से पहले जामनगर में तो पीएम मोदी ने कई सारी विकास योजनाएं भी लॉन्च की थीं। सौराष्ट्र क्षेत्र में 11 जिले हैं- सुरेंद्रनगर, मोरबी, राजकोट, जामनगर, देवभूमि द्वारका, पोरबंदर, जूनागढ़, गीर सोमनाथ, अमरेली, भावनगर और बोटाद। 2017 में इनमें से मोरबी, गीर सोमनाथ और अमरेली में भाजपा का खाता भी नहीं खुला था।

सौराष्ट्र में भाजपा के लिए 2017 के बाद क्या बदला ?

सौराष्ट्र में भाजपा के लिए 2017 के बाद क्या बदला ?

बीजेपी के लिए 2017 के मुकाबले सबसे बड़ा बदलाव ये है कि पाटीदार आंदोलन के सबसे बड़े चेहरे हार्दिक पटेल तब कांग्रेस के साथ थे और इस बार विरमगाम सीट से कमल निशान पर चुनाव लड़ रहे हैं। यही नहीं, पिछले पांच वर्षों में भाजपा ने कांग्रेस के जो 20 एमएलए झटके हैं, उनमें से आधे से ज्यादा सौराष्ट्र क्षेत्र के ही हैं। बीजेपी के लिए इस बार सौराष्ट्र क्षेत्र में एक नई चुनौती आम आदमी पार्टी के तौर पर सामने आई है। इसके मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार खंभालिया देवभूमि द्वारका के ही खंभालिया सीट से चुनाव मैदान में हैं।

सौराष्ट्र में हम 25 सीटे जीतेंगे- आम आदमी पार्टी

सौराष्ट्र में हम 25 सीटे जीतेंगे- आम आदमी पार्टी

हालांकि, भाजपा नेता व्यास का दावा है कि 'यह (आम आदमी पार्टी)वोट बांट सकती है, लेकिन इस क्षेत्र में खाता नहीं खोल पाएगी।' फिलहाल बीजेपी सौराष्ट्र के गीर सोमनाथ, अमरेली और मोरबी जिले में काफी जोर लगा रही है, जहां 2017 में उसे एक भी सीट नहीं मिली थी। लेकिन, आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता योगेश जदवानी का दावा है कि उनकी पार्टी सौराष्ट्र क्षेत्र में कम से कम 25 सीटें जीतने जा रही है। उन्होंने कहा, 'इस बार लड़ाई गुजरात की जनता और बीजेपी के बीच में है। निश्चित रूप से जनता जो कि हमारे साथ है, जीत दिलाएगी। कांग्रेस के पास एक अंक में सीट रह जाएगी।'

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ओबीसी वोट बैंक पर भाजपा की नजर

ओबीसी वोट बैंक पर भाजपा की नजर

लेकिन, भाजपा इस उम्मीद में है कि पाटीदार वोट की थोड़ी-बहुत कमी किसी वजह से रह भी गई तो वह इसकी भरपाई ओबीसी वोटों से कर लेगी। ओबीसी समाज मुख्य तौर पर तटीय क्षेत्रों में फैला हुआ है और लगभग 40% सीटों पर प्रभावी भूमिका में है। भाजपा नेता मसानी के मुताबिक मंगरोल, केशोद, वेरावल और तलाला सीटें पार्टी के लिए बहुत ही अहम सीटें साबित होने वाली है। उन्होंने कहा, 'वेरावल और तलाला में प्रत्येक में कम से कम 50,000 कोली वोटर हैं, इसके बाद केशोद में 45,000 और मंगरोल में 35,000.' उन्होंने कहा कि 'यहां उनका वोट गेम-चेंजर होगा।'

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English summary
Gujarat Election 2022:This time BJP wants to reverse the game on 48 seats in Saurashtra. The party had lost 28 seats to the Congress last time. This time Aam Aadmi Party became a challenge
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