'गुजरात ने नहीं स्वीकारे अपने 1200 मजदूर, उन्हें महाराष्ट्र से पहुंचाने का खर्च कांग्रेस ने उठाया'
नई दिल्ली। कोरोना-लॉकडाउन के बीच मुंबई लंबे समय से फंसे प्रवासी मजदूरों को स्वीकारने से उनकी राज्य सरकारें कतरा रही हैं। ऐसे ही राज्यों में शामिल गुजरात की विजय रूपाणी के नेतृत्व वाली सरकार पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बालासाहेब थोराट ने जमकर निशाना साधा। थोराट ने शुक्रवार को कहा- "हमारा पड़ोसी भाजपा शासित राज्य गुजरात मुंबई में महीनों से फंसे अपने प्रवासी कामगारों को वापस बुलाने से हिचक रहा है। इन मजदूरों को गुजरात में एंट्री नहीं दी जा रही।"
थोराटा ट्वीट करते हुए बोले, "महाराष्ट्र में फंसे प्रवासी श्रमिकों का मुद्दा दिन पर दिन गंभीर होता जा रहा है। महाराष्ट्र सरकार गुजरात वापस जाने के इच्छुक प्रवासियों के यात्रा खर्च का भुगतान करने के लिए तैयार है। लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इसके बावजूद गुजरात सरकार उन्हें (एसआईसी) स्वीकार नहीं कर रही है।"
महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री ने आरोप लगाया कि गुजरात सरकार ने कच्छ में अपने गांव जाने के लिए मुंबई में फंसे 1,200 गुजराती प्रवासी श्रमिकों को अनुमति नहीं दी है। हालांकि, थोराट ने यह भी आरोप लगाया कि गुजरात के साथ-साथ, ओडिशा, कर्नाटक और पश्चिम बंगाल राज्यों ने भी अपने प्रवासी श्रमिकों को वापस आने से मना कर दिया है। थोराट बोले- "गुजरात के अलावा, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और कर्नाटक सरकारें भी महाराष्ट्र में फंसे अपने ही नागरिकों को स्वीकार नहीं कर रही हैं।"
कांग्रेस नेता के मुताबिक, कांग्रेस ने महाराष्ट्र के विभिन्न हिस्सों से 4,627 प्रवासियों के अपने राज्यों में लौटने का खर्च उठाया है। वहीं, गुजरात सरकार ने पिछले सात दिनों में 65 'श्रमिक स्पेशल' ट्रेनों के जरिए राज्य में फंसे 70,000 से अधिक प्रवासियों को घर भेज दिया। लॉकडाउन में ऐसा करके गुजरात ने देश के किसी भी अन्य राज्य से ज्यादा विशेष सुविधाएं प्रवासियों को दीं।
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वहीं, सेव लाइफ फाउंडेशन द्वारा गुरुवार को जारी एक रिपोर्ट में पता चला है कि कोरोना वायरस लॉकडाउन के दौरान घर लौटने की कोशिश के दौरान सड़क दुर्घटनाओं में कम से कम 42 प्रवासी श्रमिकों की मौत हो गई।
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