गुजरात में ऐसा गांव जो 8 महीने रहता है पानी से घिरा, नावों पर घूमते हैं लोग, क्यों छोड़ने को तैयार नहीं?
सूरत। भारत गांवों का देश माना जाता है। हालांकि, बीते एक दशक में यहां गांव कम हुए हैं और शहरों की संख्या बढ़ी है। लाखों में कुछ गांव ऐसे हैं..जिनमें लोगों की दिनचर्या के तौर-तरीके आदिवासियों जैसे हैं। वहां न बिजली है..न कार, रेल जैसी गाड़ियां। फिर भी वे लोग खुश हैं और अपनी संस्कृति से प्रेम करते हैं। आज हम यहां आपको अनोखा गांव ही दिखाने जा रहे हैं। यह गांव है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृहराज्य गुजरात में...
ये टापू नहीं, पानी में घिरा रहने वाला गांव है
आप देख रहे हैं सूरत शहर से कुछ किलोमीटर दूर स्थित दक्षिण गुजरात का जूना बेज गांव। यहां 50 घर हैं और करीब 500 लोग रहते हैं। ये ऐसा गांव है जो साल के 8 महीने पानी से घिरा रहता है। ये गांव गुजरात की उकाई बांध योजना के डूब क्षेत्र में आता है। मगर, ग्रामीणों ने इसे नहीं छोड़ा। वे यहीं रहना पसंद करते हैं। यहां गाड़ी-मोटरसाइकिलें नहीं चलतीं। लोगों के पास नावें रहती हैं। और, नौकायुग ही मानो यहां के लोगों की तकदीर बन गया है।
यहां गाड़ी-मोटरसाइकिलें नहीं चलतीं
आदिवासी गांवों की तरह यहां बिजली भी नहीं है। यहां के लोग सौर उूर्जा से काम चलाते हैं। इस गांव को सौरउूर्जा से रोशन होने के लिहाज से अच्छा माना जाता है। एक बुजुर्ग ने बताया कि, ये गांव उकाई बांध योजना के डूब क्षेत्र में आता है। मगर, उन्होंने नहीं छोड़ा। यहां आवागमन का साधन नाव ही हैं और ज्यादातर लोग मछली पकड़कर गुजर-बसर करते हैं। मेडिकल इमरजेंसी की स्थिति में तीन किमी दूर तक जाना पड़ता है।
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उकाई एक नदी घाटी परियोजना है
गुजरात में उकाई परियोजना भारत की एक प्रमुख नदी घाटी परियोजना है। इस परियोजना के अंतर्गत उकाई बाँध ताप्ती नदी पर गुजरात राज्य के सूरत ज़िले में बनाया गया। यहाँ 75x4=300 मेगावाट की विद्युत इकाई लगाई गयी थी। जिससे बहुत से गांवों में बिजली पहुंचाई जाती है। ग्रामीण भी इस बात को मानते हैं कि उनके यहां की उकाई परियोजना भारत की शीर्ष नदी घाटी परियोजनाओं में से एक है।
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